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यूपी पुलिस का वो जाबांज अफसर जिसे लोग बुलाते थे टाइगर, नाम से ही थर–थर कांपते थे अपराधी

Police Officer Inspiring Story: उत्तर प्रदेश पुलिस के अफसर योगेंद्र नाथ सिंह की प्रेरणादायक कहानी से हर कोई प्रभावित होता हैं। इन्हें टाइगर जोगिन्दर सिंह के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने ने बुझारत जैसे कुख्यात डाकू को जेल में डाले थे। आइए जानते हैं इनकी प्रेरणादायक कहानी के बारे में

अपडेटेड Nov 12, 2024 पर 2:11 PM
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Yogendra Nath Singh: यूपी पुलिस का वो जाबांज अफसर जिसे लोग बुलाते थे टाइगर

Police Officer Inspiring Story: उत्तर प्रदेश पुलिस के अफसर योगेंद्र नाथ सिंह की प्रेरणादायक कहानी से हर कोई प्रभावित होता है। इन्हें टाइगर जोगिन्दर सिंह के नाम से भी जाना जाता है। आजमगढ़ के लालगंज तहसील के लहुआं कलां गांव से ताल्लुक रखने वाले सिंह ने आजादी के बाद पुलिस की पहली खेप में शामिल होकर 36 वर्षों तक ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की अद्भुत मिसाल पेश की। 1948 में उप-निरीक्षक के रूप में पुलिस सेवा में शामिल हुए योगेंद्र सिंह ने केवल 3 महीने के प्रशिक्षण के बाद थानाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली।

कुख्यात डाकू को पकड़ा था

मिर्जापुर, देवरिया, गोरखपुर, हरदोई और लखनऊ के हजरतगंज जैसे प्रमुख थानों में ईमानदारी से सेवाएं देने वाले इस 6 फुट 2 इंच के पुलिस अधिकारी योगेंद्र नाथ सिंह के नाम से ही अपराधी कांप उठते थे। 1962-63 में जौनपुर जनपद के शाहगंज में तैनाती के दौरान, उन्होंने बुझारत जैसे कुख्यात डाकू को गिरफ्तार कर पूरे शहर में प्रसिद्धि पाई।


लोग अपने बच्चों का नाम रखते लगे योगेंद्र नाथ

कुख्यात डाकू बुझारत योगेंद्र नाथ सिंह के गृह जनपद आजमगढ़ का ही निवासी था। इसी वजह से इसको पकड़ने की जिम्मा खासतौर पर इनको दिया गया था। योगेंद्र नाथ ने अपने काम को ईमानदारी से निभाया। उनकी वीरता और ईमानदारी के कारण लोगों ने अपने बच्चों का नाम जोगिन्दर सिंह रखना शुरू किया।

इस बड़े नेता के पुत्र को डाला जेल में

टाइगर जोगिंदर सिंह के पुत्र देवेंद्र नाथ सिंह ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि, 1977-80 के बीच हजरतगंज कोतवाल के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने एक बड़े नेता के पुत्र को पुलिस के साथ बदसलूकी करने के लिए जेल भेज दिया था। 1973 से 75 के बीच गोरखपुर तैनाती के समय देवेंद्र नाथ ने उस समय के कई नामी बदमाशों और गुंडों को शहर से बाहर भगा दिया। उस समय राज्यपाल ने उनको रु 500/- का पुरस्कार दिया था, जो उस समय एक बड़ी धनराशि थी

किराए के मकान में किया गुजारा

36 वर्षों की सेवा में, लगभग 32 वर्षों तक 22 थानों के थानाध्यक्ष रहे टाइगर जोगिन्दर सिंह ने कभी भी अपने या अपने बच्चों के नाम से बैंक खाता नहीं खोला। इन्होंन ना ही कोई जमीन खरीदी। 9 नवंबर 1999 में, वाराणसी के चेतगंज स्थित किराये के मकान में उनकी 75 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई। उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की कहानी आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।

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