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Lok Sabha Chunav 2024: राम नगरी अयोध्या में किसका होगा राज तिलक, किसे मिलेगा वनवास?

UP Lok Sabha Chunav 2024: राम राज्य की स्थापना इसी नगर से हुई थी। संवत 1631 में तुलसीदास ने इसी नगर से रामचरितमानस के लिखने की शुरुआत की। जो दुनिया भर में प्रसिद्ध हुई। क्या होगा इस नगरी में हो रहे लोकसभा चुनाव में? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अयोध्या में रोड शो कर चुके हैं। उनके रोड शो में भारी भीड़ उमड़ी

अपडेटेड May 14, 2024 पर 9:48 PM
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Lok Sabha Chunav 2024: राम नगरी अयोध्या में किसका होगा राज तिलक, किसे मिलेगा वनवास?

राम की नगरी अयोध्या। देश और विदेश में पूरे साल इस नगरी की चर्चा रही। लगभग 500 साल बाद रामलला भव्य मंदिर के साथ अपने जन्म स्थान पर विराजे। एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर चुके हैं। अयोध्या आने वालों का तांता लगा हुआ है, जिस अयोध्या में रुकने की जगह नहीं थी, वहां बड़े-बड़े आलीशान होटल बन रहे हैं और एक विशाल नगर बनता जा रहा है। लोकसभा चुनाव में जिस नगरी की सबसे ज्यादा चर्चा है, वहां का चुनावी माहौल क्या है? वास्तव में अयोध्या नगरी का स्वरूप बदल चुका है। गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि भगवान राम ने खुद अयोध्या को बैकुंठ से ज्यादा सुंदर और पवित्र बताया था। जद्यपि सब बैकुंठ बखाना। बेद पुरान बिदित जगु जाना॥

अवधपुरी सम प्रिय नहिं सोऊ। यह प्रसंग जानइ कोउ कोऊ।।

राम राज्य की स्थापना इसी नगर से हुई थी। संवत 1631 में तुलसीदास ने इसी नगर से रामचरितमानस के लिखने की शुरुआत की। जो दुनिया भर में प्रसिद्ध हुई। क्या होगा इस नगरी में हो रहे लोकसभा चुनाव में? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अयोध्या में रोड शो कर चुके हैं। उनके रोड शो में भारी भीड़ उमड़ी।

अयोध्या में सपा का नया प्रयोग


भारतीय जनता पार्टी ने इस बार फिर से लल्लू सिंह को मैदान में उतारा है। वो 2014 और 2019 में अयोध्या फैजाबाद से सांसद रह चुके हैं । इससे पहले वो प्रदेश सरकार में मंत्री भी थे । वह कई बार विधायक चुने गए। समाजवादी पार्टी ने यहां पर एक नया प्रयोग किया है। उसने अपने बहुत ही वरिष्ठ नेता अवधेश प्रसाद को चुनाव मैदान में उतार दिया है।

अवधेश प्रसाद दलित नेता हैं। क्या अवधेश प्रसाद चुनाव में कोई करिश्मा कर पाएंगे? वास्तव में भाजपा के लिए यह सीट इसलिए चिंता की बात है, क्योंकि पिछले चुनाव में भाजपा यहां पर सिर्फ 63 हजार वोटों से ही जीती थी और तब सपा की ओर से बहुत ही जनाधार वाले नेता आनंद सेन यादव मैदान में उतरे थे।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर अरविंद सेन मैदान में

आनंद सेन यादव, मित्र सेन यादव के बेटे हैं, जो फैजाबाद अयोध्या की राजनीति में छाए रहे। इस बार समाजवादी पार्टी ने आनंद सेन को टिकट नहीं दिया। आनंद सेन के बड़े भाई अरविंद सेन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट से मैदान में उतर गए हैं। अरविंद सेन आईपीएस अधिकारी रहे और पशुधन घोटाले में जेल की हवा भी खा चुके हैं।

अरविंद सेन का यादव मतदाताओं पर गहरा प्रभाव है। उनके पिता मित्रसेन यादव पहले कभी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता हुआ करते थे, लेकिन बाद में समाजवादी पार्टी में आ गए और उन्होंने अपनी शर्तों पर राजनीति की। आनंद सेन और उनके पिता मित्रसेन पर आपराधिक मुकदमे लगे। मित्र सेन जेल में भी बंद रहे, लेकिन जब चुनाव मैदान में उतरे, तो उन्होंने अपना जनाधार साबित किया।

BSP, कांग्रेस का कैसा था हाल?

