महाकुंभ एक ऐसा जमघट है, जो हिंदू धर्म और लोगों की आस्था का प्रतीक है। महाकुंभ में नागा साधुओं का स्नान सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है। हर बार नागा साधु महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बनते हैं। पहला शादी स्नान का अधिकार भी नागा साधुओं को ही दिया गया है। इस बीच महाकुंभ मेले में नागा साधुओं की काफी चर्चा हो रही है। आम लोगों में नागा साधुओं को लेकर तरह-तरह की धारणा है। आम आदमी नागा साधु कैसे बनता है, इसके पीछे कितनी कठिन तपस्या से उसको गुजरना पड़ता है, शायद लोग यह बात नहीं जानते होंगे। इस कठिन परीक्षा के दौरान उसके ऊपर पूरी निगाह रखी जाती है।
नागा बनने के लिए परीक्षा के दौरान ही उसको स्वयं का पिंडदान और तर्पण यानी खुद का क्रिया-कर्म तक करना पड़ता है। इसकी वजह ये है कि इससे उसके मन में वैराग्य उत्पन्न होता है। इसके बाद सभी परीक्षाओं में पास होने के बाद ही उसको नागा साधु बनाया जाता है। इसलिए किसी के लिए भी नागा बनना आसान काम नहीं है।
नागा बनने के लिए सबसे पहले होती है ब्रह्मचर्य की परीक्षा
जब भी कोई व्यक्ति किसी अखाड़े में साधु बनने जाता है तो कभी भी उसे सीधे अखाड़े में शामिल नहीं किया जाता। जिस अखाड़े में वो शामिल होने जाता है उस अखाड़े के लोग उसके बारे में अपने स्तर पर पूरी जानकारी एकत्र करते हैं। मसलन, वह किस परिवार से ताल्लुक रखता है, उसकी पारिवारिक स्थिति कैसी है। वह साधु क्यों बनना चाहता है और क्या वह साधु बनने लायक है कि नहीं। यदि सब कुछ ठीक होता है तो फिर शुरू होता है उसकी परीक्षा का दौर शुरू होता है। सबसे पहले उसे अखाड़े में दाखिल होने के बाद उसकी ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है। जिसमें कम से कम 6 महीने और ज्यादा से ज्यादा 12 साल लग जाते हैं। जब उस अखाड़े का मुखिया पूरी तरह से संतुष्ट हो जाता है और इस बात का पूरी तरह से ज्ञान हो जाता है कि वह व्यक्ति वासना और इच्छाओं से मुक्त हो चुका है तभी उसको अगली प्रक्रिया में ले जाया जाता है।
रात 2 बजे दी जाती है नाग दीक्षा
नागा बनने की दीक्षा रात्रि के सबसे शांत समय, 2 बजे से 2.30 बजे के बीच शुरू होती है। यह प्रक्रिया 48 घंटे तक चलती है। पहले इस प्रक्रिया में झटके दिए जाते थे। जिससे कई साधु जान गंवा बैठते थे। अब दीक्षा के दौरान आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां पिलाई जाती हैं। जिससे साधु अपने मन को पूरी तरह से कंट्रोल कर लेते हैं।
24 घंटे में सिर्फ एक बार भोजन का अधिकार
नागा साधुओं को एक दिन में सिर्फ सात घरों से भिक्षा मांगने की इजाजत होती है। अगर उनको इन घरों में भिक्षा नहीं मिलती है, तो उनको भूखा ही रहना पड़ता है। नागा संन्यासी दिन में सिर्फ एक बार ही भोजन करते हैं। नागा साधू हमेशा नग्न अवस्था में रहते हैं। युद्ध कला में माहिर होते हैं। यह अलग-अलग अखाड़ों में रहते हैं। जुना अखाड़े में सबसे ज्यादा नागा संन्यासी रहते हैं। आदिगुरु शंकराचार्य ने अखाड़े में नागा साधुओं के रहने की परंपरा की शुरुआत की थी।