पानी पूरी या फिर गोलगप्पा एक ऐसा स्ट्रीट फूड है जिसकी टपरी आपको कदम कदम पर मिल जाएगी। हालांकि इन टपरी वालों को देख कर मन में कई बार ऐसा सवाल आता है कि आखिर ये लोग कमाते कितना होंगे। भले ही पानी पूरी या गोलगप्पों का ठेला लगाकर ज्यादा पैसा ना कमाया जा सके पर इसमें इस्तेमाल होने वाली पूरियों या फिर फुचकों का बिजनेस आपको लखपति बना सकता है।
पानीपूरी का बिजनेस बना सकता है लखपति
कर्नाटक के रहने वाले 36 साल के मनोज ने एक ऐसी ही मिसाल कायम की है। कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के पुत्तूर तालुक के दरंदाकुक्कू माने गांव के 36 वर्षीय मनोज ने पानी पूरी में इस्तेमाल की जाने वाली पूड़ियों के इर्द गिर्द ही अपनी एक छोटी सी दुनिया बसा ली है। मनोज एक फैक्ट्रीनुमा कमरे में इन पूड़ियों को बनाते हैं। यह पूरा काम मशीन से किया जाता है। एक बार जब पूड़ियां बन जाती हैं तो उनको पैकेट में भर दिया जाता है। अब मनोज अपने इस बिजनेस से हर महीने लाखों का धंधा कर रहे हैं।
कैसे आया बिजनेस का आइडिया
2 साल पहले अपने होम टाउन दरंदाकुक्कू लौटने से पहले मनोज मंगलुरू में रहते थे। वहां पर मनोज ने लगभग पांच सालों तक सिटी बस के ड्राइवर के तौर पर का किया। इसके बाद उन्होंने कुछ समय के लिए ऑटो रिक्शा भी चलाया। शहर में ऑटो चलाने के दौरान वे देखते थे कि कैसे लोग हर जगह पानी पूरी की दुकानों पर आते हैं। खास तौर पर शाम के समय कई सारे लोग पानी पूरी के स्टॉल से उनके रिक्शा को बुक करते थे। उन्होंने महसूस किया कि पूड़ी की बहुत मांग है जिसकी इन पानी पुरी विक्रेताओं और चाट कॉर्नरों को अपने डेली बिजनेस के लिए जरूरत पड़ती है।
सोलर एनर्जी से चलने वाली मशीनें करते हैं इस्तेमाल
मनोज ने अपनी मां मोहिनी और पत्नी धन्या से इस बारे में चर्चा की और घर पर पूड़ियां बनाकर पानी-पूरी बेचने वालों को बेचना शुरू कर दिया। उन्होंने ऑटो रिक्शा चलाना नहीं छोड़ा। परिवार प्रतिदिन 4 से 5 किलो पूड़ियाँ हाथ से बनाता था और कुछ अलग से कमाई के लिए उनको बेचता था। पूड़ियों की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए उन्होंने पूरी तरह से इस बिजनेस में उतरने का फैसला किया। मनोज ने कुछ रिसर्च करने के बाद सोलर एनर्जी से चलने वाली मशीन को खरीदा, जिसकी कीमत 2.9 लाक रुपये थी। हालांकि सोलर मषीन होने की वजह से मनोज को 70,000 रुपये की सब्सिडी मिली।
हर दिन बनाते हैं 40 किलो पूड़ियां
इसके बाद मनोज ने अपने घर के पिछले हिस्से में पूड़ियों को बनाने का एक यूनिट स्थापित किया। जिसमें वे रोज 40 किलो पूड़ियां बनाते हैं। हालांकि यह ऑर्डर कभी कभी ज्यादा भी हो जाता है। मनोज के इस काम में उनके पड़ोसी भी उनका हाथ बंटा रहे हैं। वहीं सिर्फ पूड़ियां बेच कर ही मोनज और उनका परिवार हर महीने 5 लाख रुपये कमा रहा है। मनोज ने कहा कि पहले हमको केवल 4-5 पूड़ियां बनाने में ही कई घंटे लगते थे लेकिन इस नई मशीन ने हमारा काम आसान बना दिया है। मैं अब ऑटो नहीं चलाता हूं।