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Lok Sabha Election History: नेहरू लहर से लेकर मोदी लहर तक: जानें देश में अबतक हुए सभी लोकसभा चुनावों का इतिहास

Lok Sabha Election History: देश में 18वीं लोकसभा चुनाव के आज 16 मार्च को बिगुल बजने वाला है। करीब 97 करोड़ लोग 543 लोकसभा सीटों पर अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे। आंकड़ों से पता चलता है कि 2019 के मुकाबले, इस बार देश में मतदाताओं की संख्या 6 प्रतिशत बढ़ी है। वहीं 18 से 29 साल के आयु वर्ग वाले मतदाताओं की संख्या में 2 करोड़ का इजाफा हुआ है

Moneycontrol Newsअपडेटेड Mar 16, 2024 पर 2:02 PM
Lok Sabha Election History: नेहरू लहर से लेकर मोदी लहर तक: जानें देश में अबतक हुए सभी लोकसभा चुनावों का इतिहास
Loksabha Election 2024: पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 364 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी

Loksabha Election 2024: देश में 18वीं लोकसभा चुनाव के आज 16 मार्च को बिगुल बजने वाला है। करीब 97 करोड़ लोग 543 लोकसभा सीटों पर अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे। आंकड़ों से पता चलता है कि 2019 के मुकाबले, इस बार देश में मतदाताओं की संख्या 6 प्रतिशत बढ़ी है। वहीं 18 से 29 साल के आयु वर्ग वाले मतदाताओं की संख्या में 2 करोड़ का इजाफा हुआ है। भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। ऐसे में यहां चुनाव की महत्ता और बढ़ जाती है। आइए आजादी के बाद से देश में अबतक हुए सभी लोकसभा चुनावों के इतिहास पर एक नजर डालते हैं-

पहला लोकसभा चुनाव (1952)

आजाद भारत में पहला लोकसभा चुनाव 1952 में हुआ। उस समय देश में 26 राज्य और कुल 489 सीटें थीं। इन सीटों के लिए 17.3 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने वोट डाले। कांग्रेस ने करीब 45% वोट हासिल करते हुए 364 सीटें जीतीं। सीपीआई और सोशलिस्ट पार्टी को क्रमशः 16 और 12 सीटें मिलीं, और भारतीय जनसंघ को केवल 3 सीटें मिलीं। पंडित जवाहरलाल नेहरू पहले निर्वाचित प्रधान मंत्री बने। इस लोकसभा का गठन 17 अप्रैल 1952 को हुआ और इसने 4 अप्रैल 1957 को अपना कार्यकाल पूरा किया।

पहली लोकसभा में सदन की करीब 677 बैठकें (3,784 घंटे) हुईं, जो किसी एक कार्यकाल में हुईं अबतक की सबसे अधिक बैठके हैं। जीवी मावलंकर इस लोकसभा के पहले वक्ता थे। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, नेहरू के दो पूर्व सहयोगियों, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और बीआर अंबेडकर ने कैबिनेट छोड़कर अपनी अलग पार्टी की स्थापना की। मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की। वहीं अंबेडकर ने अनुसूचित जाति महासंघ को पुनर्जीवित किया, जिसका बाद में नाम बदलकर रिपब्लिक पार्टी हो गया।

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