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World AIDS Day 2022: कब और क्यों मनाया जाता है एड्स डे, जानिए इतिहास, महत्व और इस साल की थीम

World AIDS Day 2022: एड्स बीमारी की पहचान 1981 में हुई थी। लॉस एंजेलिस के डॉक्टर माइकल गॉटलीब ने पांच मरीजों में एक अलग तरह का निमोनिया पाया था। दुनिया में बड़ी संख्या में लोग एड्स की समस्या से जूझ रहे हैं

Edited By: Jitendra Singhअपडेटेड Nov 30, 2022 पर 4:13 PM
World AIDS Day 2022: कब और क्यों मनाया जाता है एड्स डे, जानिए इतिहास, महत्व और इस साल की थीम
हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है।

World AIDS Day 2022: हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया (World Aids Day) जाता है। इसका मकसद HIV और एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करना है। ताकि इस भयावह बीमारी के संक्रमण से लोगों को बचाया जा सके। एड्स ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (HIV) के संक्रमण की वजह से होने वाली बीमारी है। यह वायरस इंफेक्टेड ब्लड, सीमन और वजाइनल फ्लूइड्स आदि के कॉन्टेक्ट में आने से ट्रांसमिट होता है। HIV पॉजिटिव होने का मतलब आम तौर पर जिंदगी का अंत मान लिया जाता हैं। लेकिन यह अधूरा सच हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization – WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 37.9 लोग एड्स जैसी बीमारी से पीड़ित हैं। वहीं एड्स सोसाइटी ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारत में एड्स के कुल मरीजों की संख्या करीब 23.5 लाख है। एड्स के मरीजों की संख्या में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आज हम बात करने वाले हैं वर्ल्ड एड्स डे की थीम, इतिहास और महत्व के बारे में बता रहे हैं।

क्या है एड्स?

एड्स का पूरा नाम एक्वार्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम है। इसकी पहचान 1981 में हुई थी। लॉस एंजेलिस के डॉक्टर माइकल गॉटलीब (Michael Gottlieb) ने पांच मरीजों में एक अलग तरह का निमोनिया पाया था। इन सभी इसलिए शुरुआत में डॉक्टरों को लगा कि यह बीमारी केवल समलैंगिकों में ही होती होगी। लिहाजा एड्स को ग्रिड यानी, गे रिलेटेड इम्यून डिफिशिएंसी का नाम दिया गया। बाद में जब दूसरे लोगों में भी यह वायरस मिला तो पता चला कि यह कॉन्सेप्ट गलत है। पहली बार 1982 में सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, अमेरिका (Centers for Disease Control and Prevention) ने इस बीमारी के लिए AIDS टर्म का इस्तेमाल किया।

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