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MahaKumbh 2025: 1000 हाई क्वालिफाइड महिलाएं महाकुंभ मेले में लेंगी संन्यास, दुनिया से मोहभंग के बाद दीक्षा की तैयारी

Prayagraj Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 में सनातन धर्म के 13 अखाड़े तैयारियों में जुटे हैं। इस बार महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। जिसमें उच्च शिक्षित महिलाएं भी शामिल हैं। जूना अखाड़ा नारी सशक्तीकरण में सबसे आगे है,और महिला संतों को पहचान दे रहा है। ये आयोजन आध्यात्मिकता और नारी शक्ति का संगम बनेगा

अपडेटेड Jan 18, 2025 पर 12:34 PM
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Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 आध्यात्मिकता और नारी सशक्तीकरण का अद्भुत संगम प्रस्तुत करेगा।

MahaKumbh 2025: महाकुंभ 2025 के लिए सनातन धर्म के 13 अखाड़े तैयारियों में जुटे हैं। मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से पहले बड़ी संख्या में नए साधुओं को दीक्षा दी जाएगी। इस बार की खास बात है कि महिलाओं की भागीदारी पहले से अधिक हो रही है। नारी शक्ति ने संन्यास के पवित्र मार्ग में रुचि दिखाई है, जिससे आयोजन में एक नई दिशा देखने को मिल रही है। विभिन्न अखाड़ों में दीक्षा की तैयारियां जोरों पर हैं, और महिलाओं का इस प्रक्रिया में जुड़ाव तेजी से बढ़ रहा है।

महाकुंभ का यह आयोजन सिर्फ आध्यात्मिकता का प्रतीक नहीं, बल्कि नारी सशक्तीकरण का भी उदाहरण बन रहा है।सनातन धर्म के लिए यह पल गर्व का है, जहां परंपरा और आध्यात्मिकता का संगम देखने को मिल रहा है। नारी शक्ति की यह भागीदारी आयोजन को और भी खास बना रही है।

महिला संन्यासियों की बढ़ती संख्या


प्रयागराज महाकुंभ 2025 नारी सशक्तीकरण का गवाह बनने जा रहा है। मातृ शक्ति ने अखाड़ों से जुड़ने में विशेष रुचि दिखाई है। इसका परिणाम यह है कि इस बार महाकुंभ में सबसे अधिक महिला संन्यासियों को दीक्षा दी जाएगी। जूना अखाड़े की महिला संत दिव्या गिरी के मुताबीक, अकेले श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े में 200 से अधिक महिलाएं संन्यास दीक्षा लेंगी। सभी अखाड़ों को मिलाकर यह संख्या 1000 से अधिक होने की संभावना है।

उच्च शिक्षित महिलाओं का बढ़ता झुकाव

सनातन धर्म में संन्यास लेने के अलग-अलग कारण बताए गए हैं, जिनमें आध्यात्मिक अनुभूति, सांसारिकता से मोहभंग, या परिवार में किसी दुर्घटना के चलते वैराग्य प्रमुख हैं। इस बार दीक्षा संस्कार में उच्च शिक्षित महिलाओं की संख्या ज्यादा है। गुजरात के राजकोट की राधेनंद भारती, जो कालिदास रामटेक यूनिवर्सिटी से संस्कृत में पीएचडी कर रही हैं, इस महाकुंभ में संन्यास दीक्षा लेंगी। राधेनंद ने अपने घर और व्यवसायिक जीवन को छोड़कर पिछले 12 वर्षों से गुरु की सेवा में समर्पित हैं।

जूना अखाड़े में महिला संतों को नई पहचान

जूना अखाड़ा महिला संतों को सम्मान और पहचान देने में सबसे आगे है। इस बार, जूना अखाड़े के महिला संतों के संगठन 'माई बाड़ा' को नया नाम 'दशनाम संन्यासिनी श्री पंचदशनाम जूना' दिया गया है। महिला संत दिव्या गिरी ने बताया कि यह प्रस्ताव महिला संतों ने संरक्षक महंत हरि गिरी के सामने रखा था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। महाकुंभ के मेला क्षेत्र में महिला संतों का शिविर अब इसी नाम से स्थापित होगा।

आध्यात्मिकता और नारी शक्ति का संगम

महाकुंभ 2025 आध्यात्मिकता और नारी सशक्तीकरण का अद्भुत संगम प्रस्तुत करेगा। महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और उच्च शिक्षित संन्यासिनियों का इस आयोजन में योगदान महाकुंभ को एक नई दिशा प्रदान करेगा।

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