Digital Arrest Scammers: ओडिशा क्राइम ब्रांच ने रविवार (29 दिसंबर) को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से एक मां-बेटे की जोड़ी को 1.37 करोड़ रुपये के डिजिटल धोखाधड़ी मामले में ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया। मां-बेटे की जोड़ी ने एक पूर्व इंजीनियर को अपना शिकार बनाया था। उन्होंने बुजुर्ग से 1.37 करोड़ रुपये ठग लिए थे। आरोपी की पहचान अनीता मल्होत्रा और उसके बेटे अनुराग के रूप में हुई है। पीड़ित भुवनेश्वर में रहने वाले लोक निर्माण विभाग के रिटायर इंजीनियर है। वह डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो गए।
मामले की जांच मई में शुरू की गई थी, जिससे पर्याप्त सबूत एकत्र हुए। गुरुवार को इंस्पेक्टर अनिला आनंद के नेतृत्व में एक टीम ने आरोपी नीलम अग्रवाल (52) और उसके बेटे वंश अग्रवाल (26) को गिरफ्तार किया। उन्हें अगले दिन ओडिशा ले जाया गया। पीड़ित की शिकायत के अनुसार, 22 मई को घोटालेबाजों ने विभिन्न फोन नंबरों का उपयोग करके उनसे संपर्क किया था। जालसाजों ने FedEx कूरियर स्टाफ और मुंबई पुलिस के साइबर अपराध प्रभाग के अधिकारियों के रूप में खुद को पेश करते हुए झूठा दावा किया कि उनके आधार कार्ड के डिटेल्स से छेड़छाड़ की गई है और वे मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों से जुड़े हैं।
उन्होंने बुजुर्ग व्यक्ति को धमकी दी कि अगर उसने जल्दी कार्रवाई नहीं की तो उसे तीन से सात साल की जेल की सजा हो सकती है। दबाव में आकर पीड़ित ने 14 से 18 मई के बीच पांच लेन-देन में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में अपने और अपनी पत्नी के खातों से अपनी जीवन भर की बचत कुल 1,37,90,000 रुपये ट्रांसफर कर दिए। जांच में पता चला कि धनराशि तीन अलग-अलग बैंक खातों में जमा की गई थी, जिसमें से 1.12 करोड़ रुपये वंशनील सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े खाते में गए, जिसका स्वामित्व नीलम और वंश के पास है।
आरोपियों के पास है 13 अकाउंट
आगे की जांच से पता चला कि मां-बेटे की जोड़ी ने अपनी धोखाधड़ी गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के मेरठ में पंजाब नेशनल बैंक और भारतीय स्टेट बैंक की विभिन्न शाखाओं में लगभग 13 अलग-अलग बैंक खाते खोले थे। दोनों व्यक्तियों को पहले भी नई दिल्ली के मंदिर मार्ग साइबर पुलिस स्टेशन द्वारा इसी तरह के घोटाले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें पीड़ितों से 63 लाख रुपये की ठगी की गई थी। इसके अलावा, रिपोर्ट बताती है कि नीलम और वंश भारत के कई राज्यों में साइबर धोखाधड़ी के 15 से अधिक मामलों में शामिल हैं।