जब पूरे भारत में रंगों की बौछार और गुलाल उड़ाने के साथ होली मनाई जाती है, तब झारखंड के संथाल आदिवासी समाज में ये त्योहार एक अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। यहां इसे "बाहा पर्व" कहा जाता है, जिसमें रंगों की जगह फूलों और पानी से होली खेली जाती है। इस समुदाय में रंग लगाने की एक खास परंपरा है—अगर किसी युवक ने किसी अविवाहित लड़की पर रंग डाल दिया, तो उसे या तो शादी करनी पड़ती है या फिर भारी जुर्माना भरना पड़ता है। यही कारण है कि संथाल समाज में पुरुष सिर्फ पुरुषों के साथ ही होली खेलते हैं।