Coromandel Ex. Accident: आमने-सामने नहीं, इस तरह एक दूसरे से भिड़ गईं तीन ट्रेनें, जांच में हुआ यह बड़ा खुलासा
Coromandel Ex. Accident: शनिवार को हुए कोरोमंडल ट्रेन हादसे पर शुरुआती जांच में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। इस एक्सीडेंट के पीछे अधिकारी शुरुआती तौर पर मानवीय गलती और सिग्नल के फेल होने को वजह मान रहे हैं। रेलवे ने इस भयावह एक्सीडेंट की हाई लेवल जांच को शुरू कर दिया है। इसकी अध्यक्षा साउथ ईस्टर्न सर्कल के रेलवे सेफ्टी कमीश्नर के द्वारा की जाएगी। सूत्रों ने पहले कहा था कि दुर्घटना के पीछे सिग्नलिंग विफलता का कारण हो सकता है
Coromandel Ex. Accident: शनिवार को हुए कोरोमंडल ट्रेन हादसे पर शुरुआती जांच में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। इस एक्सीडेंट के पीछे अधिकारी शुरुआती तौर पर मानवीय गलती और सिग्नल के फेल होने को वजह मान रहे हैं
Coromandel Ex. Accident: शनिवार को ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल ट्रेन एक्सीडेंट (Coromandel express accident) से पूरा देश स्तब्ध रह गया है। अब इस एक्सीडेंट के पीछे अधिकारी शुरुआती तौर पर मानवीय गलती और सिग्नल के फेल होने को वजह मान रहे हैं। शनिवार को बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस, कोरोमंडल ट्रेन और एक मालगाड़ी की टक्कर में 288 लोगों के मारे जाने की खबरें हैं और इसमें अभी तक 1,100 से भी ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
पीएम मोदी ने भी किया घटना स्थल का दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने दुर्घटना स्थल का दौरा किया और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ-साथ आपदा प्रबंधन टीमों के अधिकारियों ने उन्हें जानकारी दी। उन्होंने अस्पताल में कुछ घायलों से भी मुलाकात की। मोदी ने कहा, "मेरे पास अपना दर्द बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं...किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। त्रासदी की उचित और त्वरित जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
21 बोगियां पटरी से उतरीं
इस भयावह ट्रेन एक्सीडेंट में 21 बोगियां पटरी से उतर गईं थी। जिस वजह से कई सारे रेल यात्री डिब्बों में ही फंस गए थे। कोरोमंडल एक्सप्रेस और हावड़ा बेंगलुरु एक्सप्रेस दोनों ही ट्रेनें तेज स्पीड से चल रही थीं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस वजह से एक्सीडेंट में ज्यादा लोग मारे गए हैं और घायल भी हुए हैं। एक्सीडेट वाली जगह के एरियल व्यू में भी ऐसा देखा जा सकता था कि जैसे ट्रेन के डिब्बे किसी खिलौने की तरह इधर उधर बिखरे पड़े हों। वहीं पटरियों पर भी लोगों के मृत शरीर देखे जा सकते थे।
बंद हुआ बचाव अभियान
मलबे को हटाने के लिए बड़ी क्रेनें तैनात की गईं और क्षतिग्रस्त डिब्बों से शवों को निकालने के लिए गैस कटर का इस्तेमाल किय गया। बचाव अभियान शनिवार दोपहर को समाप्त कर दिया गया और ट्रैक की बहाली का काम शुरू हो गया। इस मार्ग पर यातायात बाधित होने के कारण 150 से अधिक ट्रेनों को रद्द कर दिया गया वहीं कुछ ट्रेनों को डायवर्ट भी किया गया है। एक्सीडेंट की शुरुआती जांच में पता चला है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस को मुख्य लाइन में प्रवेश करने के लिए एक सिग्नल दिया गया था लेकिन इसे हटा दिया गया और ट्रेन लूप लाइन में प्रवेश कर गई और वहां खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई। बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस जो तेज गति से आ रही थी, कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों में जा घुसी, जो बगल के ट्रैक पर बिखर गए थे।
घायलों को कराया गया अस्पताल में भर्ती
अधिकारियों ने शनिवार शाम तक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि हादसे में 288 लोगों की मौत हुई है। ओडिशा सरकार के अधिकारियों ने शनिवार देर रात कहा कि निजी सहित विभिन्न अस्पतालों में 1,175 लोगों को भर्ती कराया गया, जिनमें से 793 को छुट्टी दे दी गई और 382 का इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि दो मरीजों को छोड़कर सभी की हालत स्थिर है।