आनंद सेन पर भी एक लड़की की हत्या का आरोप लगा और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, लेकिन बाद में अदालत से ही बरी हो गए। 2014 में चुनाव में मित्र सेन यादव मैदान में थे। तब मोदी लहर में लल्लू सिंह ने मित्र सेन को 2 लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया था और उस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के जितेंद्र कुमार सिंह 1 लाख 41,000 वोट मिले थे।

कांग्रेस पार्टी के निर्मल खत्री भी मैदान में उतरे थे और उन्हें 1 एक लाख 29 हजार वोट मिले थे। पिछले चुनाव में सपा बसपा के बीच गठबंधन था और इसका असर चुनाव पर पड़ा लल्लू सिंह की जीत सिमट गई और सिर्फ 63 हजार वोट से जीत सके।

इस बार कैसा है माहौल?

क्या होगा इस चुनाव में क्योंकि कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी का गठबंधन है, लेकिन इस बार बहुजन समाज पार्टी अलग से मैदान में है और उसने सच्चिदानंद पांडे को मैदान में उतारा है। क्या सच्चिदानंद ब्राह्मण वोट हासिल कर लेंगे? अगर, हां तो कितने प्रतिशत।

वैसे लगता नहीं है कि सच्चिदानंद को ब्राह्मण वोट मिल जाएगा। अयोध्या के ही रामनारायण उपाध्याय कहते हैं कि ब्राह्मण वोट उसी को जाएगा, जिसने राम मंदिर बनवाया। आम लोग योगी और मोदी से संतुष्ट हैं, इसलिए बहुजन समाज पार्टी ने जिस रणनीति के तहत सच्चिदानंद पांडे को उतारा है, वो पूरा नहीं होने वाला।

फैजाबाद के ही अनूप कहते हैं की बसपा ने सच्चिदानंद को इसलिए टिकट दिया है, क्योंकि उसे भरोसा है कि दलित और ब्राह्मण एकजुट हो जाएगा और जब मुसलमान मतदाता को यह दिखेगा कि BSP मजबूत है, तो वो भी बसपा के पीछे खड़ा हो जाएगा। लेकिन यहां पर सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद भी मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं।

यादव और मुस्लिम को साथ ले जाएंगे अवधेश प्रसाद?

अवधेश प्रसाद को उनका सजातीय पासी वोट जरूर मिलेगा। यही नहीं यादव और मुस्लिम वो अपने खाते में ले जाएंगे। लेकिन इस बार बसपा समर्थित वोट उनके खाते में नहीं जाएगा। यह नुकसान वो पासी वोट से पूरा करना चाहते है।

फैजाबाद के हजारी कहते हैं कि इस बार वो हाथी को वोट देंगे और पिछली बार उन्होंने साइकिल को वोट दिया था। उनका कहना था कि मायावती का प्रत्याशी चुनाव जीते या नहीं जीते, लेकिन उनका वोट अपनी पार्टी को ही जाएगा।

सपा का वोट बसपा पर जा रहा है!

यह बदलाव साफ दिख रहा है कि समाजवादी पार्टी का वोट बहुजन समाज पार्टी को जा रहा है। सच्चिदानंद पांडे सिर्फ बसपा के कैडर वोट पर ही निर्भर हैं। उन्हें न मुसलमान वोट मिल रहा है और न ही अन्य कोई।

फैजाबाद के मुस्लिम मतदाता वसीम कहते हैं कि फिलहाल यही मन बना है कि इस बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को वोट दिया जाए। सपा अच्छी लड़ाई लड़ रही है। जहां तक बसपा का सवाल है, तो वो बेहतर लड़ाई नहीं लड़ पा रही हैं।

सपा से क्यों नाराज हैं कुछ वोटर?

जहां तक अवधेश प्रसाद का सवाल है, तो वो मजबूत लड़ाई में है, लेकिन यादव वोटों में भी कुछ कटौती है। क्योंकि यादव मतदाताओं में नाराजगी जरूर है कि इस बार आनंद सेन को टिकट क्यों नहीं दिया गया। आनंद सेन का न होना, इसका विपरीत असर सपा पर पड़ रहा है।

जहां तक लल्लू सिंह का सवाल है, तो उन्हें सवर्ण वोट एकजुट होकर मिल रहा है और अति पिछड़ा वोट भी मिल रहा है। इसके कारण लल्लू सिंह की स्थिति मजबूत है। लाभार्थी वोट भी लल्लू सिंह के पाले में जा रहा है, कुल मिलाकर इस सीट पर लड़ाई BJP-SP के बीच है।

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