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Electoral Bonds: क्या है अल्फान्यूमेरिक नंबर जिसे सुप्रीम कोर्ट ने SBI को बताने को कहा है

Electoral Bonds Case: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद SBI 21 मार्च की शाम तक इलेक्टोरल बॉन्ड्स के अल्फान्यूमेरिक नंबर भी चुनाव आयोग को उपलब्ध करा देगा। इसके बाद चुनाव आयोग इसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा। इस नंबर की मदद से यह पता लगाना मुमकिन हो जाएगा कि किसने किस पार्टी को कितने पैसे डोनेशन में दिए

अपडेटेड Mar 19, 2024 पर 1:40 PM
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Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च को नोटिस जारी कर एसबीआई को यह बताने को कहा था कि उसने इलेक्टोरल बॉन्ड्स के अल्फान्यूमेरिक नंबर की जानकारी क्यों नहीं दी।

Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एसबीआई को इलेक्टोरल बॉन्ड्स (Electoral Bonds) से जुड़ी सभी जानकारियां 21 मार्च की शाम तक देने को कहा है। इससे आम लोग डोनेशन देने वालों, डोनेशन लेने वाले राजनीतिक दलों और डोनेशन के अमाउंट के बारे में जान सकेंगे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि राजनीतिक दलों के मिले चंदों की जानकारी सार्वजनिक करने से राजनीतिक दलों और डोनेशन करने वालों की जिम्मेदारी बढ़ेगी। इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी और राजनीतिक दल मतदाताओं के प्रति जिम्मेदार होंगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल प्रोसेस को पारदर्शी और साफसुथरा बनाने से लोकतांत्रिक व्यवस्था को पवित्र बनाए रखने में मदद मिलेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च को नोटिस जारी कर यह बताने को कहा था कि उसने इलेक्टोरल बॉन्ड्स के अल्फान्यूमेरिक नंबर की जानकारी क्यों नहीं दी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अल्फान्यूमेरिक नंबर की जानकारी नहीं मिलने से दान देने वाले और राजनीतिक दल के बीच किसी तरह के पूर्व समझौते के बारे में जानना मुमकिन नहीं है। सुप्रीम कोर्च ने 15 मार्च के अपने फैसले में इस बारे में चिंता जताई थी।

यूनिक अल्फान्यूमेरिक नंबर क्या है?


1. हर बॉन्ड का एक यूनिक अल्फान्यूमेरिक कोड होता है। एसबीआई के इस कोड की जानकारी देने से यह पता लगाना आसान हो जाएगा कि किस डोनर ने किस राजनीतिक दल को पैसे दिए हैं।

2. बताया जाता है कि हर इलेक्टोरल बॉन्ड में एक खास अल्फान्यूमेरिक कोड होता है, जिसे देखने के लिए खास तरह की लाइट की जरूरत होती है।

3. अभी एसबीआई ने चुनाव आयोग को दो अलग-अगल कैटेगरी में डेटा दिए हैं। एक में बॉन्ड खरीदने वाले डोनर की जानकारी है। दूसरे में उस राजनीतिक दल की जानकारी है, जिसने उसे भुनाया है। बताया जाता है कि इन दोनों जानगकारियों को लिंक करने वाली जानकारी मिसिंग है।

4. अप्रैल 20218 में क्विंट की जांच से यह पता चला था कि बॉन्ड में अल्फान्यूमेरिक नंबर है, जो छुपा हुआ है। उसे खास लाइट के बगैर देखना मुमिकन नहीं है।

5. एसबीआई ने क्विंट को बताया था कि बॉन्ड में दिया गया अल्फान्यूमेरिक नंबर एक सिक्योरिटी फीचर है। उसने यह भी कहा था कि यह पता करने की कोई व्यवस्था नहीं है कि कौन डोनर किस राजनीतिक दल को सपोर्ट करता है।

6.अप्रैल 2019 में सरकार ने कहा था कि बॉन्ड में एक सीरियल नंबर है, जिसका मकसद जाली बॉन्ड पर रोक लगाना है। उसने यह भी कहा था कि यह नंबर कोई नहीं जान सकता है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने कहा था कि बॉन्ड के सीरियल नंबर को अपनी आंखों से नहीं देखा जा सकता और एसबीआई इसे रिकॉर्ड नहीं करता है।

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