Republic Day 2025: जब पहले गणतंत्र दिवस पर खास मेहमान बने थे इंडोनेशिया के राष्ट्रपति, जाने क्या है ये किस्सा
Republic Day 2025: भारत ने 2025 में 76वां गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबियंतो मुख्य अतिथि बने, और पहली बार इंडोनेशियाई मार्चिंग दस्ते ने भाग लिया। कर्तव्य पथ भव्यता से सजा, झांकियों ने भारत की सांस्कृतिक धरोहर और विविधता को प्रदर्शित किया। यह दिन राष्ट्रीय एकता और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने का प्रतीक बना
Republic Day 2025: भारत 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है।
Republic Day 2025: भारत ने इस वर्ष अपना 76वां गणतंत्र दिवस बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाया। यह ऐतिहासिक अवसर संविधान लागू होने के 75 वर्षों की उपलब्धि का प्रतीक है। कर्तव्य पथ, जिसे पहले राजपथ के नाम से जाना जाता था, भव्य झांकियों, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और विविधता के रंगों से सजा हुआ नजर आया। इस वर्ष के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबियंतो ने अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज कराई।
परेड और झांकियों ने भारत की अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर, प्रगति और विविधता को प्रदर्शित किया। इस अवसर ने न केवल राष्ट्रीय गौरव को प्रकट किया, बल्कि भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी मजबूती दी। आइए, इस ऐतिहासिक दिन के महत्व और झलकियों पर नजर डालें।
गणतंत्र दिवस का ऐतिहासिक प्रारंभ
26 जनवरी 1950 का दिन भारतीय इतिहास का एक मील का पत्थर साबित हुआ, जब भारत को औपचारिक रूप से लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया और संविधान लागू हुआ। इस ऐतिहासिक दिन का पहला समारोह राजपथ पर नहीं, बल्कि इरविन एम्फीथिएटर में आयोजित किया गया था। भारत के पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे। उनका आमंत्रण ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण था, क्योंकि उस समय पाकिस्तान भारत पर मुस्लिम विरोधी होने के आरोप लगा रहा था। सुकर्णो की उपस्थिति ने भारत के धर्मनिरपेक्ष और भाईचारे के संदेश को पूरे विश्व में प्रबलता से प्रस्तुत किया।
इंडोनेशिया का चुनाव
इंडोनेशिया को 1950 में गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि बनाना एक सोच-समझकर लिया गया कदम था।
भारत-इंडोनेशिया संबंध
भारत और इंडोनेशिया के बीच सांस्कृतिक और व्यापारिक रिश्ते प्राचीन काल से ही प्रगाढ़ रहे हैं।
इंडोनेशिया की हिंदू और बौद्ध परंपराओं ने दोनों देशों को करीब लाया।
धर्मनिरपेक्षता का संदेश
इंडोनेशिया उस समय भी दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल देश था।
पाकिस्तान के आरोपों के बीच यह फैसला भारत की धर्मनिरपेक्ष नीतियों को दर्शाने वाला था।
यह संदेश साफ था कि भारत सभी धर्मों का सम्मान करता है और मुस्लिम समुदाय को यहां समान अधिकार प्राप्त हैं।
75 वर्षों बाद इतिहास दोहराया गया
2025 के गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबियंतो मुख्य अतिथि बने। इस अवसर पर पहली बार इंडोनेशिया के 352 सदस्यीय मार्चिंग और बैंड दस्ते ने कर्तव्य पथ पर अपनी प्रस्तुति दी जो किसी विदेशी मार्चिंग दस्ते की भारत के राष्ट्रीय पर्व में भागीदारी का अनोखा उदाहरण है। बीते वर्षों में भारत और इंडोनेशिया ने अपने रणनीतिक औरसांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत किया है।व्यापार, शिक्षा और पर्यटन के क्षेत्रों में साझेदारी नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है जो दोनों देशों के बीच संबंधों को और सुदृढ़ बना रही है।
कर्तव्य पथ की भव्यता
इस वर्ष कर्तव्य पथ को तीन रंगों वाले विशाल बैनर और अद्वितीय सजावट से अलंकृत किया गया। दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतें, पार्क और रेलवे स्टेशन भी रोशनी से जगमगाते नजर आए। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे राजधानी परियों के देश में बदल गई हो।
गणतंत्र दिवस के दो उद्देश्य
1950 से लेकर आज तक गणतंत्र दिवस समारोह ने दो प्रमुख संदेश दिए हैं
राष्ट्रीय एकता और भाईचारे का प्रतीक
भारत विविधताओं में एकता को दर्शाने वाला एकमात्र देश है।
हर धर्म, जाति और संस्कृति को समान अवसर और अधिकार प्राप्त हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को प्रोत्साहन
भारत ने गणतंत्र दिवस समारोह के माध्यम से दुनिया के साथ अपने रिश्तों को मजबूती देने का प्रयास किया है।
यह समारोह न केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान का जरिया है, बल्कि कूटनीतिक संबंधों का भी एक अहम हिस्सा है।