Ratan Tata First Job Story: भारत के सबसे बड़े समूह Tata Sons के पूर्व चेयरमैन और दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। 86 वर्षीय टाटा का बुधवार (9 अक्टूबर) को मुंंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। टाटा ग्रुप के प्रतिष्ठित चेहरे रतन टाटा 150 साल से भी ज्यादा पुरानी विरासत को आगे ले जा रहे थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने अपने शानदार करियर की शुरुआत एक प्रभावशाली CV के साथ नहीं, बल्कि JRD टाटा के एक कॉल के बाद एक सिंपल टाइप किए गए रिज्यूमे (resume) से की थी।
जी हां, रतन टाटा ने IBM ऑफिस में इलेक्ट्रिकल टाइपराइटर पर अपना बायोडाटा तैयार कर अपनी पहली नौकरी हासिल की थी। रतन टाटा को पहली नौकरी मिलने की दिलचस्प कहानी अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। बहुत से लोग नहीं जानते कि 1960 के दशक में रतन टाटा कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद लॉस एंजिल्स में बसने के लिए तैयार थे।
हालांकि, अपनी दादी की बिगड़ती सेहत की परिस्थितियों के कारण उन्हें भारत लौटना पड़ा। अमेरिका में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद रतन टाटा पेशेवर दुनिया में कदम रखने वाले किसी भी अन्य युवा आकांक्षी से अलग नहीं थे। जब वे भारत वापस आए तो उन्हें IBM से नौकरी का प्रस्ताव मिला। हालांकि, टाटा ग्रुप के तत्कालीन चेयरमैन जेआरडी टाटा इस बात से बहुत खुश नहीं थे।
पहली नौकरी मिलने की कहानी
रिपोर्ट के अनुसार, रतन टाटा ने हाल ही में खुलासा किया था कि उन्हें एक फोन आया जिसमें उन्होंने कहा था कि वे भारत में रहकर IBM के लिए काम नहीं कर सकते। हालंकि, जब उन्हें इसके लिए ऑफर मिला तो उन्होंने IBM के दफ्तर में ही इलेक्ट्रिक टाइपराइटर पर तुरंत एक बायोडाटा तैयार किया और सौंप दिया।
उन्होंने कहा, "मैं IBM के दफ्तर में था और मुझे याद है कि उन्होंने मुझसे रिज्यूमे मांगा था, जो मेरे पास नहीं था। IBM दफ्तर में इलेक्ट्रिक टाइपराइटर थे, इसलिए मैंने एक शाम बैठकर उनके टाइपराइटर पर रिज्यूमे टाइप किया और उन्हें दे दिया।" बायोडाटा बनाने के इस छोटे से काम ने 1962 में रतन को टाटा इंडस्ट्रीज में शुरुआती पद दिलाया। इसके बाद ग्रुप के कई डिवीजनों से होते हुए, Telco (अब टाटा मोटर्स) से लेकर Tisco (अब टाटा स्टील) तक का सफर शुरू हुआ।
बिना किसी पूर्वाग्रह के यह दावा किया जा सकता है कि रतन टाटा ने संगठन में उन सभी दिग्गजों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण सुधार किया है। उन्होंने 1868 में इसकी स्थापना के बाद से 20 साल से भी अधिक समय पहले इसके विकास की देखरेख की थी। संयोग से या भाग्य से टाटा की चेयरमैन के रूप में नियुक्ति भारतीय अर्थव्यवस्था के खुलने के साथ हुई। यह एक नए प्रकार का संगठन बनाने पुनर्जीवित करने और अपने कई व्यवसायों को एक बड़े पैमाने पर परिवर्तित वाणिज्यिक गतिशीलता में फिट करने के लिए फिर से तैयार करने का अवसर था।
टाटा की एक और स्टोरी वायरल
इस बीच, कुछ दिन पहले ही रतन टाटा का एक पुराना वीडियो वायरल हुआ था। मूल रूप से 2015 में पोस्ट किए गए इस वीडियो में रतन टाटा को उस समय के बारे में बात करते हुए देखा जा सकता है जब उनका सामना एक गैंगस्टर से हुआ था जो टाटा मोटर्स को निशाना बना रहा था। कोलंबिया बिजनेस स्कूल द्वारा अपने YouTube चैनल पर शेयर किए गए इस वीडियो में दिग्गज उद्योगपति 1990 के दशक की शुरुआत की एक घटना का डिटेल्स बता रहे हैं।
इस घटना उस वक्त की है जब वे टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे थे। उनका कहना था कि उनके फैसले से सभी सहमत नहीं होने के बावजूद, उन्होंने टाटा मोटर्स से पैसे ऐंठने की कोशिश कर रहे एक गैंगस्टर का सामना किया। बता दें कि रतन टाटा को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से 2008 में और पद्म भूषण से 2000 में सम्मानित किया जा चुका है।