Mahila Naga Sadhu: महिलाएं कैसे बनती हैं नागा साधु? जानिए इनकी रहस्यमयी दुनिया

Female Naga Sadhu: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला लगा हुआ है। यहां नागा साधु सुर्खियां बटोर रहे हैं। शाही स्नान सबसे पहले नागा साधु ही करते हैं। इसबीच महाकुंभ मेले में महिला नागा साधु भी नजर आ रही हैं। ऐसे में आइये जानते हैं महिलाएं नागा साधु कैसे बनती हैं और इन्हें किस तरह की परीक्षा के दौर से गुजरना होता है

अपडेटेड Jan 16, 2025 पर 1:57 PM
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Female Naga Sadhu: महाकुंभ के आगाज होते ही अघोरी और नागा साधु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। पुरुषों के साथ ही महिला नागा साधु भी नजर आ रही हैं।

महाकुंभ में नागा साधु हमेशा से लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचते हैं। नागा साधुओं की विचित्र दुनिया ज्यादातर लोगों के लिए चर्चा का विषय बन गया है। इसकी वजह ये है कि सांसरिक मोह माया को त्याग चुके नागा साधु एक अलग तरह का जीवन जीते हैं। नागा साधु 17 श्रृंगार करके शिव भक्ति में लीन रहते हैं। महाकुंभ मेले मेले में पुरुषों की तरह महिला नागा साधु भी नजर आ रही हैं। बहुत से लोग जानना चाहते हैं होंगे कि आखिर नागा साधु किसे कहते हैं और महिलाएं कैसे नागा साधु बनती हैं? आइये सबसे पहले जानते हैं कि नागा साधु किसे कहते हैं?

नागा शब्द संस्कृत के ‘नग’ से बना है। नग मतलब पहाड़। यानी पहाड़ों या गुफाओं में रहने वाले नागा कहलाते हैं। 9वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने दशनामी संप्रदाय की शुरुआत की थी। ज्यादातर नागा संन्यासी इसी संप्रदाय से आते हैं। इन संन्यासियों को दीक्षा देते वक्त दस नामों से जोड़ा जाता है। ये दस नाम हैं- गिरी, पुरी, भारती, वन, अरण्य, पर्वत, सागर, तीर्थ, आश्रम और सरस्वती। इसलिए नागा साधुओं को दशनामी भी कहा जाता है।

महिलाएं कैसे बनती हैं नागा साधु


महिलाओं के लिए नागा साधु बनने का रास्ता बेहद कठिन है। इसमें 10 से 15 साल तक कठोर ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना पड़ता है। गुरु को अपनी योग्यता और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रमाण देना होता है। महिला नागा साधुओं को जीवित रहते हुए अपना पिंडदान और मुंडन भी जरूर करना होता है। नागा साधु बनने की प्रक्रिया में महिलाओं को कई कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। जब अखाड़े के गुरु को उस महिला पर भरोसा हो जाता है, तो वो दीक्षा देते हैं। दीक्षा के बाद महिला संन्यासी को सांसारिक कपड़ा छोड़कर अखाड़े से मिला पीला या भगवा कपड़े पहनना होता है। इन्हें माता की पदवी दी जाती है।

महिला नागा साधु को माता कहा जाता है

महिला नागा साधु को नागिन, अवधूतनी या माई कहा जाता है। ये कपड़े पहनती हैं। महिला नागा साधुओं के लिए यह नियम है कि उन्हें केसरिया कपड़े पहनना ही होता है। वे दिगंबर नहीं रह सकतीं। कुंभ के दौरान महिला नागा साधुओं के लिए माई बाड़ा बनाया जाता है, जिनमें सभी महिला नागा साधु माताएं रहती हैं।

जूना अखाड़ा में सबसे ज्यादा महिला नागा साधु

जूना अखाड़ा देश का सबसे बड़ा और पुराना अखाड़ा है। ज्यादातर महिला नागा इसी से जुड़ी हैं। साल 2013 में पहली बार इससे महिला नागा जुड़ीं थीं। सबसे ज्यादा महिला नागा इसी अखाड़े में हैं। इसके अलावा आह्वान अखाड़ा, निरंजन अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, अटल अखाड़ा और आनंद अखाड़े में भी महिला नागा हैं।

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Jitendra Singh

Jitendra Singh

First Published: Jan 16, 2025 1:51 PM

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