Bhediyas of Bahraich: आदमखोर भेड़िये बच्चों का क्यों कर रहे हैं शिकार? कहीं बदला लेने के लिए तो नहीं कर हमले, वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला दावा
Bhediyas of Bahraich: उत्तर प्रदेश में बच्चों पर हमला करने और रात के सन्नाटे में उन्हें खा जाने की आखिरी घटना 1997 में सामने आई थी। यह घटना अगस्त तक जारी रही। अब करीब 30 साल बाद यूपी के बहराइच जिले में आदमखोर भेड़ियों का झुंड फिर से अपने पुराने ढर्रे पर आ गया है
Bahraich Wolf Attack: यूपी के बहराइच में भेड़िये लगातार बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं (REUTERS)
Bahraich Wolf Attack: उत्तर प्रदेश पुलिस और वन विभाग बहराइच जिले में 'ऑपरेशन भेड़िया' के तहत अभी दो आदमखोर भेड़ियों की तलाश जारी रखे हुए हैं। वन विभाग ने इससे पहले चार भेड़ियों को पकड़ा था। बहराइच के महसी तहसील क्षेत्र के लोग मार्च से भेड़ियों के आतंक का सामना कर रहे हैं। बरसात के मौसम में हमले बढ़े हैं। जुलाई माह से लेकर अब तक इन हमलों से आठ बच्चों सहित कुल नौ लोगों की मौत हो चुकी है। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित करीब 36 लोग घायल भी हुए हैं। ऐसा लगता है कि यह संकट घाघरा नदी के उफान के कारण उत्पन्न हुआ है, जिसके कारण भेड़िये मानव बस्तियों की ओर बढ़ रहे हैं।
मृतकों की संख्या बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नागरिकों के लिए खतरा पैदा करने वाले भेड़ियों को देखते ही गोली मारने का निर्देश जारी किया है। इस बीच, बहराइच जिले में आदमखोर भेड़ियों के बढ़ते हमलों के बीच विशेषज्ञों का कहना है कि भेड़िये बदला लेने वाले जानवर होते हैं। संभवत: पूर्व में इंसानों द्वारा उनके बच्चों को नुकसान पहुंचाए जाने के बदले के रूप में ये हमले किए जा रहे हैं।
भारतीय वन सेवा (IFS) के रिटायर्ड अधिकारी और बहराइच जिले के कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में वन अधिकारी रह चुके ज्ञान प्रकाश सिंह अपने तजुर्बे के आधार पर बताते हैं कि भेड़ियों में बदला लेने की प्रवृत्ति होती है। उन्होंने कहा कि पूर्व में इंसानों द्वारा उनके बच्चों को किसी ने किसी तरह की हानि पहुंचाई गई होगी, जिसके बदले के स्वरूप ये हमले हो रहे हैं।
30 साल पहले भी हुए थे ऐसे हमले
रिटायर होने के बाद 'वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया' के सलाहकार के तौर पर सेवाएं दे रहे सिंह ने पूर्व के एक अनुभव का जिक्र करते हुए पीटीआई को बताया, "20-25 साल पहले उत्तर प्रदेश के जौनपुर और प्रतापगढ़ जिलों में सई नदी के कछार में भेड़ियों के हमलों में 50 से अधिक इंसानी बच्चों की मौत हुई थी। पड़ताल करने पर पता चला था कि कुछ बच्चों ने भेड़ियों की एक मांद में घुसकर उनके दो बच्चों को मार डाला था। भेड़िया बदला लेता है और इसीलिए उनके हमले में इंसानों के 50 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई। बहराइच में भी कुछ ऐसा ही मामला लगता है।"
उन्होंने कहा, "जौनपुर और प्रतापगढ़ में भेड़ियों के हमले की गहराई से पड़ताल करने पर मालूम हुआ कि अपने बच्चे की मौत के बाद भेड़िये काफी उग्र हो गए थे। वन विभाग के अभियान के दौरान कुछ भेड़िये पकड़े भी गए थे, लेकिन आदमखोर जोड़ा बचता रहा और बदला लेने के मिशन में कामयाब भी होता गया। हालांकि, अंतत: आदमखोर भेड़िये चिह्नित हुए और दोनों को गोली मार दी गई, जिसके बाद भेड़ियों के हमले की घटनाएं बंद हो गईं।"
सिंह के अनुसार, बहराइच की महसी तहसील के गांवों में हो रहे हमलों का पैटर्न भी कुछ ऐसा ही एहसास दिला रहा है। उन्होंने कहा, "इसी साल जनवरी-फरवरी माह में बहराइच में भेड़ियों के दो बच्चे किसी ट्रैक्टर से कुचलकर मर गए थे। तब उग्र हुए भेड़ियों ने हमले शुरू किए तो हमलावर भेड़ियों को पकड़कर 40-50 किलोमीटर दूर बहराइच के ही चकिया जंगल में छोड़ दिया गया। संभवतः यहीं थोड़ी गलती हुई।"
सिंह ने बताया, "चकिया जंगल में भेड़ियों के लिए प्राकृतिक वास नहीं है। ज्यादा संभावना यही है कि यही भेड़िये चकिया से वापस घाघरा नदी के किनारे अपनी मांद के पास लौट आए हों और बदला लेने के लिए हमलों को अंजाम दे रहे हों।"
क्या सभी आदमखोर भेड़िये हैं?
सिंह ने कहा, "अभी तक जो चार भेड़िये पकड़े गए हैं, वे सभी आदमखोर हमलावर हैं। इसकी उम्मीद बहुत कम है। हो सकता है कि एक आदमखोर पकड़ा गया हो, मगर दूसरा बच गया हो। शायद इसीलिए पिछले दिनों तीन-चार हमले हुए हैं।"
बहराइच के प्रभागीय वन अधिकारी अजीत प्रताप सिंह का भी कहना है, "शेर और तेंदुओं में बदला लेने की प्रवृत्ति नहीं होती, लेकिन भेड़ियों में होती है। अगर भेड़ियों की मांद से कोई छेड़छाड़ होती है, उन्हें पकड़ने या मारने की कोशिश की जाती है या फिर उनके बच्चों को किसी तरह का नुकसान पहुंचता है, तो वे इंसानों का शिकार कर बदला लेते हैं।"
देवीपाटन के मंडलायुक्त शशिभूषण लाल सुशील ने कहा कि अगर आदमखोर भेड़िये पकड़ में नहीं आते हैं। उनके हमले जारी रहते हैं, तो अंतिम विकल्प के तौर पर उन्हें गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। बहराइच के महसी तहसील क्षेत्र में भेड़ियों को पकड़ने के लिए थर्मल ड्रोन और थर्मोसेंसर कैमरे लगाए गए हैं। जिम्मेदार मंत्री, विधायक और वरिष्ठ अधिकारी या तो क्षेत्र में डटे हुए हैं या मुख्यालय से स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।