देश भर में गणतंत्र दिवस की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। दिल्ली परेड के साथ झांकियां भी पेश की जाती हैं। 76वें गणतंत्र दिवस पर भव्य परेड के साथ 'स्वर्णिम भारत: विरासत और प्रगति' का उत्सव मनाया जाएगा। यह परेड का थीम है। इस बीच हर जगह इन दिनों तिरंगे की चर्चा हो रही है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को तो सब जानते हैं। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में तीन रंग केसरिया, सफेद और हरा शामिल है। इन तीन रंगों का अपना महत्व है और इनके दार्शनिक मायने भी निकाले जाते हैं। राष्ट्रीय ध्वज को सबसे पहले पिंगली वैंकेया ने बनाया था।
तिरंगा झंडा डिजाइन करना इतना भी आसान नहीं था। इसके लिए पिंगली वेकैंया ने पांच सालों तक दुनियाभर के राष्ट्रीय झंडों की स्टडी की। इसके बाद उन्होंने करीब 30 डिजाइन पेश किए। जिसमें से तिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में चुना गया। जिसे संविधान सभा ने स्वीकार किया था।
कैसे तैयार हुआ तिंरगा झंडा का डिजाइन?
भारत के राष्ट्रीय ध्वज तैयार करने की कोशिशें पहले भी हो चुकी थीं, लेकिन इसको बनाने का श्रेय आंध्र प्रदेश के पिंगली वेंकैया को जाता है। पिंगली वेंकैया एक स्वतंत्रता सेनानी और कृषि वैज्ञानिक भी थे। दरअसल कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाले वेंकैया की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई थी। गांधी ने ही उनसे भारत के लिए एक झंडा बनाने को कहा था। वेंकैया ने 1916 से 1921 तक करीब पांच सालों तक दुनियाभर के देशों के झंडों का अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय ध्वज के लिए लगभग 30 डिजाइन पेश किए। जिसमें हरे और लाल रंग की दो पट्टियां थीं। ध्वज के केंद्र में महात्मा गांधी का चरखा था। पहली बार वेंकैया ने 1921 में कांग्रेस के अधिवेशन में गांधी से मिलकर लाल और हरे रंग से बनाया हुआ झंडा दिखाया।
जानें किस रंग का क्या है महत्व
भारतीय ध्वज में तीन रंग हैं जो तीन लाइन में व्यवस्थित हैं। इन पट्टियों को 'बैंड' कहा जाता है। ऊपर की केसरिया पट्टी भारत की ताकत और साहस का प्रतीक है। बीच की सफेद पट्टी शांति और सच्चाई का प्रतीक है। नीचे की गहरी हरी पट्टी उपजाऊ भूमि से हमारे संबंध को दर्शाती है, जो विकास और समृद्धि का प्रतीक है। सफेद पट्टी के बीच में अशोक चक्र है, जिसका अर्थ है 'धर्म का पहिया'. इसमें 24 तीलियां हैं। साथ ही यह देश की गतिशीलता और विकास के चक्र का भी प्रतीक है।