आज वर्ल्ड एड्स डे है। दुनिया भर में 1 दिसंबर को एड्स (एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम) दिवस मनाया जाता है। यह महारोग पूरी दुनिया में तेजी से पांव पसार रहा है। इस घातक बीमारी की चपेट में हर साल लाखों लोग आ रहे हैं। एचआईवी पॉजटिव होने का मतलब आम तौर पर जिंदगी का अंत मान लिया जाता है। लेकिन यह अधूरा सच हैं और डाक्टरों के मुताबिक एच आई वी पॉजीटिव लोग भी सामान्य आदमी की तरह लम्बे समय तक जीवन जी सकते हैं। हर साल एक थीम के साथ जन जागरूकता अभियान चलाया जाता है। इस बार की थीम है-टेक द राइट पाथ: माय हेल्थ, माय राइट यानी सही मार्ग अपनाएं: मेरी सेहत मेरा अधिकार।
इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को समाज में कलंक के नजरिए से देखा जाता है। ऐसे में लोग अपनी बीमारी को शेयर करने से भी कतराते हैं। यौन संबंध के अलावा, कई अन्य तरीकों से भी व्यक्ति में एचआईवी एड्स फैल सकता है। इस दिन की मदद से इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाकर इससे पीड़ित व्यक्ति के जीवन को आसान बनाने की कोशिश की जाती है। बीमारी को लेकर सही देखभाल और उपचार को लेकर भी जानकारी दी जाती है।
विश्व एड्स दिवस का इतिहास
विश्व एड्स दिवस को मनाने की शुरुआत साल 1988 में हुई थी। इसकी शुरुआत जेम्स डब्ल्यू. बन्न और थॉमस नेटर ने की थी। ये दोनों ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के लिए सार्वजनिक सूचना अधिकारी के तौर पर काम करते थे। इन्होंने ही एचआईवी एड्स को लेकर मीडिया कवरेज और इसको लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने के विचार की कल्पना की थी। इस दिन को मनाने के लिए 1 दिसंबर को चुना गया। इसका नाम एड्स (AIDS) रखा गया।
A - मतलब एक्वायर्ड यानी यह रोग किसी दूसरे व्यक्ति से लगता है।
ID मतलब इम्यूनो डिफीशिएंसी यानी यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर देता हैं।
S - मतलब सिंड्रोम यानी कई तरह के लक्षणों से पहचानी जाती हैं।
एचआईवी इन्फेक्शन के लक्षण
एचआईवी इन्फेक्शन के शुरुआती स्टेज में अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। कुछ लोगों में हल्के फ्लू जैसे लक्षण हो सकते हैं, जैसे कि बुखार, गले में खराश, थकान, निमोनिया, हर्पीज, मुंह में यीस्ट इन्फेक्शन और सूजे हुए ग्लैंड्स। हालांकि, ये लक्षण कुछ हफ्तों के बाद गायब हो जाते हैं। एड्स का कोई इलाज नहीं है, लेकिन एंटीरेट्रोवायरल दवाओं के जरिए से इसे मैनेज करने की कोशिश की जाती है।
1 - असुरक्षित सेक्शुअल एक्टिविटीज
2 - एक ही इंजेक्शन का बार-बार इस्तेमाल करना।
3 - संक्रमित मां से उसके बच्चे में गर्भावस्था के दौरान, प्रसव के समय या स्तनपान के जरिए भी फैल सकता है।