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डिओर और अरमानी जैसे लग्जरी ब्रांड्स चंद हजार में बैग खरीदकर इसे लाखों में बेच रहे

इटली के लग्जरी ब्रांड्स पर पड़े छापे और जांच में पता चला है कि डिओर (Dior) ने सप्लायर्स को एक हैंडबैग के लिए 53 यूरो (तकरीबन 4,700 रुपये) का भुगतान किया, जबकि कंपनी के स्टोर में यह 2,600 यूरो (2.34 लाख रुपये) में बिक रहा है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है

अपडेटेड Jul 04, 2024 पर 11:18 PM
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इस मामले में लग्जरी कंपनियों की काफी आलोचना हो रही है।

इटली के लग्जरी ब्रांड्स पर पड़े छापे और जांच में पता चला है कि डिओर (Dior) ने सप्लायर्स को एक हैंडबैग के लिए 53 यूरो (तकरीबन 4,700 रुपये) का भुगतान किया, जबकि कंपनी के स्टोर में यह 2,600 यूरो (2.34 लाख रुपये) में बिक रहा है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, जांच में यह भी पता चला है कि एक और लग्जरी ब्रांड अरमानी का बैग सप्लायर्स से 93 डॉलर (8,400 रुपये) में खरीदा गया और इसके बाद इस ब्रांड को 250 यूरो (22,500 रुपये) में बेचा गया। फिर इसे स्टोर में 1,800 यूरो (1.6 लाख रुपये) में बेचा गया।

अखबार का कहना है कि हालांकि, इन लागतों में लेदर जैसी सामग्री का खर्च शामिल नहीं है और डिजाइन, डिस्ट्रिब्यूशन और मार्केटिंग के लिए अतिरिक्त खर्च को अलग से शामिल किया गया है। बहरहाल, इस मामले में लग्जरी कंपनियों की काफी आलोचना हो रही है और कार्रवाई करने वाली एजेंसियों ने सप्लाई चेन में लापरवाही को लेकर इन कंपनियों को आड़े हाथों लिया है।

हालांकि, इन मामलों में सीधे तौर पर कंपनियों को आरोपों का सामना नहीं करना पड़ रहा है, लिहाजा कुछ सप्लायर्स को कर्मचारियों का शोषण करने और बिना सही दस्तावेज के उनके साथ काम करवाने के मामले में कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।


इस सिलसिले में हुई जांच के दौरान इन वर्कशॉप में 2 अवैध अप्रवासी और 7 ऐसे एंप्लॉयीज पाए गए, जिनकी नियुक्ति सही दस्तावेजों के साथ नहीं हुई थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मार्च और अप्रैल के दौरान इटैलियन पुलिस की जांच में यह भी पाया गया कि इन प्रोडक्ट्स को बनाने वाले कर्मचारियों को अस्वास्थ्यकर और गंदी जगहों पर काम करना पड़ रहा था।

जांच में यह भी पता चला कि वर्कर्स जिन मशीनों को चलाते थे, उनकी प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने के लिए उनसे सेफ्टी डिवाइस को हटा लिया गया था। लिहाजा, उनकी सुरक्षा से समझौता किया गया। ये स्टाफ वर्कशॉप में सुबह से लेकर देर रात तक काम करते थे। साथ ही, उन्हें वीकेंड और छुट्टियों के दिन भी काम करना पड़ता था।

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