Mangal Electricals का IPO अच्छा है या बुरा? निवेश से पहले जान लें ये जरूरी बातें
Mangal Electricals IPO: पावर सेक्टर में इस समय गहमागहमी तेज है और इसी बीच मंगल इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (MEL) ने अपने ₹400 करोड़ के इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) को लॉन्च कर दिया है। कंपनी का आईपीओ आज 20 अगस्त से बोली के लिए खुल गया है और इसमें निवेश की आखिरी तारीख 22 अगस्त है। इसका प्राइस बैंड 533 से 561 रुपये का है
Mangal Electricals IPO: कंपनी की मार्केट वैल्यू करीब 1,550 करोड़ रुपये की आती है
Mangal Electricals IPO: पावर सेक्टर में इस समय गहमागहमी तेज है और इसी बीच मंगल इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (MEL) ने अपने ₹400 करोड़ के इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) को लॉन्च कर दिया है। कंपनी का आईपीओ आज 20 अगस्त से बोली के लिए खुल गया है और इसमें निवेश की आखिरी तारीख 22 अगस्त है। इसका प्राइस बैंड 533 से 561 रुपये का है। यह आईपीओ पूरी तरह से फ्रेश इश्यू का है।
कंपनी अपनी क्षमता बढ़ाने और प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को विस्तार देने की योजना बना रही है। कंपनी की मार्केट वैल्यू करीब 1,550 करोड़ रुपये की आती है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मौजूदा वैल्यूएशन कंपनी के फंडामेंटल से मेल खाता है? या इसका वैल्यूएशन महंगा है?
कंपनी का परिचय
सबसे पहले कंपनी के बारे में जान लेते हैं। मंगल इलेक्ट्रिकल्स, ट्रांसफॉर्मर कॉम्पोनेंट्स के निर्माण और प्रोसेसिंग के क्षेत्र में काम करती है। इसके मुख्य प्रोडक्ट्स में ट्रांसफॉर्मर लैमिनेशन, CRGO स्लिट कॉइल्स, अमॉर्फस कोर, कॉइल और कोर असेंबली, वाउंड कोर, टोरॉइडल कोर और ऑयल-इमर्स्ड सर्किट ब्रेकर (ICB) शामिल हैं।
कंपनी 5 KVA के सिंगल-फेज ट्रांसफॉर्मर से लेकर 10 MVA तक के थ्री-फेज मीडियम-पावर ट्रांसफॉर्मर बनाती है और इलेक्ट्रिकल सब-स्टेशन से जुड़े EPC सर्विसेज भी देती है। राजस्थान में इसके 5 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं, जिनमें से एक में सिर्फ ट्रांसफॉर्मर टैंक बनाने का काम होता है।
इसके ग्राहकों में सीमेंस, क्रॉम्पटन ग्रीव्स, BHEL, और ट्रांसफॉर्मर एंड रेक्टिफायर्स इंडिया जैसी कई बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल है। इसके अलावा ग्लोबल स्तर पर इसके क्लाइंट्स में वोल्टैम्प ओमान, MTM मलेशिया और अरब ट्रांस इजिप्ट जैसे नाम आते हैं।
Mangal Electricals IPO: क्या है इसके मजबूत पहलू
1. डायवर्सिफाइड कस्टमर बेस
कंपनी पावर यूटिलिटीज कंपनियों से लेकर इंडस्ट्रियल समूहों, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स और सरकारी कंपनियों तक, अलग-अलग सेक्टर्स को सेवाएं देती है। यह रेवेन्यू पैदा करने के लिए एक से अधिक स्रोत बनाने और सेक्टर-आधारित रिस्क को घटाने में मदद करता है।
2. क्षमता विस्तार की रणनीति
कंपनी अपनी कारोबारी क्षमताओ के रणनीतिक रूप से विस्तार पर काम कर रही है। इसके लिए PGCIL से 765 kV क्लास अप्रूवल हासिल करने की तैयारी चल रही है। फिलहाल इसे 10 MVA क्षमता तक के ट्रांसफार्मर बनाने की मंजूरी है। लेकिन कंपनी इसे बढ़ाकर 132 kV कैटेगरी तक ले जा रही है। इस कदम से बिजली कंपनियों और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स की जरूरतों को पूरा करने की इसकी क्षमता मजबूत होगी। इससे यह बड़े पावर ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट्स के लिए पसंदीदा सप्लायर बन सकती है।
3. अनुभवी प्रमोटर और नई पीढ़ी की भागीदारी
कंपनी के प्रमोटरों के पास पावर इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री में 35 सालों से अधिक का अनुभव है। अब उनकी तीसरी पीढ़ी भी एक्टिव है, जो कंपनी को मजबूती और भविष्य के विस्तार के लिए संतुलित लीडरशिप देती है।
वैल्यूएशन और तुलना
इस सेक्टर दूसरे लिस्टेड कंपनियों की तुलना में मंगल इलेक्ट्रिकल्स के ऑपरेटिंग मार्जिन और ग्रोथ बेहतर हैं। IPO से मिलने वाली राशि से कर्ज में कमी आएगी और बैलेंस शीट मजबूत होगी।
हालांकि, मौजूदा वैल्यूएशन पर शेयर FY25 अर्निंग्स के लगभघ 33x पर ट्रेड कर रहा है, जो साथियों से थोड़ा ऊंचा है। इसलिए, एनालिस्ट्स की राय है कि यह इश्यू लिस्टिंग गेन के लिए सब्सक्राइब किया जा सकता है। वहीं लंबे समय के निवेशक इसमें थोड़े करेक्शन के बाद बेहतर एंट्री ले सकते हैं।
प्रमुख जोखिम
ग्राहक और सप्लायर पर निर्भरता: कंपनी के रेवेन्यू का लगभग 50% हिस्सा उसके टॉप-10 ग्राहकों से आता है। वहीं इसका 61% कच्चा माल इसके टॉप-10 सप्लायर्स से आता है।
आयात पर निर्भरता: कंपनी के कई प्रमुख कच्चे माल विदेश से आयात होकर आते हैं। इनमें एल्यूमीनियम, कॉपर और CRGO आदि शामिल हैं। इसमें से 57% आयात अकेले चीन से होता है। हालांकि FY25 में आयात पर कुल निर्भरता घटकर 24.9% रह गई, जो FY24 के अंत में 39% थी।
इंफ्रास्ट्रक्चर खर्च में कमी: अगर इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाों पर खर्च घटता है तो इसके प्रोडक्ट की डिमांड पर असर पड़ सकता है।
- इस आर्टिकल को मनीकंट्रोल प्रो के लिए अनंत चौधरी और जितेंद्र कुमार गुप्ता ने लिखा है
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