Get App

लड़के-लड़कियों की डेटिंग मामले में सिर्फ लड़के ही क्यों दोषी? उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उठाए सवाल

किशोर लड़के-लड़कियों की डेटिंग के मामले में कोई कानूनी मामला बनता है तो लैंगिक तौर पर जो भेदभाव होता है, उस पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सवाल उठाए हैं। बार एंड बेंच (Bar and Bench) की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि अगर कोई किशोर जोड़ा डेट पर जाता है और लड़की के माता-पिता शिकायत करते हैं तो क्या केवल नाबालिग लड़के को ही गिरफ्तार किया जाना चाहिए?

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Jul 06, 2024 पर 9:56 AM
लड़के-लड़कियों की डेटिंग मामले में सिर्फ लड़के ही क्यों दोषी? उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उठाए सवाल
लड़कियों को अक्सर सहमति से बने संबंधों में भी पीड़ित के रूप में देखा जाता है, तो दूसरी तरफ किशोर लड़कों को अपराधी के रूप में देखा जाता है। (File Photo- Pexels)

किशोर लड़के-लड़कियों की डेटिंग के मामले में कोई कानूनी मामला बनता है तो लैंगिक तौर पर जो भेदभाव होता है, उस पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सवाल उठाए हैं। बार एंड बेंच (Bar and Bench) की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि अगर कोई किशोर जोड़ा डेट पर जाता है और लड़की के माता-पिता शिकायत करते हैं तो क्या केवल नाबालिग लड़के को ही गिरफ्तार किया जाना चाहिए? उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रितु बहारी और जस्टिस राकेश थपलियाल की बेंच ने उत्तराखंड सरकार से यह जांच करने को कहा कि क्या सीआरपीसी की धारा 161 के तहत बयान दर्ज करना लड़के को गिरफ्तार नहीं करने के लिए पर्याप्त होगा?

सलाह देने के लिए ही बुलाना होगा पर्याप्त!

हाईकोर्ट की बेंच ने सरकार से पूछा है कि क्या लड़के को गिरफ्तार करना जरूरी है? ऐसे मामले में अधिक से अधिक उसे इन चीजों में शामिल न होने की सलाह देने के लिए बुलाया जा सकता है, लेकिन गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य मामले की जांच कर सकता है और पुलिस विभाग को सामान्य निर्देश जारी कर सकता है। कोर्ट ने यह टिप्पणी एक वकील मनीषा भंडारी की तरफ से दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान कही।

क्या है पूरा मामला?

सब समाचार

+ और भी पढ़ें