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Mahaparinirvan Diwas 2024: डॉ. भीमराव आंबेडर की पुण्यतिथि को मनाया जाता है महापरिनिर्वाण दिवस, आखिर ऐसा क्यों? जानिए पूरी डिटेल

BR Ambedkar Death Anniversary 2024: 6 दिसंबर को भारतरत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस है। उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस महाराष्ट्र में राज्य सरकार की ओर से छुट्टी रहती है। डॉक्टर आंबेडकर को संविधान का जनक कहा जाता है। 06 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु हुई थी। उन्हें बाबा साहब के नाम से जाना जाता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 06, 2024 पर 10:34 AM
Mahaparinirvan Diwas 2024: डॉ. भीमराव आंबेडर की पुण्यतिथि को मनाया जाता है महापरिनिर्वाण दिवस, आखिर ऐसा क्यों? जानिए पूरी डिटेल
BR Ambedkar Death Anniversary 2024: भारतीय संविधान के निर्माता, समाज सुधारक, बुद्धिजीवी और चिंतक डॉ भीमराव आंबेडकर ने जो देश को दिया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

डॉक्टर भीमराव रामजी आंबेडकर, जिन्हें हम सब डॉक्टर बाबा साहब आंबेडकर के नाम से भी जानते हैं। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को संविधान का जनक कहा जाता है। 06 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु हुई थी। हर साल 06 दिसंबर के दिन को बाबा साहब की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे का कारण है बाबा साहेब को सम्मान और श्रद्धांजलि देना है। भारतीय संविधान के निर्माता, समाज सुधारक, बुद्धिजीवी और चिंतक डॉ भीमराव अंबेडकर ने जो देश को दिया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

महापरिनिर्वाण का अर्थ बौद्ध धर्म में आत्मा की मुक्ति से है। इस दिन को आंबेडकर की महान आत्मा की शांति और उनकी अमूल्य सेवा को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर का जन्म एक मराठी दलित परिवार में हुआ था। वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई मुरबादकर की 14वीं और अंतिम संतान थे। उनका परिवार रत्नागिरी जिले के अंबावडे नामक गांव से था। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के मऊ शहर में हुआ था।

जानिए परिनिर्वाण क्या है

परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में से एक है। इसका मूल रूप से मतलब 'मौत के बाद निर्वाण' है। बौद्ध धर्म के अनुसार, जो निर्वाण प्राप्त करता है वह संसारिक इच्छाओं और जीवन की पीड़ा से मुक्त होगा। वह जीवन चक्र से मुक्त होगा यानी वह बार-बार जन्म नहीं लेगा। लेकिन निर्वाण को हासिल करना आसान नहीं होता है। इसके लिए सदाचारी और धर्मसम्मत जीवन व्यतीत करना पड़ता है। बौद्ध धर्म में 80 साल में भगवान बुद्ध के निधन को महापरिनिर्वाण कहा जाता है।

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