रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का आज तीसरा दिन है और लगातार हालात गंभीर होते जा रहे है। आज रूसी सेना यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खार्किव में भी घुस आई है। इस बीच दोनों पक्षों की तरफ से यह तो साफ हो गया है कि वे बातचीत करना चाहता हैं, लेकिन इसका कोई नतीजा अब तक सामने नहीं आ पाया है। अब सवाल यह उठता है कि जब संघर्ष वाले दोनों ही देश आपसी बातचीत के लिए सहमत हैं, तो फिर पेंच आखिर कहां फंसा है?
आसान भाषा में समझें, तो असल में बातचीत कहां हो, इसको लेकर ही सारा पेंच फंसा है। रूसी आक्रमण के दूसरे दिन शुक्रवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोमिडोर जेलेंस्की ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बातचीत का न्योता भेजा था। रूस की तरफ से भी जवाब हां, में आया और उसने कहा कि वो अपना एक प्रतिनिधिंडल बेलारुस की राजधानी मिंस्क में बातचीत के लिए भेजने को तैयार है। हालांकि, रूस ने यूक्रेन के सामने सशर्त बातचीत की प्रस्ताव भी रखा था।
दोनों तरफ से आई इन खबरों से यह उम्मीद हो गई थी कि अब ये जंग शायद जल्द ही खत्म हो जाएगी, लेकिन यूक्रेन ने इस पर सवाल उठा दिया और यूक्रेन की वो असहमति रूस की तरफ से रखी गईं, शर्तों को लेकर नहीं, बल्कि बेलारुस में बैठक करने को थी।
यूक्रेन के राष्ट्रपति ने शर्त रखी कि वे बातचीच बेलारूस की राजधानी में नहीं, बल्कि पोलैंड की राजधानी वारसा में करना चाहते हैं, जिसे रूस ने ठुकरा दिया और यूक्रने ने फिर बातचीत इनकार कर दिया।
अब आते हैं, वर्तमान स्थिति पर, रविवार को रूस ने कहा कि वो बातचीत के लिए तैयार है। रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि यूक्रेन के साथ बातचीत के लिए रूसी प्रतिनिधिमंडल बेलारूस पहुंच चुका है और हम यूक्रेनी पक्ष का इंतजार कर रहे हैं।
उधर इसके तुरंत बाद यूक्रेन का, जो जवाब आया वो बेहद चौंकाने वाला था। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने फिर वही दोहराया और बेलारूस में बात करने से मना कर दिया। हालांकि, इस बार उन्होंने बेलारूस के लिए इनकार करने का कारण भी बताया।
इन देशों में बातचीत करना चाहता है यूक्रेन
The Kyiv Independent के मुताबिक, राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा, "यूक्रेन रूस के साथ बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन केवल उस देश में "जहां से मिसाइलें नहीं दागी रही हैं।" उन्होंने यह कह कर कि युद्ध की शुरुआत उसी देश के जरिए हुई, बेलारूस में बैठक के विचार को खारिज कर दिया।
जेलेंस्की ने एक वीडियो मैसेज में कहा, "हम बात करना चाहते हैं, हम युद्ध को खत्म करना चाहते हैं।" इसके साथ ही कीव ने इसके बजाय वारसा (पोलैंड की राजधानी), ब्रातिस्लावा (स्लोवाकिया की राजधानी), बुडापेस्ट (हंगरी की राजधानी), इस्तांबुल (तुर्की) या बाकू (अजरबैजान की राजधानी) में मिलने का सुझाव दिया।
यहां ये भी जानना जरूरी है कि बेलारूस और रूस के अच्छे संबंध हैं और युद्ध की घोषणा के बाद रूसी सेना, बेलारूस के जरिए ही यूक्रेन में घुसी थी। इसी का हवाले देकर यूक्रने के राष्ट्रपति यहां बातचीत नहीं करना चाहते हैं।
वहीं दूसरी और यूक्रेन ने जिन जगहों का सुझाव दिया है, वे सभी देश NATO के सदस्य हैं और इस पूरी लड़ाई का एक प्रमुख कारण NATO और यूक्रेन की उससे नजदीकी भी है। इन सब को देखते हुए ऐसा लगता है कि रूस इन देशों में जाकर बातचीत के लिए शायद ही राजी होगा।