बिहार के बेगूसराय जिले के बरौनी जंक्शन से एक दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां ट्रेन के इंजन और बोगी के बीच एक रेलकर्मी की फंसकर मौत हो गई। रेल कर्मचारी दोनों ट्रेनों की कपलिंग के बीच में फंसकर पिस गया। इस घटना के बाद ट्रेन का लोको पायलट बचाव के बजाय फौरन फरार हो गयाष शख्स करीब 2 घंटे तक फंसा रहा। काफी देर बाद पुलिस की मदद से रेल कर्मचारी को बाहर निकाला गया। परिजनों को जैसे ही इस बात की जानकारी मिली, उनका रो-रो कर बुरा हाल है। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। मृतक की पहचान दलसिंहसराय निवासी शंटिंग मैन अमर कुमार राउत (35) के रूप में हुई है।
बताया जा रहा कि 15204 लखनऊ-बरौनी एक्सप्रेस बरौनी जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर 5 पर आई थी। ट्रेन को शंटिंग में ले जाने के लिए इंजन बदला जाना था। इंजन को बदलने के लिए शंटिंग मैन अमर कुमार राउत इंजन और बोगी के बीच काम कर रहे थे। वो कपलिंग खोल रहे थे। इसके बाद शंटिंग इंजन लगाकर ट्रेन को वॉशिंग पिट पर ले जाया जाता। इंजन को बैक करने के दौरान वह दब गए। मौके पर ही मौत हो गई।
रेलवे की जांच पड़ताल में हुआ बड़ा खुलासा
रेलवे की जो प्राथमिक जांच रिपोर्ट सामने आई है। उसमें पांच अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शंटिंगमैन अमर कुमार और मोहम्मद सुलेमान के बीच शंटिंग प्रक्रिया के दौरान सही तरीके से तालमेल नहीं हुआ। इसकी वजह से सुलेमान ने इंजन ड्राइवर को गलत मैसेज दिया। जिससे अमर कुमार को जान गंवानी पड़ी। बता दें कि रेलवे में कोच को इंजन से अलग करने की जिम्मेदारी शंटिंगमैन की होती है। रिपोर्ट में घटना के लिए प्राथमिक तौर पर सुलेमान को जिम्मेदार ठहराया गया है।
वहीं सुलेमान ने अपने लिखित बयान में इस आरोप का खंडन किया। सुलमान ने इस घटना के लिए इंजन के ड्राइवर (लोको पायलट) को जिम्मेदार ठहराया है। सुलेमान ने कहा कि मैंने और अमर ने कपलर को हटाकर इंजन और बोगी को अलग कर दिया था। इसके बाद अचानक इंजन पीछे की ओर आ गया। सुलेमान का कहना है कि मैंने ड्राइवर को कोई इशारा नहीं दिया था। फिर भी उसने रिवर्स कर दिया। जिससे अमर कुमार बफर्स के बीच फंस गए और उनकी मौत हो गई।
प्लेटफार्म पर मौजूद लोगों ने शोर किया तो ड्राइवर इंजन को आगे करने के बदले वहां से भाग गया। मौके पर बड़ी संख्या में रेलवे कर्मचारी और बरौनी रेलवे कॉलोनी में रह रहे मृतक के परिजन भी घटनास्थल पर पहुंचे हुए। करीब 2 घंटे के बाद शव को निकाला गया। अमर के पिता की भी मौत हो गई थी। इसके बाद अनुकंपा पर उसे यह नौकरी मिली थी।