वाराणसी के ज्ञानवापी (Gyanvapi) के बाद अब मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला मंदिर (Bhojshala Temple) का भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI- Archaeological Survey of India) सर्वे होगा। हिंदू समुदाय के लोग भोजशाला को देवी वाघदेवी का मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम इसे कमल मौला की मस्जिद मानते हैं। इस मुद्दे पर धार में कई बार तनाव की स्थिति बन चुकी है। खासकर जब बसंत पंचमी शुक्रवार को पड़ती है। क्योंकि मुस्लिम भोजशाला में नमाज अदा करते हैं और हिंदू नमाज अदा करने के लिए कतार में खड़े होते हैं।
पिछले साल सितंबर में प्राचीन इमारत के अंदर वाघदेवी (मां सरस्वती) की मूर्ति रखे जाने के बाद इलाके में सुरक्षा बढ़ानी पड़ी थी। बाद में पुलिस ने मूर्ति को हटा दिया था। न्यूज 18 के मुताबिक, इस मामले में सामाजिक संगठन 'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाई कोर्ट ने इसके लिए ASI को 5 सदस्यीय कमिटी गठन करने के आदेश दिए हैं।
भोजशाला को मां सरस्वती देवी का मंदिर भी कहा जाता है। वेबसाइट के मुताबिक,इस मंदिर को बाद में मुस्लिम शासक ने मस्जिद में परिवर्तित कर दिया। इसके अवशेष अभी भी प्रसिद्ध कमाल मौलाना मस्जिद में देखे जा सकते हैं। याचिका दायर कर यहां पर सरस्वती देवी की प्रतिमा स्थापित करने और पूरे भोजशाला परिसर की फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी करवाने की मांग की गई है।
धार का भोजशाला मंदिर-मस्जिद विवाद नया नहीं है। वसंत पंचमी के दिन यह मंदिर विवाद के केंद्र में आ जाता है। यहां कई बार सांप्रदायिक माहौल गर्म हो चुका है। फिलहाल यहां मंगलवार और वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा करने की इजाजत है। जबकि शुक्रवार के दिन नमाज पढ़ने की। अब हिंदुओं ने मांग की है कि यहां नमाज को बंद किया जाए और पूरा परिसर मंदिर के हवाले किया जाए।
ASI के लगभग 21 साल पुराने आदेश को चुनौती देते हुए (जिसमें हिंदुओं और मुसलमानों को अलग-अलग दिनों (क्रमशः मंगलवार और शुक्रवार) को साइट तक पहुंचने की अनुमति दी गई थी) संगठन ने अदालत को बताया कि भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच के बिना और नियमों के अनुसार डिक्री जारी की गई थी। नियमों के मुताबिक, किसी मंदिर के अंदर 'नमाज' अदा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में बहस के दौरान, ASI ने कहा कि उसने 1902 और 1903 में भोजशाला परिसर की स्थिति का आकलन किया था। परिसर की वैज्ञानिक जांच की मांग करने वाली वर्तमान याचिका पर उसे कोई आपत्ति नहीं है।
भोजशाला की ASI सर्वे की मांग ऐसे समय में उठी है जब इस महीने की शुरुआत में वाराणसी की एक अदालत ने फैसला सुनाया कि एक हिंदू पुजारी उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर काशी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में मूर्तियों के सामने प्रार्थना कर सकता है।