मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की एक 24 वर्षीय युवा महिला कांस्टेबल शालिनी चौहान (Shalini Chauhan) सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं। दरअसल, इस लेडी सिंघम की कहानी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। इंदौर के महात्मा गांधी स्मृति मेडिकल कॉलेज (MGM Medical College in Indore) में रैगिंग केस (Ragging Case) को सुलझाने में शालिनी ने अहम भूमिका निभाई है। महज 24 साल की शालिनी चौहान (Constable Shalini Chauhan) ने रैगिंग केस की जांच के लिए खुद स्टूडेंट की भूमिका में आई और छात्रों के बीच ही रहकर आरोपियों की पहचान करने में अहम भूमिका निभाई। पूरी तरह से ब्लाइंड इस केस के आरोपियों तक पहुंचाने में शालिनी की अहम भूमिका से मध्य प्रदेश पुलिस भी उनका मुरीद हो गया है।
दरअसल, 'द टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI)' की रिपोर्ट के मुताबिक, इंदौर के इस मेडिकल कॉलेज में कुछ सीनियर छात्रों द्वारा जूनियर स्टूडेंट की रैगिंग करने का मामला सामने आया था। इस मामले में एक पीड़ित छात्रा ने यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGV) की हेल्पलाइन पर रैगिंग की शिकायत की थी। छात्रा की शिकायत के बाद कॉलेज मैनेजमेंट ने अज्ञात सीनियर छात्रों के खिलाफ बीते 24 जुलाई को संयोगितागंज पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया था।
पुलिस ने लंबी पड़ताल के बाद 11 आरोपी सीनियर स्टूडेंट्स की पहचान कर ली है। उसके बाद उनमें से 6 छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया। पहचाने गए संदिग्धों में 9 मध्य प्रदेश के हैं और एक-एक बंगाल और बिहार का है। रिपोर्ट के मुताबिक, पांच अभी फरार बताए जा रहे हैं। महिला पुलिसकर्मी ने तीन महीने इंदौर के इस मेडिकल कॉलेज में बिताए और उन आरोपी सीनियर्स को दबोच लिया, जिन्होंने फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स के साथ बेहद ही क्रूर तरीके से रैगिंग को अंजाम दिया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में शालिनी चौहान ने बताया कि इस केस को हमारे थाना प्रभारी तहजीब काजी और सब इंस्पेक्टर सत्यजीत चौहान लीड कर रहे थे। सीनियर अधिकारियों के निर्देश पर इस मामले की जांच के लिए एक अंडरकवर टीम का गठन किया गया। इस टीम में नव-नियुक्त कांस्टेबल शालिनी को भी शामिल किया गया। शालिनी के अनुसार, उन्हें कुछ स्टूडेंट्स के बारे में फीडबैक देकर उनके बीच रहकर रैगिंग करने वालों की पहचान करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
वह अपना समय कॉलेज की कैंटीन में बिताती थी, बीच-बीच में दिखाई देती थी ताकि उसे शक न हो। चौहान को इस दौरान एक शर्मीली छात्रा बनकर बहुत से लोगों से बात करनी पड़ी, जो उन्हें कुछ चुनौतीपूर्ण लगा। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "मुझे मेरे सीनियर्स ने छात्रों के साथ चीजें साझा करने के लिए कहा था, जिससे उन्हें मुझसे बात करने में आसानी होगी।" आरोपियों को थाने बुलाकर पूछताछ की गई। उनके कॉलेज ने उन्हें तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया।
कैंटीन में रोज 5-6 घंटे टाइम पास करती थीं शालिनी
शालिनी ने बताया कि वह एक स्टूडेंट की तरह कॉलेज में दाखिल हुई थीं। वहां कैंटीन में पांच-पांच, छह-छह घंटे सयम बिताती थीं। इस दौरान वह फ्रेशर स्टूडेंट्स से डिटेल्स बातचीत करती थी। उनसे घुलने मिलने की कोशिश करती थीं, ताकि किसी को अहसास नहीं हो कि वह यहां किसी मिशन पर आई हुई हूं। आखिरकार पुलिस का मिशन कामयाब हो गया और कॉलेज में किसी को भी इस बात की भनक नहीं लग पाई कि वह यहां किसी खास मिशन पर काम कर रही हैं। शालिनी ने बताया कि इस मिशन के दौरान उन्होंने कॉलेज में कई दोस्त बना लिए। इनमें छात्र और छात्राएं दोनों शामिल थे। करीब पांच महीने बाद आखिरकार वह उन सीनियर छात्रों तक पहुंच गई, जिन्होंने इस क्रूर रैगिंग को अंजाम दिया था।
इस मामले को लेकर थानाप्रभारी तहजीब काजी ने शालिनी चौहान की भूमिका की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि वह कॉलेज जाने वाली लड़की जैसी ही दिखती हैं। पुलिस की नेचर की विपरीत वह बातचीत करने में प्यारी हैं। यही कारण है कि छात्रों ने उसका भरोसा कर लिया। अधिकारी ने बताया कि शालिनी देवास जिले के बागली की रहने वाली हैं।