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Brent oil की कीमतें 8 साल बाद फिर 100 डॉलर के पार, Ukraine crisis गहराने से बढ़ी कीमतें

रूस के आक्रामक रुख के चलते यूक्रेन क्राइसिस (Ukraine crisis) बढ़ने से क्रूड के निर्यात के लिहाज से अहम क्षेत्र में भारी उथल-पुथल की आशंकाएं बढ़ गई हैं

अपडेटेड Feb 24, 2022 पर 10:03 AM
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यूक्रेन क्राइसिस के चलते दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं

Brent oil : ब्रेंट क्रूड वर्ष 2014 के बाद पहली बार 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से ऊपर निकल गया। रूस के आक्रामक रुख के चलते यूक्रेन क्राइसिस (Ukraine crisis) बढ़ने से क्रूड के निर्यात के लिहाज से अहम क्षेत्र में भारी उथल-पुथल होने की आशंकाएं बढ़ गई हैं। रूस दुनिया में तेल का दूसरा बड़ा प्रोड्यूसर है, जो मुख्य रूप से यूरोप की रिफाइनरियों को अपना तेल बेचता है और 35 फीसदी हिस्सेदारी के साथ यूरोप को नेचुरल गैस की आपूर्ति करने वाला सबसे बड़ा सप्लायर देश है।

पुतिन ने यूक्रेन में “मिलिट्री ऑपरेशन” का किया ऐलान

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने पश्चिमी देशों की नाराजगी और युद्ध शुरू नहीं करने की वैश्विक अपील को खारिज करते हुए आज यूक्रेन में “मिलिट्री ऑपरेशन” (military operation) शुरू करने का ऐलान किया है और अपने सैनिकों से हथियारों के साथ तैयार रहने के लिए कहा है। पुतिन ने अचानक टेलीविजन पर अपने ये इरादे जाहिर किए थे।


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तेल की कीमतों और ग्लोबल इकोनॉमी पर होगा खासा असर

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करेंसी) नवनीत दमानी ने कहा, “प्रतिबंधों के चलते रूस के कम क्रूड या नेचुरल गैस की आपूर्ति के लिए मजबूर होने से तेल की कीमतों और ग्लोबल इकोनॉमी पर खासा असर पड़ेगा। दुनिया में इस्तेमाल होने वाले प्रति 10 बैरल तेल में रूस एक बैरल का योगदान करता है, इस प्रकार यह बड़ा प्लेयर है। साफ है कि इसका पेट्रोल पम्पों के कंज्यूमर्स पर तगड़ा असर होने जा रहा है।”

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तेल महंगा, लेकिन भारत में 3 महीने से नहीं बढ़ी कीमतें

अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में मजबूती के बावजूद, घरेलू बाजार में 90 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने तीन महीनों से ज्यादा वक्त से पेट्रोल और डीजल कीमतों में बदलाव नहीं किया है। एनालिस्ट्स का अनुमान है कि अगले महीने के अंत में राज्य विधानसभा चुनावों के बाद भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में खासा इजाफा होगा।

भारत के लिए पैदा होंगी ये चुनौतियां

दमानी ने कहा, “क्रूड की कीमतों में बढ़ोतरी से भारत के लिए महंगाई, फिस्कल और एक्सटर्नल सेक्टर से जुड़े रिस्क पैदा होते हैं। क्रूड ऑयल से संबंधित प्रोडक्ट्स की डब्ल्यूपीआई बास्केट (WPI basket) में 9 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है। क्रूड की कीमतें बढ़ने से एलपीजी और केरोसिन पर सब्सिडी बढ़ने का अनुमान है, जिससे सब्सिडी बिल बढ़ेगा। भारत एशिया प्रशांत में यूक्रेन का सबसे बड़ा और दुनिया में पांचवां बड़ा एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन है। भारत यूरोपीय देशों को मुख्य रूप से फार्मा प्रोडक्ट्स, रिएक्टर्स/ बॉयलर मशीनरी, मैकेनिकल अप्लायंसेज, तिलहन, फल, कॉफी, चाय और मसालों आदि का निर्यात करता है। भारत, यूक्रेन को मुख्य रूप से फार्मास्युटिकल्स का निर्यात करता है।”

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