Google Layoff: गूगल (Google) ने बड़े स्तर छंटनी की है। इसने करीब 6 फीसदी एंप्लॉयीज को बाहर निकाल दिया है। अब अमेरिका में रह रहे छंटनी के शिकार भारतीय कर्मियों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत ये आ रही है कि उन्हें छंटनी से प्रभावित आईटी इंडस्ट्री में 60 दिनों के भीतर ही नई नौकरी खोजनी है। ऐसे ही एक एंप्लायी कुणाल कुमार गुप्ता ने लिंक्डइन पर पोस्ट के जरिए काम की तलाश शुरू की है। कुणाल के मुताबिक H-1B वीजा के नियमों के मुताबिक उनके पास सिर्फ 60 दिन ही हैं नई नौकरी खोजने के लिए और अगर इतने दिनों में उन्हें नौकरी नहीं मिलती है तो उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ेगा।
साढ़े तीन साल काम करने के बाद Google से विदाई
कुणाल कुमार गुप्ता ने कर्नाटक से पढ़ाई करने के बाद अमेरिका के Carnegie Mellon University में मास्टर्स करने गए। इसके बाद उन्होंने गूगल में काम करना शुरू किया। गूगल में कुणाल ने टेक्निकल प्रोग्राम मैनेजर के तौर पर लंबे समय तक काम किया। हालांकि अब साढ़े तीन साल काम करने के बाद उनकी छंटनी हो चुकी है।
उन्होंने गूगल से काम शुरू करने के लिए छह महीने का इंतजार किया था और इस दौरान टीतिंग असिस्टेंट के तौर पर काम किया था। गूगल में काम करने से इमिग्रेशन स्टेटस मेंटेन होता है। अब छंटनी के बाद उनका कहना है कि जिंदगी कभी-कभी ऐसी ही चलती है। कुणाल ने गूगल में अपने अनुभव को शानदार बताया है और अब 60 दिनों के भीतर नई जॉब की जरूरत बताई है। इसी प्रकार से अमेरिका में रह रहे और भारतीयों के सामने छंटनी के बाद दिक्कतें शुरू खड़ी हो गई हैं। गूगल ने 16 साल काम कर चुके एक एंप्लॉयी की भी छंटनी कर दी है।
छंटनी को लेकर क्या कर रही Alphabet Workers Union
गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट दुनिया भर में 12 हजार एंप्लॉयीज की छंटनी कर रही है जो इसके कुल वर्कफोर्स का करीब 6 फीसदी है। अल्फाबेट और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने छंटनी से जुड़े फैसले की पूरी जिम्मेदारी ली है। वहीं अल्फाबेट के वर्कर्स यूनियन ने छंटनी के फैसले की आलोचना की है। यूनियन का कहना है कि कंपनी की लीडरशिप फुल रिस्पांबिलिटी ले तो रही है लेकिन जो 12 हजार कर्मचारी अब बिना काम के हैं, उससे उन्हें थोड़ा भी आराम नहीं है।