Monkey Trading: श्रीलंका की राह पर चला नेपाल, चीन को बेचेगा बंदर, जानिए क्यों

Monkey Trading: भारत के पड़ोसी देश चीन में हमेशा बंदरों की डिमांड बनी रहती है। इस डिमांड की पूर्ति के लिए चीनी वैज्ञानिकों ने बंदरों का क्लोन भी तैयार किया है। कुछ दिनों पहले चीन ने श्रीलंका से बंदर खरीदने का प्लान बनाया था। वहीं अब नेपाल ने अपने देश के बंदरों के बेचने के लिए चीन के सामने प्रस्ताव रखा है

अपडेटेड Feb 11, 2025 पर 1:21 PM
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Monkey Trading: नेपाल में बढ़ते बंदरों की वजह से फसलें बर्बाद हो रही हैं। ऐसे में सरकार ने चीन को बंदर बेचने की तैयारी की है।

भारत का पड़ोसी देश नेपाल अब श्रीलंका के नक्शे कदम पर चलने की तैयारी कर ली है। नेपाल और श्रीलंका में चीन की कितनी दखलंदाजी है, यह पूरी दुनिया जानती है। इस बीच नेपाल ने भी श्रीलंका की तरह चीन को बंदर बेचने की तैयारी कर ली है। इसके लिए नेपाल की ओर से चीन के सामने प्रस्ताव भी रखा गया है। अगर सबकुछ ठीक रहा, तो चीन जल्द ही नेपाल से बंदर खरीदना शुरू कर देगा। दरअसल, नेपाल में बंदरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इससे लोगों को दिक्कतें हो रही है। इसके साथ ही बढ़ती बंदरों की वजह से फसलें चौपट हो रही है।

बढ़ते बंदरों से छुटकारा पाने के लिए सरकार कमाई का सौदा कर सकती है। हालांकि अभी तक नेपाल सरकार के प्रस्ताव के पर कोई फैसला नहीं आया है। यह सिर्फ एक प्रस्ताव है। नेपाली कांग्रेस के सांसद राम हरि खातीवाड़ा ने कहा कि बंदरों के कारण फसलों को नुकसान हो रहा है। ऐसे में इससे निपटने के लिए चीन को बंदर बेचने का प्रस्ताव रखा है।

श्रीलंका की राह पर नेपाल


सांसद राम हरि खातीवाड़ा का कहना है कि बंदरों को चीन भेजकर कृषि से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। उन्होंने श्रीलंका का हवाला देते हुए कहा कि उसने भी चीन को बंदर बेचे हैं, नेपाल को भी इस रणनीति पर काम करना चाहिए। नेपाली कांग्रेस के सांसद ने कहा कि देश में बंदरों आतंक है। खेतों में फसलों को बंदर नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्रीलंका ने अपने बंदरों को चीन को बेचा और इससे उसने पैसे भी कमाए हैं। इसके अलावा, श्रीलंका ने दूसरे अन्य जानवरों की भी बिक्री है, जिससे उससे नुकसान हो रहा था।

नेपाल के लिए बंदरों की बिक्री आसान नहीं है

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेपाल में तीन तरह के बंदर पाए जाते हैं। रीसस मैकाक (मकाका मुल्टा), असमिया बंदर (मकाका असामेंसिस) और हनुमान लंगूर (सेमनोपिथेकस एंटेलस)। रीसस बंदरों को लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कन्वेंशन (CITES) के तहत लिस्ट किया गया है। लिहाजा इनके इंटरनेशनल बिजनेस पर रोक लगाई गई है। दोषियों को 5 से 15 साल तक की जेल हो सकती है। इसके अलावा 10 लाख नेपाली रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। ऐसे में नेपाल के लिए बंदर बेचकर पैसा कमाना आसान नहीं है।

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First Published: Feb 11, 2025 12:52 PM

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