Tata Capital IPO: टाटा कैपिटल के आईपीओ से जुड़ी हैं ये 4 बड़ी चिंताएं, दांव लगाने से पहले रखें ध्यान
Tata Capital IPO: टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा कैपिटल का 15,500 करोड़ रुपये का आईपीओ निवेशकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। यह 2025 का अब तक का सबसे बड़ा IPO है। मंगलवार को इस आईपीओ के सब्सक्रिप्शन का दूसरा दिन है
Tata Capital IPO: टाटा कैपिटल में हाल ही में टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड का विलय हुआ है
Tata Capital IPO: टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा कैपिटल का 15,500 करोड़ रुपये का आईपीओ निवेशकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। यह 2025 का अब तक का सबसे बड़ा IPO है। मंगलवार को इस आईपीओ के सब्सक्रिप्शन का दूसरा दिन है। हालांकि दोपहर 3.15 बजे तक, यह आईपीओ कुल मिलाकर केवल 0.63 गुना ही सब्सक्राइब हुआ था। इससे यह साफ है कि निवेशकों में इस आईपीओ को लेकर उत्साह के साथ एक सतर्कता भी बनी हुई है।
कई ब्रोकरेज फर्मों ने इस आईपीओ से जुड़ी कुछ अहम चिंताओं की ओर निवेशकों को ध्यान खींचा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि टाटा जैसे भरोसेमंद ब्रांड होने के बावजूद, कंपनी के सामने घटते मार्जिन, बढ़ती उधारी लागत और कमजोर प्रोविजनिंग कवर जैसी कई चुनौतियां मौजूद हैं, जो निकट भविष्य में इसकी प्रॉफिट मार्जिन पर असर डाल सकती हैं। आइए इन चुनौतियों पर एक नजर डालते हैं-
1. TMFL मर्जर बना चिंता की वजह
टाटा कैपिटल में हाल ही में टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड का विलय हुआ है। हालांकि यह मर्जर कंपनी के लिए दोधारी तलवार साबित हो रहा है। एक ओर इसने टाटा कैपिटल को स्केल और वाहन फाइनेंसिंग में मजबूती दी है, लेकिन दूसरी ओर कम गुणवत्ता वाले एसेट्स और ऊंची लागत वाली देनदारियों में इजाफा किया है, जिससे प्रोविजनिंग की जरूरतें बढ़ गई हैं।
SBI सिक्योरिटीज का कहना है कि FY25 और FY26 की पहली तिमाही में टाटा कैपिटल की रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE) और रिटर्न ऑन एसेट्स (RoA) में गिरावट आई है, जो टाटा मोटर्स फाइनेंस लिमिटेड के नुकसान से जुड़ी है। हालांकि, ब्रोकरेज को उम्मीद है कि TMFL के मुनाफे में लौटने के बाद यह ट्रेंड पलट सकता है।
2. घटती प्रोविजनिंग और बढ़ता रिस्क
ब्रोकरेज फर्म ICICI डायरेक्ट का कहना है कि टाटा कैपिटल की प्रोविजन कवरेज रेशियो (PCR) वित्त वर्ष 2023 के दौरान 77।1% थी, जो FY25 में घटकर 58।5% रह गई है। यह गिरावट टाटा मोटर्स फाइनेंस के मर्जर के चलते आई है, जिससे भविष्य के लोन लॉस के खिलाफ सुरक्षा कमजोर हुई है।
कमजोर प्रोविजन कवरेज रेशियो (PCR) से कंपनी की कमाई पर असर पड़ सकता है, खासकर तब जब रिटेल और SME सेगमेंट में (जो कुल पोर्टफोलियो का 88% हिस्सा है) डिफॉल्ट की आशंका बढ़े। Anand Rathi और एक दूसरे ब्रोकरेज हाउस ने भी यह चेतावनी दी है कि अगर प्रोविजनिंग अपर्याप्त रही तो फाइनेंशियल स्टेबिलिटी पर असर पड़ सकता है।
हालांकि, एनालिस्ट्स यह भी मानते हैं कि अभी तक एसेट क्वालिटी में गिरावट नहीं आई है। कंपनी का ग्रॉस स्टेज-3 लोन फिलहाल 2।1% पर है, जो सेक्टर औसत से बेहतर है। लेकिन कम प्रोविजनिंग कवर होने से यह जोखिम बढ़ जाता है कि अगर आर्थिक मंदी या कंजम्प्शन में गिरावट आती है, तो कंपनी को नुकसान झेलना पड़ सकता है।
3. क्रेडिट रिस्क अभी भी ऊंचा
टाटा कैपिटल का अनसिक्योर्ड लोन बुक वित्त वर्ष 2025 में ₹46,706 करोड़ थी, जो इसके कुल एडवांस का लगभग 20% हिस्सा है। जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह आंकड़ा 24।5 फीसदी था। यह गिरावट एक पॉजिटिव संकेत है। लेकिन इस सेगमेंट का साइज अभी भी इतना बड़ा है कि अगर रिकवरी कमजोर पड़ती है तो कंपनी के लिए जोखिम बढ़ सकता है। आदित्य बिड़ला मनी का कहना है कि TMFL का व्हीकल फाइनेंसिंग सेगमेंट और अनसिक्योर्ड पोर्टफोलियो मिलकर कंपनी की कैपिटल एडिक्वेसी पर दबाव बना सकते हैं।
4. महंगी फंडिंग कॉस्ट, दबाव में NIM
टाटा कैपिटल की क्रेडिट रेटिंग AAA है। इसके बावजूद वित्त वर्ष 2025 में कंपनी की उधारी लागत बढ़कर 7।8% हो गई, जो FY23 में 6।6% थी। ऐसा ब्याज दरों में बढ़ोतरी और फंडिंग के लिए बाजार पर अधिक निर्भरता के चलते हुआ।
ICICI Direct के मुताबिक, “अगर फंडिंग लागत बढ़ती रही तो यह कंपनी के नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) और प्रॉफिटेबिलिटी पर दबाव बनाए रखेगी, खासकर उस समय जब NBFC सेक्टर में कॉम्पिटीशन बहुत तेज है।” फिलहाल Tata Capital का नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) लगभग 5% है। यह बजाज फाइनेंस (9।9%) और चोलामंडलम फाइनेंस (6।9%) जैसी इसकी राइवल कंपनियों के मुकाबले कम है।
मजबूत पूंजी और डायवर्सिफाइड लोन बुक है सहारा
हालांकि ऊपर बताए गए सभी चिंताओं के बावजूद, पॉजिटिव पहलू यह है कि टाटा कैपिटल की कैपिटल पोजिशन मजबूत है और इसकी लोन बुक डायवर्सिफाइड है। कंपनी की लोन बुक FY23 से FY25 के बीच 37% CAGR की दर से बढ़ी है। यह इस बात का संकेत है कि टाटा कैपिटल ने महंगी फंडिंग स्थिति के बावजूद मजबूत स्केलिंग दिखाई है। इसके लोन बुक में रिटेल और SME सेगमेंट का हिस्सा 87।5 फीसदी है, जो इसके पोर्टफोलियो को स्थिर बनाता है।
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