यूज्ड कार मार्केटप्लेस ड्रूम (Droom) अपने IPO प्लान पर फिर से काम शुरू करने जा रहा है। कंपनी का लक्ष्य 2025 में IPO ड्राफ्ट पेपर्स को फिर से दाखिल करना है। इससे पहले ड्रूम ने 2021 में कैपिटल मार्केट रेगुलेटर Sebi के पास अपना ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किया था। लेकिन फिर इसने बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच अपनी लिस्टिंग योजनाओं को रोक दिया। बिजनेस की रीस्ट्रक्चरिंग बाद ड्रूम ने अपनी वित्तीय सेहत में सुधार देखा है।
ड्रूम के फाउंडर और सीईओ संदीप अग्रवाल ने कहा कि कंपनी अब इस कैलेंडर वर्ष में EBITDA को पॉजिटिव बनाने के लिए तैयार है। साथ ही ऑपरेशनल प्रॉफिटेबिलिटी हासिल करने की भी राह पर है। अग्रवाल ने मनीकंट्रोल से कहा, "इस वित्त वर्ष के खत्म होने में 3 महीने और बचे हैं, लेकिन ड्रूम पहले ही साल-दर-साल आधार पर लगभग 70-90 प्रतिशत की दर से बढ़ चुकी है। कंपनी 2025 में EBITDA पॉजिटिव होगी और अगर सब कुछ सही रहा, तो हम इस साल अपने IPO पेपर भी फिर से दाखिल करेंगे।"
प्री-IPO राउंड में नए सिरे से फंडिंग जुटाने की भी होगी कोशिश
कंपनी अपने DRHP दाखिल करने से पहले इस साल प्री-IPO राउंड में नए सिरे से फंडिंग जुटाने की भी कोशिश करेगी। ड्रूम ने आखिरी बार 2021 में बड़ी फंडिंग जुटाई थी। उस वक्त इसने 57 स्टार्स और सेवन ट्रेन वेंचर्स जैसे निवेशकों से 20 करोड़ डॉलर हासिल किए थे। मार्केट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म ट्रैक्सन के आंकड़ों के अनुसार, अब तक ड्रूम ने 9 राउंड में 34.1 करोड़ डॉलर की फंडिंग जुटाई है। ड्रूम की लिस्टिंग की योजना ऐसे वक्त में आई है, जब कंपनी ने अपने फाइनेंशियल मेट्रिक्स में महत्वपूर्ण सुधार दर्ज किए हैं।
FY23 में 62 करोड़ के घाटे में थी Droom
Droom का वित्त वर्ष 2023 में घाटा 54 प्रतिशत कम होकर 62 करोड़ रुपये रह गया। इससे पहले के वित्त वर्ष में घाटा 137 करोड़ रुपये था। रेवेन्यू 32 प्रतिशत घटकर 262 करोड़ रुपये रह गया, जो वित्त वर्ष 2022 में 390 करोड़ रुपये था। कंपनी के वित्त वर्ष 2024 के वित्तीय नतीजे अभी तक सामने नहीं आए हैं। कारोबार की रीस्ट्रक्चरिंग के बाद अग्रवाल का दावा है कि ड्रूम ने अप्रैल-जून 2024 में वार्षिक ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (GMV) में 4,000 करोड़ रुपये और वार्षिक रेवेन्यू में 200 करोड़ रुपये को पार कर लिया है।
अब इसका लक्ष्य FY25 को 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के GMV और 250 करोड़ रुपये से अधिक के रेवेन्यू के साथ खत्म करने का है। अग्रवाल को उम्मीद है कि FY26 में और FY27 में, कंपनी साल-दर-साल 50 प्रतिशत की दर से आसानी से बढ़ सकती है।
ग्रोथ के लिए ये तरीके भी अपना रही कंपनी
ड्रूम अब प्रीमियमाइजेशन की चल रही लहर के बीच ई-कॉमर्स के तेजी से बढ़ते चलन का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है, ताकि ग्रोथ को रफ्तार मिल सके। अग्रवाल ने जोर देते हुए कहा, "प्रीमियमाइजेशन की लहर चल रही है। नई और पुरानी कार दोनों ही बाजारों में, 10 लाख रुपये से अधिक कीमत वाली गाड़ियों की मांग 10 लाख रुपये से कम कीमत वाली गाड़ियों की तुलना में तेजी से बढ़ रही है। और हम वर्तमान में भारत में मिड, प्रीमियम और लग्जरी सेगमेंट के लिए यूज्ड कार के सबसे बड़े खिलाड़ी हैं।"
कंपनी अपने प्रतिद्वंद्वियों की तरह रेवेन्यू बढ़ाने के लिए कर्ज और बीमा जैसी सहायक सर्विसेज की पेशकश में भी विविधता लाई है। ड्रूम वर्तमान में कर्ज पर 3 प्रतिशत कमीशन और बीमा प्रीमियम पर 27 प्रतिशत तक की इनकम हासिल करती है। ड्रूम नई ऑटोमोबाइल कैटेगरीज की लॉन्चिंग के साथ एक्सपेरिमेंट भी कर रही है। उदाहरण के लिए, फर्म अब नए और इस्तेमाल किए गए इलेक्ट्रिक व्हीकल बेचने के लिए ऑडी, हीरो इलेक्ट्रिक, हुंडई, महिंद्रा, टाटा, मर्सिडीज-बेंज और रॉयल एनफील्ड जैसे ऑटोमोबाइल ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स के साथ काम कर रही है।