क्या कहा चश्मदीदों ने
इस हादसे को कुछ चश्मदीदों ने भी बयान किया है। हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन के पिछले कोच में बैठे पश्चिम बंगाल के बर्धमान के रहने वाले उल हक ने कहा कि ट्रेन तेज गति से चल रही थी। शाम 7 बजे के आसपास तेज आवाज सुनाई दी और उसके बाद अफरा-तफरी मच गई। मैं ऊपरी बर्थ से फर्श पर गिर गया। यह भयानक था, कई लोग गंभीर रूप से घायल थे। वहीं एक दूसरे यात्री ने बताया कि जिस कोच में वह यात्रा कर रहा था, वह पलट जाने से उसे छाती, पैर और सिर में चोट लगी थी। उन्होंने कहा, "हमें खुद को बचाने के लिए खिड़कियां तोड़कर डिब्बे से बाहर कूदना पड़ा।
अश्विनी वैष्णव से मांगा गया इस्तीफा
बालासोर जिला अस्पताल और सोरो अस्पताल में घायलों को भर्ती कराया गया। अधिकारियों ने कहा कि 2,000 से अधिक लोग रात में बालासोर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में घायलों की मदद करने के लिए एकत्र हुए और उनमें से कई ने रक्तदान किया। अस्पताल का मुर्दाघर कफन में लिपटे शवों से भरा हुआ था और यात्रियों के व्याकुल परिजनों से भरा हुआ था लेकिन कई पीड़ितों की पहचान नहीं हो पाई थी। इस भयानक एक्सीडेंट के बाद कई सारे सरकारी प्रोग्राम को भी कैंसल कर दिया गया। दुनिया भर के कई सारे बड़े नेताओं ने भी इस पर अपना शोक जताया है। वही विपक्षी पार्टियों ने इस दौरान रेलवे की तरफ से यात्रियों की सुरक्षा पर जोर देने का मुद्दा उठाया। उन्होंने इस दौरान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की जवाबदेही भी तय की। साथ ही इस दौरान रेलवे के सभी ट्रैक पर कवच सिस्टम को लगाने का मुद्दा भी उठाया गया। यह अभी तक हुए सबसे भयावह ट्रेन एक्सीडेंट में से एक है। साल 1981 को भारत की सबसे भयावह ट्रेन दुर्घटना हुई थी। जब बिहार में बागमती नदी में एक ट्रेन के गिर जाने से 750 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे।
रेलवे ने शुरू की उच्च स्तरीय जांच
रेलवे ने इस भयावह एक्सीडेंट की हाई लेवल जांच को शुरू कर दिया है। इसकी अध्यक्षा साउथ ईस्टर्न सर्कल के रेलवे सेफ्टी कमीश्नर के द्वारा की जाएगी। सूत्रों ने पहले कहा था कि दुर्घटना के पीछे सिग्नलिंग विफलता का कारण हो सकता है। वहीं रेलवे अधिकारियों ने कहा कि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि क्या कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में प्रवेश करती है और स्थिर मालगाड़ी से टकराती है या यह पहले पटरी से उतर गई और फिर पार्क में प्रवेश करने के बाद लूप लाइन पर खड़ी ट्रेन से टकरा गई। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रेन संख्या 12841 (कोरोमंडल) के लिए अप मेन लाइन के लिए सिग्नल दिया गया था और उतार दिया गया था, लेकिन ट्रेन अप लूप लाइन में प्रवेश कर गई और मालगाड़ी से टकरा गई जो लूपलाइन पर थी और पटरी से उतर गई। इस बीच, (ट्रेन संख्या) 12864 (हावड़ा सुपरफास्ट) डाउन मेन लाइन से गुजरी और इसके दो डिब्बे पटरी से उतर गए और पलट गए।
120 से ज्यादा की स्पीड से चल रही थी ट्रेन
कोरोमंडल एक्सप्रेस 128 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी, वहीं बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस 116 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। सूत्रों ने कहा कि रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को सौंप दी गई है। ये ट्रेनें आम तौर पर अधिकतम 130 किमी प्रति घंटे की गति तक चलती हैं। भारतीय रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, "एएम चौधरी, सीआरएस, एसई सर्कल, दुर्घटना की जांच करेंगे।" भारतीय रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा, "बचाव अभियान पूरा हो गया है। अब, हम बहाली का काम शुरू कर रहे हैं। कवच इस मार्ग पर उपलब्ध नहीं था।" रेलवे अपने नेटवर्क में एंटी-ट्रेन टक्कर प्रणाली स्थापित करने की प्रक्रिया में है।
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युद्ध स्तर पर चलाया गया बचाव कार्य
