किशोर लड़के-लड़कियों की डेटिंग के मामले में कोई कानूनी मामला बनता है तो लैंगिक तौर पर जो भेदभाव होता है, उस पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सवाल उठाए हैं। बार एंड बेंच (Bar and Bench) की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि अगर कोई किशोर जोड़ा डेट पर जाता है और लड़की के माता-पिता शिकायत करते हैं तो क्या केवल नाबालिग लड़के को ही गिरफ्तार किया जाना चाहिए? उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रितु बहारी और जस्टिस राकेश थपलियाल की बेंच ने उत्तराखंड सरकार से यह जांच करने को कहा कि क्या सीआरपीसी की धारा 161 के तहत बयान दर्ज करना लड़के को गिरफ्तार नहीं करने के लिए पर्याप्त होगा?