UP: यहां होली पर जूते खाने का मिलेगा इनाम, शाही ट्रीटमेंट के साथ 1 लाख रुपये तक का गिफ्ट
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में होली का जश्न बेहद अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। यहां "जूते मार होली" खेली जाती है, जिसमें "लाट साहब का जुलूस" मुख्य आकर्षण होता है। लाट साहब बनने वाले व्यक्ति पर लोग जूते फेंकते हैं, लेकिन इसके बदले उन्हें नकद इनाम और उपहार मिलते हैं। यह परंपरा 1857 से चली आ रही है और हर साल हजारों लोग इसमें शामिल होते हैं
UP: शाहजहांपुर पहुंचने के बाद लाट साहब को ब्रांडेड कपड़े और जूते भेंट किए जाते हैं।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में होली का जश्न बेहद अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। यहां "जूते मार होली" खेली जाती है, जिसमें "लाट साहब का जुलूस" मुख्य आकर्षण होता है। इस जुलूस में लाट साहब बनने वाले व्यक्ति पर लोग जूते फेंकते हैं, लेकिन इसके बदले उन्हें नकद इनाम और उपहार मिलते हैं। ये परंपरा 1857 से चली आ रही है और हर साल हजारों लोग इसमें शामिल होते हैं। लाट साहब के चुनाव की प्रक्रिया भी खास होती है। उन्हें किसी दूसरे जिले से लाया जाता है और जुलूस कमेटी उनकी जमकर खातिरदारी करती है। उन्हें ब्रांडेड कपड़े, जूते और महंगे उपहार दिए जाते हैं।
आयोजन समिति इस पूरी परंपरा पर करीब 1 लाख रुपये खर्च करती है। जब जुलूस कोतवाली पहुंचता है, तो लाट साहब को सलामी दी जाती है और उपहार भेंट किए जाते हैं। ये परंपरा होली के रंग में अनूठी मस्ती जोड़ती है।
1857 से चली आ रही है यह परंपरा
इतिहासकार डॉ. विकास खुराना ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि, शाहजहांपुर में होली के दिन जुलूस निकालने की ये परंपरा 1857 के दौर से चली आ रही है। पहले इसे "नवाब साहब का जुलूस" कहा जाता था, लेकिन 1988 में तत्कालीन जिलाधिकारी कपिल देव ने इसका नाम बदलकर "लाट साहब का जुलूस" रख दिया। ये जुलूस चौक स्थित बाबा चौकसी नाथ मंदिर से शुरू होकर थाना सदर बाजार स्थित बाबा विश्वनाथ मंदिर तक जाता है। हजारों की संख्या में लोग इसमें शामिल होते हैं और लाट साहब को जूते मारकर अपनी खुशी जाहिर करते हैं।
लाट साहब का चुनाव कैसे होता है?
लाट साहब बनने के लिए शहर से बाहर के व्यक्ति को चुना जाता है। यह चुनाव एक जटिल और दिलचस्प प्रक्रिया के तहत किया जाता है। लाट साहब को होली से एक सप्ताह पहले शाहजहांपुर बुलाया जाता है, जहां उनका खास स्वागत किया जाता है। आयोजन समिति उनकी खूब खातिरदारी करती है और उन्हें बहुमूल्य उपहार भी दिए जाते हैं।
शाही खातिरदारी और उपहार
शाहजहांपुर पहुंचने के बाद लाट साहब को ब्रांडेड कपड़े और जूते भेंट किए जाते हैं। उनके मनोरंजन के लिए शराब की भी व्यवस्था होती है। जुलूस के दौरान जब लाट साहब कोतवाली पहुंचते हैं, तो थाना प्रभारी उन्हें सलामी देते हैं और नजराना भेंट करते हैं।
1 लाख रुपये तक का खर्च
लाट साहब की खातिरदारी पर इस बार आयोजन समिति करीब 80,000 रुपये खर्च कर रही है। इसके अलावा, भैंसा गाड़ी के लिए अलग से पैसे खर्च किए जाते हैं। कुल मिलाकर लाट साहब को जूते खाने के लिए इस बार लगभग 1 लाख रुपये मिलने वाले हैं।
शाहजहांपुर की ये अनोखी होली हर साल हजारों लोगों को आकर्षित करती है। यहां की जूते मार होली और लाट साहब का जुलूस इस त्योहार को रोमांचक और यादगार बना देता है।