एक्सीडेंट के बाद घायलों के बचाने के लिए युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य भी शुरू किया गया। लगभग 1,200 कर्मियों, 200 एम्बुलेंस, 50 बसों और 45 मोबाइल हेल्थ यूनिट्स ने दुर्घटनास्थल पर काम किया। पश्चिम बंगाल के बैरकपुर और पानागढ़ से इंजीनियरिंग और चिकित्सा कर्मियों सहित सेना की टुकड़ियों को रवाना किया गया। एक रक्षा अधिकारी ने शनिवार को बताया कि घायल यात्रियों को निकालने के लिए दो एमआई-17 हेलीकॉप्टरों को लगाया गया है। रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि दो यात्री ट्रेनों के इंजन चालक और गार्ड घायल हो गए और उनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। अधिकारी ने बताया कि मालगाड़ी के लोको पायलट और गार्ड बाल-बाल बच गए। अधिकारियों ने कहा कि पुलिसकर्मी और स्थानीय लोग बालासोर जिला अस्पताल और अन्य अस्पतालों में रात में स्वेच्छा से रक्तदान कर रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि घायलों की मदद के लिए शुक्रवार रात 2,000 से अधिक लोग बालासोर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एकत्र हुए और कई लोगों ने रक्तदान भी किया।
कई सारी ट्रेनें हुई कैंसल
एक्सीडेंट के बाद लगभग 90 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया, ज्यादातर दक्षिणी और दक्षिण पूर्व रेलवे जोन में, जबकि 46 को डायवर्ट किया गया और 11 को शॉर्ट-टर्मिनेट किया गया। घायलों को कटक के बालासोर, सोरो, भद्रक, जाजपुर अस्पताल और एससीबी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया है। एक यात्री ने बताया कि घायलों के शरीर बड़े कई बड़े घाव और फ्रैक्चर थे। हमने अपनी बेडशीट से उनकी पट्टियां की ताकी खून बहने से रोका जा सके।
एम्स के डॉक्टरों को भी किया गया तैनात
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि एम्स-भुवनेश्वर के डॉक्टरों को ट्रेन दुर्घटना स्थल पर राहत कार्यों में सहायता के लिए ओडिशा के बालासोर और कटक भेजा गया है। मंडाविया ने ट्विटर पर कहा, "ओडिशा में रेल दुर्घटना स्थल पर राहत कार्यों में सहायता के लिए एम्स-भुवनेश्वर के डॉक्टरों की दो टीमों को बालासोर और कटक के लिए भेजा गया है। उन्होंने कहा कि हम कीमती जान बचाने के लिए दुखद ट्रेन दुर्घटना के पीड़ितों को सभी आवश्यक सहायता और चिकित्सा सहायता प्रदान कर रहे हैं।
कई नेताओं ने किया दुर्घटना स्थल का दौरा
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव शनिवार तड़के दुर्घटनास्थल पर पहुंचे और घटना की उच्च स्तरीय जांच की घोषणा की। घंटों बाद, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने स्थिति का जायजा लेने के लिए घटनास्थल का दौरा किया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुर्घटनास्थल का दौरा किया। ममता बनर्जी ने कहा यह इस सदी की सबसे बड़ी ट्रेन दुर्घटना है और इसकी उचित जांच होनी चाहिए। इसके पीछे कुछ होना चाहिए। सच्चाई सामने आनी चाहिए। टक्कर रोधी प्रणाली काम क्यों नहीं करती? राज्य सरकार ने शनिवार को कहा कि मरने वालों में पश्चिम बंगाल के कम से कम 35 लोग और घायलों में 544 लोग शामिल हैं।
पीएम मोदी ने किया बालासोर अस्पताल का दौरा
प्रधानमंत्री मोदी ने बालासोर अस्पताल का दौरा करने के बाद कहा, "घायलों को हर संभव चिकित्सा सहायता प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।" उन्होंने कहा कि इस घटना में मारे गए लोगों को वापस लाना संभव नहीं है, लेकिन सरकार उनके परिवारों के साथ मजबूती से खड़ी है। उन्होंने बचाव और राहत कार्यों में ओडिशा सरकार के प्रयासों की सराहना की और बड़ी संख्या में रक्तदान करने और घायलों की मदद करने वाले स्थानीय लोगों की सराहना की। रेलवे ने मृतकों के परिजनों के लिए 10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों के लिए 2 लाख रुपये और मामूली रूप से घायल लोगों के लिए 50,000 रुपये की मुआवजा राशि देने की घोषणा की है। मोदी ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की अतिरिक्त मुआवजा राशि देने की घोषणा की है। अन्य राज्यों ने भी सहायता की घोषणा की है।