इंफोसिस (Infosys), साइएंट (Cyient) और जेनसार टेक्नोलॉजीज (Zensar Technologies) सहित कई आईटी कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा दिया था। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की ओर से चुनाव आयोग को सौंपे गए आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। 17 मार्च को जमा किए लेटेस्ट आंकड़ों के मुताबिक, इंफोसिस ने मार्च 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए जनता दल (सेक्युलर) को 1 करोड़ रुपये का चंदा दिया। यह राशि 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव के आसपास दी गई। तीनों कंपनियों में से सबसे बड़ा दान Cyient ने दिया था, जिसने नवंबर 2023 में दो किश्तों में 10 करोड़ रुपये का दान दिया था। हालांकि, यह दान किस पार्टी को दिया गया, इसका खुलासा अभी तक नहीं हुआ है।
अभी तक सिर्फ कुछ ही राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों ने खुद को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए दान देने वाली कंपनियों के नामों का खुलासा किया है। मई 2019 में, जेनसर टेक्नोलॉजीज ने चुनावी बॉन्ड के जरिए अज्ञात पार्टियों को 3 करोड़ रुपये का दान दिया। इंफोसिस, साइएंट और जेनसार टेक्नोलॉजीज को भेजे गए सवालों का खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया था।
17 मार्च के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, प्रमुख राष्ट्रीय दलों में से बीजेपी ने कुल 6,986.5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुनाए। उससे सबसे अधिक राशि 2019-20 में 2,555 करोड़ रुपये की मिली। वहीं कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड के जरिए कुल 1,334.35 करोड़ रुपये भुनाए।
तृणमूल कांग्रेस को चुनावी बॉन्ड के जरिए 1,397 करोड़ रुपये मिले, जिससे वह बीजेपी के बाद बॉन्ड के जरिए चंदा पाने वाली दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई। बीआरएस चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दान पाने वाली चौथी सबसे बड़ी पार्टी थी, जिसने 1,322 करोड़ रुपये के बॉन्ड भुनाए।
दान देने वाली कंपनियों की सूची में सबसे ऊपर लॉटरी फर्म फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज शामिल रहा, जिन्होंने 1,368 करोड़ रुपये का दान दिया। यह इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए पार्टियों को दिए गए कुल राशि का करीब 11 प्रतिशत है। वहीं दूसरे स्थान पर हैदराबाद की मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड है, जिसने करीब 966 करोड़ रुपये के दान दिए।
इसके बाद वेयरहाउस और स्टोरेज कंपनी, क्विक सप्लाई चेन का स्थान रहा, जिसने कुल 410 करोड़ रुपये का दान दिया।