Nikesh Arora: भारतीय मूल के टेक सीईओ निकेश अरोड़ा के नाम एक नई उपलब्धि जुड़ गई है। गूगल से लेकर सॉफ्टबैंक तक कीर्तिमानों की झड़ी लगाने वाले अरोड़ा अब दुनिया के सबसे नए और 2024 के सबसे पहले अरबपति बन गए हैं। ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स के मुताबिक निकेश अरोड़ा साल 2024 के पहले अरबपति बने हैं। साल के पहले बिलेनियर के साथ-साथ वो उन चुनिंदा टॉप टेक बिलेनियर्स में से एक हैं, जो नॉन-फाउंडर हैं। निकेश अरोड़ा मौजूदा समय में साइबर सुरक्षा कंपनी पालो ऑल्टो नेटवर्क्स के सीईओ हैं। इस कंपनी का मार्केट कैप 91 अरब डॉलर से अधिक है। वैसे तो निकेश लंबे समय से अमेरिकी कंपनियों से जुड़े हुए हैं, लेकिन उनकी जड़ें भारत से जुड़ी हुई हैं।
निकेश अरोड़ा का जन्म दिल्ली के पास गाजियाबाद में हुआ था। उनके पिता एक भारतीय वायु सेना अधिकारी थे। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा द एयर फ़ोर्स स्कूल से पूरी की। अपनी स्कूली शिक्षा के बाद, निकेश बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology -IIT) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की।
निकेश ने नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी से किया MBA
अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद स्टडी के लिए अमेरिका चले गए। उन्होंने बोस्टन की नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी से MBA किया। उन्होंने साल 1992 में Fidelity Investments से अपने करियर की शुरुआत की। यहां उन्होंने वित्त और टेक्नोलॉजी में कई अहम भूमिकाएं निभाईं। निकेश दिन में जॉब और रात में चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट की पढ़ाई करते थे। 1995 में उनकी डिग्री पूरी हुई। सॉफ्टबैंक के पूर्व COO निकेश अरोड़ा का नाम दुनिया में सबसे ज्यादा पैकेज पाने वाले CEO में आता है। उन्हें साइबर सिक्युरिटी कंपनी पालो अल्टो नेटवर्क ने 860 करोड़ रुपए सालाना के पैकेज पर हायर किया था। तब से वे अक्सर सुर्खियों में रहते हैं।
2012 में बने गूगल के सबसे महंगे कर्मचारी
निकेश सबसे पहले उस समय चर्चा में आए थे, जब वह 2012 में गूगल के सबसे महंगे कर्मचारी बने थे। उन्हें तब गूगल में करीब 51 मिलियन डॉलर का पैकेज दिया गया था, जो किसी भी दूसरे एग्जीक्यूटिव के मुकाबले ज्यादा था। वहां से सॉफ्टबैंक के मासायोशी सान निकेश को अपनी कंपनी में ले गए। उस समय तक गूगल में निकेश के स्टॉक अवार्ड की वैल्यू 200 मिलियन डॉलर को पार चुकी थी.। निकेश ने गूगल में नौकरी करने से पहले T-Motion में काम कर चुके थे।
बर्गर बेचे, सिक्युरिटी गार्ड की जॉब की
जब निकेश अमेरिका में पढ़ाई करने जा रहे थे। तब उनके पिता ने 75000 रुपये दिए थे। यह पैसे बहुत कम थे। ऐसे में वहां अपना खर्चा निकालने के लिए निकेश अलग-अलग जॉब करते थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि यूएस में पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए उन्होंने बर्गर शॉप पर सेल्समेन और सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी भी की थी।