करीब चार सौ लोगों को बारी-बारी से ठगने वाला नटवर लाल सत्तर के दशक में खुद ठगी का शिकार बन गया था। दशकों के उसके आपराधिक जीवन में उसने ताज महल और लाल किले तक को बेच डाला था। संसद भवन को बेचने के लिए तो उसने राष्ट्रपति डा.राजेंद्र प्रसाद का नकली हस्ताक्षर कर दिया था। यह संयोग ही था कि डा. प्रसाद और नटवरलाल दोनों बिहार के अविभाजित सारण जिले के जिरादेई के मूल निवासी थे। अब जिरादेई सिवान जिले में है।