मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता और पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित सिंधुताई सपकाल (Sindhutai Sapkal) का मंगलवार को पुणे के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से 75 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्हें अनाथ बच्चों की मां (Mother of Orphans) के रूप में जाना जाता था।
देश के राष्ट्रपति, पीएम नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने सिंधुताई सपकाल के निधन पर शोक जताया है। सिंधुताई सपकाल को कई दशकों से अनाथ बच्चों की सेवा करने के चलते पिछले साल पद्मश्री (Padma Shri) पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
सिंधुताई को महाराष्ट्र की 'मदर टेरेसा' कहा जाता है। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अनाथ बच्चों की सेवा में गुजार दी। उन्होंनें करीब 1400 अनाथ बच्चों को गोद लिया और उनकी देखभाल की। इस नेक काम के लिए उन्हें पद्मश्री समेत कई अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर कहा कि सपकाल का जीवन साहस,समर्पण और सेवा के प्रति समर्पित रहा।
सपकाल को श्रद्धांजलि देते हुए पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि डॉ सिंधुताई सपकाल को समाज के लिए उनकी उत्कृष्ट सेवा के वास्ते सदैव याद किया जाएगा। उनके प्रयासों की वजह से कई बच्चे बेहतर जीवन जी सके हैं। उन्होंने कहा, ‘ सिंधुताई सपकाल ने हाशिए पर पड़े समुदायों के बीच भी काफी काम किया। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।
गरीबी में पली-बढ़ीं सपकाल को बचपन में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। उन्होंने अनाथ बच्चों के लिए संस्थानों की स्थापना की। 14 नवंबर, 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले में जन्मी सपकाल को चौथी कक्षा पास करने के बाद स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। 12 साल की छोटी सी उम्र में ही उनकी शादी 32 साल के एक शख्स से कर दी गई थी। तीन बच्चों को जन्म देने के बाद, उनके पति ने गर्भवती होने पर भी उसे छोड़ दिया। उनकी अपनी माँ और जिस गाँव में वह पली-बढ़ी थी, उन्होंने मदद करने से इनकार कर दिया, जिससे उन्हें अपनी बेटियों की परवरिश करने के लिए भीख माँगनी पड़ी।
मराठी बायोपिक का लंदन फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर
2010 में, उन पर एक मराठी बायोपिक, "मी सिंधुताई सपकाल" रिलीज हुई। इसे 54वें लंदन फिल्म फेस्टिवल में वर्ल्ड प्रीमियर के लिए चुना गया था। महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि हजारों बच्चों की देखभाल करने वाली सपकाल मां के रूप में साक्षात देवी थीं।