प्रयागराज में महाकुंभ मेला लगने वाला है। यहां के जगराम समोसा अपने अनोखे स्वाद के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं। खासतौर पर यहां मिलने वाले सूखे समोसे बेहद लोकप्रिय हैं। इनका स्वाद इतना स्वादिष्ट है कि त्योहारों और विशेष आयोजनों के दौरान इनकी मांग भारत के साथ-साथ विदेशों में भी काफी बढ़ जाती है। लोग इन समोसे को ड्राई फ्रूट्स के साथ बड़े चाव से खाते हैं, और विदेशों में बसे लोग इन्हें अपने परिवार और दोस्तों के लिए विशेष रूप से मंगवाते हैं। जगराम समोसे की खासियत यह है कि ये 15-20 दिनों तक ताजा रहते हैं। इन्हें पुराने आलू, देसी मसालों और शुद्ध घी का उपयोग कर तैयार किया जाता है।
सौ साल पुरानी इस परंपरा को अब तीसरी पीढ़ी संभाल रही है। इसका स्वाद इतना लाजवाब है कि एक बार चखने के बाद लोग इसे बार-बार खरीदना पसंद करते हैं, जिससे यह प्रयागराज की खास पहचान बन चुका है।
दुकानदार अमित गुप्ता बताते हैं कि इन समोसे की खासियत यह है कि ये 15-20 दिन तक खराब नहीं होते। आकार में ये सामान्य समोसे की तुलना में छोटे होते हैं। लगभग आधा इंच के ये सूखे समोसे खासतौर पर मेहमानों के स्वागत के लिए और त्योहारों जैसे होली और दीपावली पर पसंद किए जाते हैं। प्रयागराज के लगभग हर घर में आपको ये छोटे समोसे मिल जाएंगे।
अमित गुप्ता बताते हैं कि उनकी दुकान करीब 100 साल पुरानी है। और समोसे को बनाने की विधि अनोखी है। इसे तैयार करने के लिए एक किलो पुराने आलू को 300 ग्राम शुद्ध घी और देसी मसालों के साथ पकाया जाता है। आलू को उबालकर मैश किया जाता है और फिर उसमें धनिया, मिर्च, गरम मसाला और कुछ खास मसाले मिलाए जाते हैं। यही प्रक्रिया इसे खास बनाती है और लंबे समय तक ताजा बनाए रखती है।
इस अनोखे समोसे की कीमत 560 रुपये प्रति किलोग्राम है और एक पीस 10 रुपये में मिलता है। अपने स्वादिष्ट स्वाद और लंबे समय तक ताजा रहने की क्षमता के कारण जगराम समोसा न केवल प्रयागराज की शान है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और स्वादिष्ट धरोहर का प्रतीक भी बन चुका है।
अमित गुप्ता बताते हैं कि उनकी दुकान अब तीसरी पीढ़ी तक पहुंच चुकी है। उनके दादाजी और पिताजी के बाद अब वे खुद इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।