Monkeypox vs COVID: कोरोना वायरस महामारी का कहर अभी खत्म भी नहीं हुआ कि मंकीपॉक्स का कहर शुरू हो गया है। पूरी दुनिया में मंकीपॉक्स की तेजी से पांव पसार रहा है। इससे एक बार फिर से कई देशों में मंकीपॉक्स को लेकर चिंता का माहौल है। मंकीपॉक्स की आहट आते ही कई देशों ने इससे निपटने के लिए गाइडलाइंस भी जारी कर दी है। इस बीच कुछ लोग मंकीपॉक्स और कोरोना वायरस को एक ही संक्रमण समझ रहे हैं। बता दें कि यह दोनों अलग-अलग संक्रमण हैं।
मंकीपॉक्स को कोरोनावायरस के मुकाबले कम संक्रामक और खतरनाक माना जा रहा है। मंकीपॉक्स एक नया वायरल संक्रमण है। इसमें शरीर और चेहरे पर दाने हो जाते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने कहा है कि लक्षणों वाले पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में ज्यादा मामले सामने आए हैं। मंकीपॉक्स दुनिया के करीब 30 देशों को अपनी चपेट में ले चुका है। आपको बताते हैं कि मंकीपॉक्स और कोरोना में कितना अंतर है ?
यह एक दुर्लभ बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होती है। मंकीपॉक्स वायरस Poxviridae परिवार में ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से संबंधित है। मंकीपॉक्स के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों के दर्द, पीठ दर्द, सूजी हुई लसीका ग्रंथियां, ठंड लगना और थकावट आदि शामिल हैं। बुखार आने के 1 से 3 दिनों के भीतर रोगी को एक दाने हो जाते हैं, जो अक्सर चेहरे पर शुरू होता है और फिर शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैं। मनुष्यों में वायरस जानवरों के काटने या संक्रमित जानवरों के खून, शारीरिक तरल पदार्थ, त्वचा के घावों और श्वसन बूंदों के सीधे संपर्क से फैलता है।
कोरोना वायरस का कहर पिछले दो साल से थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसे कोविड-19 के नाम से जाना जाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, यह एक संक्रामक रोग है जो SARS Cov-2 के कारण होता है। हालांकि कोवड-19 को एक वैक्सीन, दवाओं और अन्य उपायों से इसको रोकने की कोशिश की जा रही है।
जानिए कोरोना और मंकीपॉक्स में अंतर
WHO के अनुसार, मंकीपॉक्स वायरस मनुष्य से मनुष्य में बहुत कम फैलता है। लेकिन अगर यह फैलता है तो त्वचा से त्वचा के संपर्क में आने से फैल सकता है। यह एक ऐसा तरीका है, जिसमें मंकीपॉक्स कोरोना वायरस से बिल्कुल अलग है।
एक स्टडी में कहा गया है कि कोरोना वायरस खास तौर से सांस की बूंदों जैसे खांसी या छीक से छह फीट की दूरी तक फैलता है। बाद में रिसर्च में पता चला कि कोरोनावायरस एरोसोल नाम बहुत छोटे कणों से फैल सकता है।
मंकीपॉक्स श्वसन की बूंदों और फोमाइट्स के जरिए भी फैलता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कोविड-19 जितनी तेजी से फैलता नहीं है। कोरोना वायरयस एक सिंगल स्टैंडर्ड RNA वायरस है। जिसमें लंबी दूरी तक फैलने की क्षमता है। जबकि मंकीपॉक्स वायरस एक डबल स्टैंडर्ड DNA है। इसका मतलब है कि यह बड़ा और भारी है, जो कि कोविड-19 के मुकाबले ज्यादा दूर तक नहीं फैल सकता।
कोविड-19 की तरह मंकीपॉक्स वायरस भी संक्रमित मां से बच्चे में प्लेसेंटा के जरिए फैल सकता है। बीएमजे जर्नल में छपी एक स्टडी के मुताबिक मां से बच्चे में मंकी पॉक्स संक्रमण की दर बेहद कम है।