Vande Bharat Express Train: भारत की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat express) अपने लॉन्च के बाद से ही सुर्खियों में है। पूरी तरह से स्वदेशी और यात्रियों को वर्ल्ड क्लास ट्रैवलिंग एक्सपीरिएंस मुहैया कराने वाली यह ट्रेन 180 kmph तक की स्पीड से दौड़ सकती है। सभी लोगों ने इस आधुनिक ट्रेन को पसंद किया है। वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन (Vande Bharat express) नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi government) की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। पहली वंदे भारत ट्रेन फरवरी, 2019 में वाराणसी से नई दिल्ली के बीच चली थी। इस ट्रेन का पहले नाम कुछ और था। बाद में इसका नाम बदलकर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन कर दिया गया।
आज देश भर के अलग-अलग रूट पर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन दौड़ रही है। सरकार की ओर से इस ट्रेन का लगातार विस्तार हो रहा है। आज हर रूट पर इस ट्रेन की डिमांड बढ़ती जा रही है। हाल ही में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 और वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई है।
वंदे भारत ट्रेन का पुराना नाम
दरअसल, वंदे भारत ट्रेन की कल्पना साल 2017 में की गई थी। इसके डिजाइन से लेकर बनाने तक के लिए एक साल का लक्ष्य रखा गया। इसके साथ ही इसे साल 2018 में ट्रैक पर उतारना था। ऐसे में इसका नाम ट्रेन 18 रख दिया गया। ट्रेन ट्रैक पर तो आ गई, लेकिन इस आधुनिक ट्रेन का ट्रायल नहीं हो सका। लिहाजा 3-4 साल तक इसका ट्रायल किया गया। इसके बाद फरवरी 2019 में इसे ट्रैक में उतार दिया गया। इसके इस ट्रेन का नाम ट्रेन 18 जो रखा गया, उसमें भारतीयता का एहसास नहीं हो रहा था। लिहाजा इसके नाम पर मंथन शुरू हो गया। फिर इसका फाइनल नाम वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन (Vande Bharat express Train) रखा गया।
वंदे भारत ट्रेन की खासियत
वन्दे भारत ट्रेन पूरी तरह से स्वदेशी है। यह बुलेट की गति सी चलती है। इसका डिजाइन भी बुलेट जैसा है। ट्रेन को यात्रियों के लिए जितना ज्यादा सुविधाजनक बनाया गया है। उतना ही ज्यादा देखने में खूबसूरत भी है। इसमें यात्रियों की छोटी से छोटी जरूरतों का ध्यान में रखा गया है। कई सारी सुविधाएं और यात्रा के समय को कम करने के लिए यात्रियों को अधिक किराए का भुगतान करना पड़ता है। एक ट्रेन को बनाने में रेलवे को करीब 100 करोड़ रुपये की लागत आती है।
वन्दे भारत ट्रेन का निर्माण चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में तैयार किया जाता है। ट्रेन 100 किलोमीटर की स्पीड बस 52 सेंकड में पकड़ लेती है। ट्रेन में ऑटोमेटिक दरवाजे लगे हैं। मेट्रो के जैसे ही ये दरवाजे ही ऑटोमेटिक खुलते हैं। इसके साथ ही कई आधुनिक सुविधाओं से ट्रेन लैस है।