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Ghaziabad News: 30 साल पहले राजू का हुआ था अपहरण, अब घर लौटा शख्स, मां-बहन के छलके खुशी के आंसू

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से एक ऐसा मामला सामने आया है। जिसे सुनकर हर किसी के खुशी के आंसू छलक उठे। साल 1993 में 7 साल की उम्र में राजू का अपहरण हो गया था। पिता से बतौर 8 लाख रुपये फिरौती मांगी गई थी। उस दौर में पिता पैसे नहीं जुटा पाए थे। अब 31 साल बाद अपहरण करने वालो के चंगुल से भागने में सफल हुआ है

अपडेटेड Nov 29, 2024 पर 10:52 AM
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Ghaziabad boy reunited with family after 30 years: अपहरण के बाद राजू राजस्थान के जैसलमेर में भेड़-बकरी चराता था।

30 साल पहले अगवा किया गया राजू अपने घर सकुशल पहुंच गया। राजू को देखते ही मां के खुशी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। पिता को तो भरोसा ही नही हो रहा था कि आखिर यह चमत्कार कैसे हो गया। इधर बहन भी राजू को देखते ही रो पड़ी। यह घटना उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद की है। कई दशकों बाद जब राजू की घर वापसी हुई तो परिजन फफक-फफक कर रो पड़े। साल 1993 में सात साल का राजू अपनी बहन के साथ स्कूल गया। लौटते समय उसका बहन का हाथ छूट गया। इसके बाद राजू अपने घर नहीं लौटा। कई दशकों के बाद जब राजू घर पहुंचा तो बहन को फिर से पुराना किस्सा ताजा हो गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजू का अपहरण हो गया था। फिर 8 लाख रुपये की फिरौती मांगी गई। इतनी बड़ी रकम उस दौर में जुटा में पाना पिता के लिए बड़ी मुसीबत थी। किसी तरह से कुछ पैसे जुटा पाए, लेकिन 8 लाख तक नहीं पहुंच पाए। फिर इसके बाद राजू के पिता तुला राम अपने इकलौते को बेटे को हासिल करने की उम्मीद खो बैठे।

जैसलमेर में भेड़ बकरी चरा रहे थे राजू


फिरौती की रकम नहीं मिलने पर बदमाशों ने राजू को भेड़-बकरी चरान के काम पर लगा दिया। स्कूल जाने वाले राजू अब राजस्थान के जैसलमेर में भेड़ बकरियां चराने लगा। दिन में वह भेड़ बकरी चराता और शाम होते ही उसे खेत में बने एक कमरे में बेड़ियों से बांधकर बंद कर दिया जाता था। रात में उसे खाने के लिए एक रोटी और थोड़ी सी चाय दी जाती थी। उसे भरपेट भोजन भी नहीं दिया जाता था। उसने जिंदगी में सिर्फ दाल-रोटी ही खाई है। इसके अलावा वो भोजन में कुछ भी नहीं जानता है। पुलिस कर्मियों ने जब से समोसा दिया तो वह उसे देखकर हैरान रह गया। उसने थोड़ा ही समोसा खाया। अगर कोई भेड़ बकरी बीमार हो गई या मर गई तो इसकी सजा राजू की दी जाती थी।

अपहरण कर्ताओं के चंगुल से ऐसे छूटा राजू

कहा जा रहा है कि जैसलमेर में कुछ भेड़ बकरी खरीदने आए। इनसे राजू ने अपनी आपबीती बताई। फिर इन लोगों ने राजू को भागने में मदद की। भेड-बकरी खरीदारों ने राजू को जैसलमेर से दिल्ली तक लेकर आए। फिर गाजियाबाद जाने वाली ट्रेन में बैठा दिया। राजू को मालूम था कि वो गाजियाबाद का रहने वाला है। वो जब अपने घर तरफ गया तो वहां सबकुछ नजारा बदल गया था। उसे नहीं समझ में आ रहा था कि आखिर उसका घर कहां पर है।

पुलिस स्टेशन पहुंचा राजू

घर नहीं मिलने पर राजू पुलिस स्टेशन पहुंचा। पुलिस वालों को अपनी पूरी कहानी बताई। राजू की कहानी सुनते ही पुलिस कर्मी भी हैरान रह गए। फौरन वो भी पता ढूंढ़ने में जुट गए। लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। फिर पुलिसकर्मियों ने 30 साल पुराना अपहरण के मामले ढूंढ़ना शुरू किया। इस बीच पता चला कि 30 साल पहले थाना साहिबाबाद से एक बच्चा गायब हुआ था। पुलिस खोजते-खोजते उस परिवार तक पहुंच गई। खबर मिलते ही परिवार वाले भाग गकर पुलिस के पास आए और राजू की पहचान कर ली।

मां ने बताई बेटे की पहचान

राजू की मां ने बताया कि उसके बेटे के दिल के पास तिल और सिर पर गड्ढ़ा है। इसी निशान से राजू की पहचान हुई। पुरनी फोटो और पुलिस रिकॉर्ड से भी मिलान किया गया। जिससे तस्वीर और ज्यादा साफ हो गई। बेटे को वापस देखते ही परिजनों ने गले लगा लिया। राजू की 3 बहने हैं और तीनों की शादी हो चुकी है।

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