Lok Sabha Chunav Result: हिंदी हार्टलैंड के लोगों का दिल नहीं जीत पाई BJP! कहां रह गई कमी, क्यों खिसक गई जमीन?
Loksabha Chunav Result 2024: हिंदी बेल्ट वाले राज्य या दूसरे शब्दों में कहें, तो हिंदी हार्टलैंड सीटों पर 2014 से ही भारतीय जनता पार्टी और उसके NDA का अच्छा खासा दबदबा रहा है। इसी कड़ी में सबसे पहले एक नजर 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर। देश की कुल 543 लोकसभा सीट में से 225 हिंदी हार्टलैंड वाली हैं
Lok Sabha Chunav Result 2024: हिंदी हार्टलैंड के लोगों का दिल नहीं जीत पाई BJP!
पिछले दो लोकसभा चुनावों में, हिंदी पट्टी वाले राज्य- मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, यूपी से लेकर बिहार तक में BJP को बड़ी ही शानदार जीत मिली, लेकिन 2024 के आम चुनाव में पार्टी विजय रथ यहां रुक गया। पार्टी को उत्तर प्रदेश की 29 समेत हिंदी बेल्ट वाले राज्यों में कुल 49 सीटें हार गईं। उसे राजस्थान में 10 सीटें और हरियाणा और बिहार में पांच-पांच सीटें गंवानी पड़ीं। केवल मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ ही हैं, जहां बीजेपी ने पिछले साल दो राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद 2019 में अपना प्रदर्शन बेहतर किया।
UP में सबसे बड़ा झटका
बीजेपी उत्तर प्रदेश में ज्यादा बड़ा झटका लगा। पार्टी की शुरुआती रिपोर्टों में, यूपी में कई मौजूदा सांसदों के खिलाफ उच्च सत्ता विरोधी लहर थी और उम्मीद थी कि बीजेपी कई बदलाव करेगी।
पार्टी ने कुछ बदलाव तो किए, लेकिन बड़े पैमाने पर उसने मौजूदा सांसदों पर ही भरोसा जताया, जो लगातार दो बार से जीत रहे थे। पीएम मोदी की गारंटी और जबरदस्त प्रचार अभियान के साथ, बीजेपी को विश्वास था कि वो मौजूदा उम्मीदवारों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर पर काबू पा लेगी। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ और पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
राजस्थान में दूसरा बड़ा नुकसान
पार्टी को दूसरा बड़ा नुकसान राजस्थान में हुआ, जहां पिछली बार विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी बीजेपी को 10 सीटों का नुकसान हुआ। जाट समुदाय के बीच गुस्से का नतीजा ये हुआ कि पार्टी को जाट बेल्ट में भारी हार का सामना करना पड़ा।
दूसरी तरफ आदिवासी मतदाताओं ने नई भारत आदिवासी पार्टी पर अपना विश्वास जताया, जिसके चलते बीजेपी बांसवाड़ा सीट हार गई, जिसे उसने 2019 में बड़े पैमाने पर जीता था। दलित मतदाताओं का एक वर्ग भी बीजेपी से दूर चला गया, इसका नुकसान उसे भरतपुर और करौली-धौलपुर जैसी सीटों से हाथ धोकर चुकाना पड़ा।
वरिष्ठ नेताओं ने नहीं किया प्रचार
सबसे बड़ा कारण वरिष्ठ नेताओं का राज्य में चुनाव प्रचार नहीं करना था। पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता वसुंधरा राजे झालावाड़ सीट के अलावा पार्टी के लिए प्रचार करने के लिए बाहर नहीं निकलीं, क्योंकि वहां से उनके बेटे दुष्यंत सिंह चुनाव लड़ रहे थे।
नेताओं के बीच अंदरूनी कलह का खामियाजा पार्टी को चूरू सीट पर भुगतना पड़ा, जहां बीजेपी सांसद राहुल कस्वां कांग्रेस में शामिल हो गए और कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की।
जाट और किसान एकजुटता ने बिगाड़ा खेल
जाट और किसान एकजुटता ने भी हरियाणा में पार्टी के खिलाफ काम किया, जहां पार्टी पांच लोकसभा सीटें हार गई। जबकि पार्टी के कई उम्मीदवारों ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों के असहयोग का मुद्दा उठाया।
सिरसा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार अशोक तंवर ने खुलेआम पार्टी के कुछ नेताओं पर पार्टी के लिए काम नहीं करने का आरोप लगाया, सोनीपत, अंबाला और हिसार जैसी दूसरी सीटों पर भी यही स्थिति थी।
बिहार में, बीजेपी नेताओं ने कुछ जाति समूहों के बीच बढ़ते गुस्से का गलत आकलन करते हुए काफी हद तक 'मोदी मैजिक' पर भरोसा किया, जिसके चलते पार्टी को राज्य के मगध क्षेत्र में पांच सीटों का नुकसान हुआ।
कैसे थे 2014 और 2019 के नतीजे?
