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Covid-19 Compensation: कोरोना से मौत मामले में मुआवजे का दावा करने के लिए समय सीमा तय, फर्जी क्लेम करने वालों को मिलेगी सजा

20 मार्च से पहले कोरोना वायरस से हुई मौतों के लिए 60 दिनों के भीतर क्लेम दायर किया जाना अनिवार्य है

अपडेटेड Apr 11, 2022 पर 2:27 PM
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यदि मुआवजे के लिए कोई फर्जी क्लेम करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी

Covid-19 Compensation: केंद्र ने सोमवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च को कोरोना महामारी के दौरान हुई मौत मामले में मुआवजे के लिए क्लेम दायर करने के लिए समय सीमा तय की थी। इसके मुताबिक, 20 मार्च से पहले कोरोना से हुई मौतों के लिए 60 दिनों के भीतर क्लेम दायर किया जाना अनिवार्य है। वहीं, भविष्य में किसी भी मौत के लिए मुआवजे के वास्ते क्लेम फाइल करने के लिए 90 दिनों का समय दिया गया है।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि क्लेम मिलने की तारीख से 60 दिनों की अवधि के भीतर मुआवजे का वास्तविक भुगतान करने के लिए पहले का आदेश लागू रहेगा। इससे पहले केंद्र ने कोरोना के कारण हुई मौत पर मुआवजे का भुगतान करने का दावा करने के लिए 4 हफ्ते की समय सीमा तय करने का अनुरोध किया था।


इन शर्तों का करना होगा पालन

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अत्यधिक मुश्किल मामले में जहां कोई दावेदार निर्धारित समय के भीतर अप्लाई नहीं कर सकता है, वहां पैनल के माध्यम से दावा करने के लिए विकल्प खुला होगा। सरकार ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में मामले के आधार पर विचार किया जाएगा। केंद्र ने कहा कि यदि समिति की तरफ से यह पाया जाता है कि कोई विशेष दावेदार निर्धारित समय के भीतर दावा नहीं कर सका, तो योग्यता के आधार पर विचार किया जा सकता है।

फर्जी क्लेम करने वालों को मिलेगी सजा

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि फर्जी क्लेम के जोखिम को कम करने के लिए पहली बार में दावा आवेदनों में से 5 फीसदी की रैंडम जांच की जाएगी। यदि यह पाया जाता है कि किसी ने फर्जी क्लेम किया है, तो उसे दंडित किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार के सदस्यों को मिलने वाली 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि पाने के लिए झूठे दावों पर चिंता जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि उसने कभी सोचा भी नहीं था कि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि उसे लगता था कि नैतिकता का स्तर इतना नीचे नहीं गिर सकता।

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