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आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री पिता की सरकार में बेटा बना मंत्री, जानिए देश में कब-कब पिता की सरकार में बेटा मंत्री बना है

TDP सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू ने 12 जून को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ थी। उनके बेटे नारा लोकेश ने भी मंत्री पद की शपथ ली। लोकेश पहले भी पिता की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। तब वह आईटी मिनिस्टर थे

अपडेटेड Jun 12, 2024 पर 1:55 PM
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नारा लोकेश ने 12 जून को आंध्र प्रदेश में मंत्री पद की शपथ थी। नई सरकार में सीएम और डिप्टी सीएम सहित कुल 25 मंत्री होंगे।

आंध्र प्रदेश में टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। नायडू की सरकार में फिल्म एक्टर पवन कल्याण ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है। मंत्री पद की शपथ लेने वाले तीसरे व्यक्ति नारा लोकेश थे। नई सरकार में सीएम और डिप्टी सीएम सहित कुल 25 मंत्री होंगे। लेकिन, इस सरकार की सबसे खास बात मुख्यमंत्री पिता की सरकार में बेटे का मंत्री बनना है। यह राजनीति में वंशवाद का बड़ा उदाहरण है। मजेदार बात यह है कि जो बीजेपी क्षेत्रीय दलों पर वंशवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाती रही है वह आंध्र में टीडीपी की सरकार में शामिल है। आइए जानते हैं देश में ऐसा कब-कब हुआ है जब मुख्यमंत्री पिता की सरकार में बेटा मंत्री बना है।

दूसरी बार नायडू की सरकार में मंत्री बने लोकेश

सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) की सरकार में उनके बेटे पहली बार मंत्री नहीं बने हैं। ऐसा पहले हो चुका है। नायडू 2014 से 2019 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। तब उनके बेटे नारा लोकेश (Nara Lokesh) इस सरकार में मंत्री थे। उनका दर्जा कैबिनेट मंत्री का था। उनके पास आईटी, पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी थी। इसलिए नायडू की सरकार में उनके बेटे का कैबिनेट मिनिस्टर बनना आश्चर्य की बात नहीं है।


तमिलनाडु में पिता की सरकार में बेटा मंत्री बन चुका है

पिता की सरकार में बेटे के मंत्री बनने का मामला तमिलनाडु में भी हो चुका है। 2022 में तमिलनाडु में डीएमके की सरकार बनी थी। एमके स्टालिन मुख्यमंत्री बने। तब उनके बेटे उदयनिधि स्टालिन ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी। उदयनिधि विधायक हैं। वह पार्टी की युवा इकाई के सचिव भी रह चुके हैं। डीएमके इंडिया अलायंस का हिस्सा है। लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद दिल्ली में इंडिया अलायंस की बैठक हुई थी। उसमें शामिल होने के लिए स्टालिन दिल्ली आए थे।

दक्षिण भारत की राजनीति में भी परिवारवाद हावी

तमिलनाडु में स्टालिन की सरकार में बेटे का मंत्री बनना ऐसा पहला मामला नहीं था। स्टालिन के पित एम करुणानिधि 1969 से 2011 के बीच पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। स्टालिन 2009 में अपने पिता की सरकार में मंत्री बने थे। इससे साफ है कि न सिर्फ उत्तर भारत बल्कि दक्षिण भारत में भी राजनीति में परिवारवाद हावी रहा है। इसकी जड़े काफी पुरानी हैं।

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार में आदित्य मंत्री रह चुके हैं

महाराष्ट्र में भी पिता की सरकार में बेटे के मंत्री बनने का मामला हो चुका है। शिवसेना-उद्धव गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे जब महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री थे तब उनके बेटे आदित्य ठाकरे मंत्री थे। आदित्य ठाकरे के पास पर्यटन और पर्यावरण मंत्रालय की जिम्मेदारी थी। शिवसेना उद्धव गुट अब महा विकास अगाड़ी का हिस्सा है। महाराष्ट्र में एनडीए की सरकार है। एमवीए विपक्ष में है। एमवीए में एनसीपी-शरद और कांग्रेस शामिल हैं।

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तेलंगाना और हरियाणा में भी ऐसा हो चुका है

तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने भी अपनी सरकार में बेटे को मंत्री बनाया था। उनके बेटे का नाम केटी रामा राव है। 2018 में राज्य में चंद्रशेखर राव की दूसरी बार सरकार बनने पर उनके बेटे केटी रामाराव को आईटी, कपड़ा, एनआरआई मामलों और शहरी विकास विभाग जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई थी। हरियाण में ऐसा हो चुका है। देवीलाल दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। पहली बार वह 1977 से 1979 तक राज्य के सीएम रहे। दूसरी बार 1987 से 1989 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। 1987-1989 के दौरान पिता की सरकार में उनके बेटे रंजीत चौटाला कृषि मंत्री थे।

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