रतन टाटा की वसीयत आजकल सुर्खियों में है। वसीयत की चर्चा की वजह न सिर्फ बड़ी दौलत है, बल्कि जिस शख्स के लिए यह विरासत छोड़ी गई है, वह भी हैरान करने वाला है। टाटा ग्रुप के मुखिया ने जिस शख्स को यह विरासत सौंपी है, उनका नाम कारोबारी दुनिया के बाहर काफी कम लोग जानते हैं। इस शख्स का नाम मोहिनी मोहन दत्ता है, जिन्हें अनुमानों के मुताबिक, 500 करोड़ रुपये से भी ज्यादा मिलेंगे।
दोनों का रिश्ता तकरीबन 6 दशकों का है और कभी भी सुर्खियों में नहीं रहा था। अब जब कानूनी विशेषज्ञ और करीबी सहयोगी टाटा की वसीयत के ब्यौरे को खंगाल रहे हैं, तो एक सवाल उठ रहा है कि रतन टाटा के लिए मोहिनी मोहन दत्ता कौन थे और टाटा के मन में उनके लिए इतनी खास जगह क्यों थी?
रतन टाटा से जुड़े करीबी सूत्रों ने बताया कि दत्ता, टाटा के लंबे समय तक सहयोगी रहे और यहां तक कि टाटा के परिवार के सदस्य भी इस रिश्ते से वाकिफ थे। दत्ता की एक बेटी ने 2024 तक टाटा ट्रस्ट्स में 9 साल तक काम किया और इससे पहले वह ताज होटल्स में काम रही थीं।
मोहिनी मोहन दत्ता और रतन टाटाः क्या था रिश्ता?
दत्ता का टाटा फैमिली के साथ करीबी रिश्ता था। अक्टूबर 2024 में टाटा के अंतिम संस्कार के वक्त उन्होंने मीडिया को बताया था कि उनकी पहली मुलाकात जमशेदपुर के डीलर्स हॉस्टल में हुई थी, जब रतन टाटा की उम्र 24 साल थी। दत्त ने सहयोग और प्रोत्साहन के लिए टाटा का आभार जताते हुए बताया था कि वे दोनों एक-दूसरे को तकरीबन 60 साल से जानते हैं। दत्ता उन चुनिंदा लोगों में भी शामिल थे, जिन्हें दिसंबर 2024 में रतन टाटा की जयंती के मौके पर बुलाया गया था।
रतन टाटा की संपत्ति और वसीयत
रतन टाटा की संपत्ति का बड़ा हिस्सा परोपकारी कार्यों के लिए समर्पित किया गया है। उन्होंने अपनी वसीयत में अपनी बहनों को भी लाभार्थी बनाया है।