Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी आज, देश भर में गूंज रहे हैं गणपति बप्पा मोरया के नारे

Ganesh Chaturthi 2023: विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता कहे जाने वाले भगवान श्री गणेश का जन्मोत्सव 19 सितंबर यानी आज देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसे विनायक चतुर्थी भी कहते हैं। हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है। आज देश भर में लोग गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं। 10 दिन तक पूजा की जाती है

अपडेटेड Sep 19, 2023 पर 9:39 AM
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Ganesh Chaturthi 2023: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन यानी गणेश चतुर्थी पर गणपति जी स्थापित किए जाते हैं।

Ganesh Chaturthi 2023: भगवान गणेश के जन्म के रूप में गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। भगवान गणेश एक पूजनीय देवता हैं। जिन्हें ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य से जोड़ा गया है। भगवान गणेश को गजानन, धूम्रकेतु, एकदंत, वक्रतुंड और सिद्धि विनायक समेत कई नामों से जाना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल की चतुर्थी से देशभर में गणेश चतुर्थी पर्व का शुभारंभ हो जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से 10 दिनों तक चलता है। इस दौरान भक्त बप्पा को अपने घर लाते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को विदा कर देते हैं। यह त्योहार महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी 2023 शुभ मुहूर्त

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गणेश चतुर्थी 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12:39 बजे शुरू होगी। 19 सितंबर को रात 8:43 बजे खत्म होगी। सुबह 11:01 बजे से दोपहर 01:28 बजे तक भी गणेश पूजा की जा सकती है। यानी यह अवधि कुल मिलकर 2 घंटे और 27 मिनट की होगी। सुबह 09:45 बजे से रात 08:44 बजे तक गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन से बचने की सलाह दी जाती है। इस साल गणेश चतुर्थी पर 300 साल बाद ब्रह्म, शुक्ल और शुभ योग का अद्भुत संयोग बना है. साथ ही स्वाति नक्षत्र और विशाखा नक्षत्र भी रहेंगे।


गणेश चतुर्थी पर भद्रा का साया

आज गणेश चतुर्थी पर सुबह से ही भद्रा लगा है। भद्राकाल सुबह 06:08 से दोपहर 01:43 तक है। लेकिन गणेश जी की पूजा और मूर्ति स्थापना पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस भद्रा का वास पाताल लोक में होगा। रवि योग को पूजा-पाठ और विशेष कार्यों के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। आज गणेश चतुर्थी पर रवि योग में बप्पा का आगमन होगा। मंगलवार 19 सितंबर को सुबह 06:08 से रवि योग शुरू हो जाएगा। दोपहर 01:48 तक रहेगा। ऐसे में गणपति की स्थापना और पूजा रवि योग में की जाएगी। गणेश जी की मूर्ति की स्थापित करते समय इस मंत्र का उच्चारण जरूर करें. गणेश उत्सव के दौरान प्रतिदिन की पूजा में भी आप इसका जाप कर सकते हैं।

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणमं।

उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम।।

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गणेशोत्सव का इतिहास

दरअसल, 1892 में अंग्रेज एक नियम के तहत भारतीयों को एक जगह इकट्ठा नहीं होने देते थे। तिलक ने सोचा कि इस त्योहार के जरिए भारतीयों को एक जगह इकट्ठा किया जा सकता है और इसके जरिए उनमें संस्कृति के प्रति सम्मान और राष्ट्रवाद की भावना जगाई जा सकती है। इसके बाद लोक मान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में केशवजी नाइक चॉल सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल की नींव रखी। इस मंडल (समिति-कमेटी) की कोशिशों से ही पहली बार विशाल गणपति प्रतिमा के साथ गणेश उत्सव मनाया जाने लगा। इस उत्सव के मंच से तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। मराठी लोकगीत पोवाडे के सुर में देश से लगाव की कथा गाई जाने लगी। देशप्रेम के भाषण होने लगे। इन्हें सुनने के लिए हर साल झुंड के झुंड लोग गणेश उत्सव के मैदान में पहुंचने लगे।

छत्रपति शिवाजी के दौर में भी मनाते थे गणेशोत्सव

इतिहासकारों का ये भी मानना है कि सन 1630–1680 में शिवाजी ने इस त्योहार को सबसे पहले पुणे में मनाना शुरू किया था। 18वीं सदी में पेशवा भी गणेशभक्त थे तो उन्होंने भी सार्वजनिक रूप से भाद्रपद के महीने में गणेशोत्सव मनाना शुरू किया था। लेकिन ब्रिटिश राज जब आया तब गणेशोत्सव के लिए जो भी पैसा मिलता था। वो बंद हो गया। इसकी वजह से गणेशोत्सव कुछ समय के लिए रोकना पड़ा। इसके बाद स्वतंत्रता सेनानी बालगंगाधर तिलक ने इसको महोत्सव को फिर से शुरू करने का फैसला किया।

Jitendra Singh

Jitendra Singh

First Published: Sep 19, 2023 9:39 AM

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