Katchatheevu Issue: विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने सोमवार (1 अप्रैल) को दावा किया कि कांग्रेस (Congress) के प्रधानमंत्रियों ने कच्चातिवु द्वीप को लेकर उदासीनता दिखाई और भारतीय मछुआरों के अधिकार छीन लिए। जयशंकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे प्रधानमंत्रियों ने कच्चातिवु को एक "छोटा द्वीप" और "छोटी चट्टान" बताया था। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा अचानक सामने नहीं आया है, बल्कि यह हमेशा से एक जीवंत मुद्दा है। बता दें कि कच्चातिवु द्वीप समुद्री सीमा समझौते के तहत भारत ने 1974 में श्रीलंका को दे दिया था।
जयशंकर ने कहा कि आए दिन यह मुद्दा संसद में उठाया जाता है और इसे लेकर अक्सर केंद्र तथा राज्य सरकार के बीच पत्राचार होता है। उन्होंने कहा कि खुद उन्होंने कम से कम 21 बार मुख्यमंत्री को जवाब दिया है।
तमिलनाडु सरकार पर भी साधा निशाना
विदेश मंत्री ने जनता के सामने इस समझौते के खिलाफ होने का रुख दिखाने के लिए द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि DMK नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि को भारत और श्रीलंका के बीच 1974 में हुए समझौते के बारे में पूरी जानकारी दी गई थी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और DMK ने संसद में यह इस तरह मुद्दा उठाया जैसे कि उनकी इसके लिए कोई जिम्मेदारी ही नहीं है। जबकि यही वे दल हैं जिन्होंने यह समझौता किया। उन्होंने कहा कि DMK की 1974 में और उसके बाद इस स्थिति को पैदा करने में कांग्रेस के साथ काफी हद तक मिलीभगत थी।
जयशंकर ने कहा कि 20 वर्षों में श्रीलंका ने 6,184 भारतीय मछुआरों को हिरासत में लिया और उनकी मछली पकड़ने की 1,175 नौकाओं को जब्त किया है। उन्होंने कहा कि यह मोदी सरकार ही है जो यह सुनिश्चित करने पर काम करती रही है कि भारतीय मछुआरों को रिहा किया जाए।
उन्होंने कहा, "हमें एक समाधान तलाशना होगा। हमें श्रीलंकाई सरकार के साथ बैठना और इस पर बातचीत करना होगा।" जयशंकर ने दावा किया कि तमिलनाडु के लोगों को लंबे समय तक इस मुद्दे को लेकर गुमराह किया जाता रहा है और वह जनता को सूचित करने के लिए इस मामले पर बात कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कच्चातिवु द्वीप मुद्दे को लेकर सोमवार को DMK पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी ने राज्य के हितों की रक्षा के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि भारत द्वारा कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंपे जाने के मुद्दे पर सामने आ रही नई जानकारियों ने द्रमुक के दोहरे मानकों को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है।
उन्होंने एक खबर का हवाला दिया जिसमें दावा किया गया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करूणानिधि ने समझौते पर सहमति दी, जबकि DMK ने सार्वजनिक तौर पर इसका विरोध किया था। यह मीडिया रिपोर्ट तमिलनाडु BJP अध्यक्ष के. अन्नामलाई को RTI के तहत मिले एक जवाब पर आधारित है। उन्होंने 1974 में भारत और श्रीलंका के बीच हुए समझौते के बारे में जानकारी मांगी थी जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं।
'DMK ने तमिलनाडु के हितों की रक्षा के लिए कुछ नहीं किया'
पीएम मोदी ने कहा, "बयानबाजी के अलावा, DMK ने तमिलनाडु के हितों की रक्षा के लिए कुछ नहीं किया है। कच्चातिवु पर सामने आ रही नयी जानकारियों ने DMK के दोहरे मानकों को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है।"
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उन्होंने कहा, "कांग्रेस और DMK परिवार की इकाइयां हैं। वे केवल इस बात की परवाह करते हैं कि उनके अपने बेटे और बेटियां आगे बढ़ें। उन्हें किसी और की परवाह नहीं है। कच्चातिवु पर उनकी बेरुखी ने हमारे गरीब मछुआरों और विशेष रूप से मछुआरों के हितों को नुकसान पहुंचाया है।" प्रधानमंत्री ने रविवार को इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा था।