हिंदी बेल्ट वाले राज्य या दूसरे शब्दों में कहें, तो हिंदी हार्टलैंड सीटों पर 2014 से ही भारतीय जनता पार्टी और उसके NDA का अच्छा खासा दबदबा रहा है। इसी कड़ी में सबसे पहले एक नजर 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर। देश की कुल 543 लोकसभा सीट में से 225 हिंदी हार्टलैंड वाली हैं।
इस चुनाव में बीजेपी ने रिकॉर्ड जीत हासिल की थी। पार्टीवार नतीजों से पहले बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA के प्रदर्शन पर एक नजर डालें, तो 2019 में NDA इन 225 में से 202 सीटों पर जीता और उसका वोट प्रतिशत 55.81 फीसदी रहा है।
विपक्षी खेमे की बात करें, तो I.N.D.I.A. गुट की झोली में तब केवल 13 सीटें गईं और 30.14% वोट मिला। इसके अलावा बाकी बची 10 सीट और 14.05 वोट प्रतिशत अन्य के खातों में गया।
कैसा था पार्टियों का प्रदर्शन?
अब आते हैं पार्टियों पर, तो सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने हिंदी हार्टलैंड की 177 सीटों पर शानदारी जाती दर्ज की और उसका वोट प्रतिशत 49.22% रहा। हालांकि, देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस लुढ़क कर JDU और BSP जैसी पार्टियों से भी नीचे आ गई।
कांग्रेस को 2019 के आम चुनाव में हिंदी हार्टलैंड की केवल 6 सीट नसीब हुईं और वोट प्रतिशत भी सिर्फ 19.23% रहा। इससे अच्छा प्रदर्शन बिहार की नीतीश कुमार जनता दल यूनाइटेड का रहा, जो महज 3.51 फीसदी वोट के साथ 16 सीटों पर जीती।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश में मायावती की बहुजन समाज पार्टी भी सीटों के मामले में तो कांग्रेस से ऊपर ही रही और हिंदी हार्टलैंड की 10 सीटों पर अपना कब्जा कर लिया। BSP का वोट प्रतिशत केवल 7.64% ही रहा।
इसी तरह अगर 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजें देखें जाएं, तो हिंदी हार्टलैंड वाली सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन तब और भी जबरदस्त था। सत्ता परिवर्तन और मोदी लहर वाले उस चुनाव में भगवा पार्टी ने इन 225 में से 190 सीटों पर कब्जा किया था। बीजेपी का वोट शेयर तब 43.62% रहा था।
वहीं अगर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रदर्शन को देखें, तो तब उसे 2019 से दो सीटें ज्यादा मिलीं यानी आठ सीट और उसका वोट शेयर रहा 17.78%। 2019 में इन सीटों पर कांग्रेस के वोट प्रतिशत में मामूल बढ़ोतरी हुई थी।