बिहार में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। कोसी नदी में रिकॉर्ड पानी छोड़ा गया है। राज्य सरकार ने उत्तरी और मध्य बिहार में कोसी, गंडक और गंगा नदियों के आसपास के इलाकों में बाढ़ की चेतावनी जारी कर दी है। कोसी बैराज से 6,61,295 क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है। 1968 के बाद से सबसे ज्यादा पानी छोड़ा गया है. लगातार हो रही बारिश से स्थिति और भी गंभीर हो गई है। जल संसाधन विभाग ने बताया कि नेपाल में भारी बारिश की वजह से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा गया है। जिससे बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। नदियों के उफान से लोगों का जीना दूभर हो गया है।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि एनडीआरएफ की 11 टीमें तैनात की गई हैं। अतिरिक्त टीमें भी तैयार हैं। राज्य सरकार की मांग पर हवाई सेवा भी मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बिहार पर नजर बनाए हुए है। पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के बाद राज्य भर में गंडक, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, महानंदा और गंगा नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है।
दरभंगा में कोसी नदी का तटबंध टूटा
दरभंगा के किरतपुर प्रखंड में कोसी नदी का तटबंध टूटने से बाढ़ की तबाही मच गई है। इस घटना से किरतपुर और घनश्यामपुर प्रखंड के एक दर्जन से ज्यादा गांव प्रभावित हुए हैं। जिला प्रशासन की टीम ने बचाव के प्रयास किए, लेकिन पानी के दबाव के कारण तटबंध टूट गया। कई स्थानों पर नदियों के तटबंध टूट गए हैं। बाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाढ़ का पानी घुस गया है। जिसका असर भारत-नेपाल सीमा से सटे जिलों पर सबसे अधिक पड़ा है। सीतामढ़ी के मधकौल गांव में बागमती नदी के तटबंध में दरार आ गई। वहीं पश्चिम चंपारण में गंडक नदी के बाएं तटबंध में पानी के ज्यादा दबाव की वजह से नुकसान हुआ है। जिसके बाद बाढ़ का पानी वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में घुस गया।
क्या है बिहार में बाढ़ आने की वजह?
नेपाल में हुई भारी बारिश और वहां से छोड़े गए पानी की वजह से बिहार में बाढ़ आ गई है। नेपाल के बांधों से छोड़े गए पानी ने बिहार की नदियों में जलस्तर को खतरनाक स्तर पर पहुंचा दिया है। इसके अलावा, बिहार के कई इलाकों में हुई लगातार बारिश ने भी बाढ़ की स्थिति को और बिगाड़ दिया है। जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा का पैटर्न असामान्य हो गया है। जिससे बाढ़ की घटनाएं बार-बार हो रही हैं।