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Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेले में ये संत हैं IITs से पासआउट, करोड़ों की नौकरी छोड़ चुना आध्यात्म का रास्ता

आईआईटियन ने बड़ी नौकरियां छोड़कर आध्यात्मिकता अपनाई और शांति की तलाश की। उन्होंने करियर छोड़कर ध्यान, साधना और ज्ञान बांटने का रास्ता चुना। उनकी कहानियां बताती हैं कि असली संतोष और खुशी बाहर नहीं, बल्कि हमारे अंदर की खोज से मिलती है।

अपडेटेड Jan 15, 2025 पर 14:21
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रसनाथ दास आईआईटी और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से पढ़े रसनाथ दास ने वॉल स्ट्रीट की चकाचौंध छोड़कर आत्म-साक्षात्कार के लिए आध्यात्मिक रास्ता चुना। आज वे लोगों को अपने भीतर झांकने और शांति पाने की राह दिखा रहे हैं।(image source: social media)

आईआईटियन बाबा
आईआईटी-बॉम्बे के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के छात्र ने शानदार करियर छोड़कर आध्यात्मिक जीवन चुना। अब वे सरल और शांत जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।(image source: social media)

खुर्शीद बटलीवाला
आईआईटी-बॉम्बे से मास्टर्स करने वाले खुर्शेद ने कॉर्पोरेट जॉब के बजाय लोगों को प्रेरित करने का रास्ता अपनाया। आज वे आध्यात्मिक और प्रेरक कार्यक्रमों के जरिए जीवन को बेहतर बनाने का संदेश देते हैं।(image source: social media)

स्वामी मुकुंदानंद
आईआईटी दिल्ली और एमबीए के बाद स्वामी मुकुंदानंद ने कॉर्पोरेट दुनिया छोड़कर आश्रम की ओर रुख किया। अब वे अपनी संस्था के जरिए आत्मिक शांति पाने में लोगों की मदद कर रहे हैं।(image source: social media)

अविरल जैन
आईआईटी बीएचयू के अविरल जैन ने 2019 में हाई-पेइंग जॉब छोड़कर "आंतरिक शांति का कोड" ढूंढने की यात्रा शुरू की। आज वे ध्यान और आत्मज्ञान का संदेश फैला रहे हैं।(image source: social media)

संकेत पारेख
आईआईटी-बॉम्बे के केमिकल इंजीनियर संकेत ने आध्यात्मिक मुक्ति के लिए अपना करियर छोड़ा। अब वे साधना और ध्यान के माध्यम से आत्मज्ञान की ओर बढ़ रहे हैं।(image source: social media)

आचार्य प्रशांत
आईआईटी दिल्ली के आचार्य प्रशांत ने अपना नाम और करियर दोनों छोड़ा। आज वे "धर्म वार्ता" के जरिए जीवन और आध्यात्मिकता के गहरे रहस्यों को सुलझाने में मदद कर रहे हैं।(image source: social media)

महान एमजे
आईआईटी कानपुर और बर्कले से पढ़े महान एमजे ने टेक्नोलॉजी की जगह शिक्षा और आध्यात्मिकता को चुना। अब वे प्रोफेसर और आध्यात्मिक गाइड के रूप में कार्य कर रहे हैं।(image source: social media)

राधेश्याम दास
आईआईटी बॉम्बे से मास्टर्स करने के बाद राधेश्याम दास ने 1997 में आध्यात्मिक केंद्र की स्थापना की और तब से लाखों लोगों को आत्मिक विकास का मार्ग दिखा रहे हैं।(image source: social media)