Kerela Lok Sabha Elections 2024: राहुल गांधी के लिए इस बार आसान नहीं होगी वायनाड की सीट, जानिए क्या कहता है चुनावी समीकरण

Kerela Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में दमदार जीत हासिल की थी। इस सीट ने गांधी परिवार की प्रतिष्ठा बचाई थी, क्योंकि उत्तर प्रदेश के अमेठी से राहुल चुनाव हार गए थे। लेकिन, इस बार राहुल गांधी को वायनाड में कड़ी चुनौती मिलने जा रही है

अपडेटेड Apr 03, 2024 पर 12:48 PM
Story continues below Advertisement
Kerela Lok Sabha Elections 2024: 2019 के लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी को यहां 64.8 फीसदी वोट मिले थे।

Kerela Lok Sabha Elections 2024: Congress के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के वायनाड से नामांकन दाखिल करने के बाद राजनीतिक पारा चढ़ गया है। राहुल अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत दमदार तरीके से करना चाहते थे। उन्होंने कलपेट्टा में एक रोड शो से इसकी शुरुआत की, जिसमें वायनाड के तहत आने वाली सात विधानसभा क्षेत्रों के हजारों यूडीएफ कार्यकर्ता शामिल हुए। केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर 26 अप्रैल को वोटिंग होगी। बताया जाता है कि राहुल के रोड शो में उनकी बहन प्रियंका गाधी वाड्रा, केसी वेणुगोपाल सहित पार्टी के कई दिग्गज नेता शामिल हुए। राहुल के नामांकन के साथ ही केरल की 20 लोकसभा सीटों के लिए व्यापक प्रचार शुरू हो गया है। इस बार एक तरह जहां राहुल दूसरी बार केरल की लोकसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं वहीं BJP दक्षिण के इस राज्य में अपना खाता खोलने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है।

BJP ने अपने प्रदेश अध्यक्ष को मैदान में उतारा

बीजेपी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन को राहुल के खिलाफ उतारा है। इससे यह संकेत मिलता है कि बीजेपी केरल की इस सीट पर राहुल के लिए बड़ी चुनौती पेश करना चाहती है। इस सीट पर अब तक कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ और सीपीआई-एम की अगुवाई वाले एलडीएफ का कब्जा रहा है। 2019 के लोकसभा चुनावों में वायनाड सीट से राहुल गांधी की जीत हुई थी। हालांकि, वह उत्तर प्रदेश की अमेटी सीट से चुनाव हार गए थे।


सीपीआई ने एनी राजा के रूप में पेश की चुनौती

CPI ने वायनाड से एनी राजा को टिकट दिया है। राजा ने अपना नामांकन 3 अप्रैल को कर दिया है। सुरेंद्रन को केरल भाजपा इकाई का बड़ा चेहरा माना जाता है। उन्होंने कई साल पहले सबरीमाला में व्यस्क लड़कियों के प्रवेश के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था। वह 2020 से भाजपा राज्य इकाई के प्रमुख हैं। एतिहासिक रूप से वायनाड की सीट कांग्रेस की गढ़ मानी जाती रही है। 2019 के लोकसभा चुनावों में राहुल को यहां 64.8 फीसदी वोट मिले थे।

मतदाताओं की राय बंटी हुई

वायनाड के मतदाताओं की राय उम्मीदवार के समर्थन को लेकर बंटी हुई है। राहुल गांधी ने वायनाड के विकास के लिए रेलवे, सड़क और हवाई अड्डा जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर को अपनी प्राथमिकता बनाई है। लेकिन, मतदाताओं का एक ऐसा वर्ग है, जिसका मानना है कि ऐसे व्यक्ति को वायनाड का प्रतिनिधित्व लोकसभा में करनी चाहिए जिसे वायनाड की गहरी समझ हो और जिसका फोकस इस निर्वाचन क्षेत्र की पुरानी समस्याओं के समाधान पर हो।

वायनाड की अर्थव्यवस्था

वायनाड की इकोनॉमी में कृषि का बड़ा हाथ है। इसमें प्लांटेशन और पर्यटन का भी हाथ है। इसकी सीमाएं तमिलनाडु और कर्नाटक से लगती हैं। यहां मलयालम के अलावा कई भाषाएं बोली जाती हैं। यहां हिंदू के अलावा, मुस्लिम, ईसाई और जैन समुदाय के लोग रहते हैं। वायनाड व्यापक वन क्षेत्र और कई तरह के जंगली जीवों के लिए जाना जाता है। यहां की सबसे बड़ी समस्या कृषि से जुड़ी है। कृषि से लोगों की आमदनी घट रही है। इस वजह से लोग रोजीरोटी के लिए दूसरे कामों की तलाश करते हैं।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

राजनीति के जानकारों का कहना है कि 2019 में राहुल गांधी की वायनाड की जीत में कई चीजों का हाथ था। इस निर्वाचन क्षेत्र से एक बड़ा नेता खड़ा हुआ था जिसे बड़ी संख्या में मतदाताओं का सपोर्ट मिला था। इस बार नए उम्मीदवार वाला फैक्टर नहीं है। दूसरी तरफ राहुल के खिलाफ दो दिग्गज राजनेता खड़े हैं। ऐसे में इस बार राहुल के लिए वायनाड सीट जीतना आसान नहीं होगा। अगर वह सीट जीत भी जाते हैं तो वोटों का मार्जिन पिछली बार जितना नहीं होगा। ऐसे में देशभर की निगाहें 4 जून पर लगी हैं, जब चुनाव के नतीजें आएंगे।

यह भी पढ़ें: Lok Sabha Elections 2024: बिहार में BJP को बड़ी राहत, पशुपति पारस ने NDA उम्मीदवारों के समर्थन का किया ऐलान

MoneyControl News

MoneyControl News

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।