Bihar Exit Poll 2024: बिहार में भी 'मोदी मैजिक' जारी, तेजस्वी यादव का नहीं चल पाया जादू
Bihar Exit Poll 2024: बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव लोकसभा चुनाव के प्रचार में काफी व्यस्त दिखाई दिए। कमर और रीढ़ की हड्डी में तेज दर्द के बावजूद वह प्रचार में शामिल रहे। पूर्व डिप्टी सीएम का प्रचार अभियान उनकी पार्टी की सरकार के हालिया कार्यकाल के दौरान सृजित नौकरियों पर केंद्रित था। हालांकि, उनकी मेहनत पर बीजेपी ने पानी फेर दिया है
बीजेपी 17 लोकसभा सीटों पर और सीएम नीतीश कुमार की JDU 16 संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ी थी
Bihar Exit Poll 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने लिए 370 सीटें और BJP की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के लिए 400 से अधिक सीटों जीतने का लक्ष्य रखा है। इस लिहाज से बीजेपी के लिए बिहार एक अहम राज्य है। लोकसभा चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 39 सीटें NDA के खाते में थीं। चुनावी दौरे के दौरान बिहार के मतदाताओं ने कहा कि देश को चलाने के लिए पीएम मोदी अभी भी सबसे अच्छे विकल्प हैं। लेकिन महंगाई और रोजगार को लेकर लोगों को शिकायत थी। RJD नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इस चुनाव बिहार में चुनाव प्रचार में I.N.D.I.A. गठबंधन के अगुवा रहे।
एग्जिट पोल के आए नतीजे
News18 के Exit Poll के मुताबिक, बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में से 13 से 16 सीटें बीजेपी की झोली में आ सकती हैं। वहीं, पूरे एनडीए गठबंधन के पास 31 से 34 सीटें आ सकती हैं। कांग्रेस के हिस्से में केवल 0-1 सीटें और पूरे I.N.D.I.A ब्लॉक के पास 6-9 सीटें आने की उम्मीद है।
नीतीश की वापसी से NDA को मिली मजबूती
इस बार के चुनाव में दोनों पक्षों ने जबरदस्त गठबंधन बनाया है। एक तरफ जहां जनता दल यूनाइटेड (JDU) की घरवापसी से NDA को मजबूती मिली है। वहीं, चिराग पासवान की LJP (रामविलास), जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा भी NDA में शामिल हैं। दूसरी तरफ, I.N.D.I.A. ब्लॉक में राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, वामपंथी दल और मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) शामिल है।
कौन कितने सीटों पर लड़ा चुनाव?
इस बार, बीजेपी 17 लोकसभा सीटों पर और सीएम नीतीश कुमार की JDU 16 संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ी थी। वहीं, चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने 5 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे। पूर्व सीएम मांझी की HAM और कुशवाहा की RLM 1-1 सीटों पर लड़े। दूसरी तरफ, लालू प्रसाद की RJD 23 सीटों पर, कांग्रेस 9, वामपंथी दल 5 और VIP 3 सीटों पर चुनाव लड़ी थी।
'मोदी फैक्टर' की गूंज
प्रधानमंत्री मोदी 10 साल बाद भी बिहार के लोकसभा चुनाव में एक अहम फैक्टर हैं। वोटिंग के दौरान मतदाताओं ने कहा कि देश को चलाने के लिए पीएम मोदी अभी भी सबसे अच्छे विकल्प हैं। महिलाओं के बीच पीएम मोदी का जादू अभी भी बरकरार है। इसका एक कारण महिलाओं के बीच केंद्रीय योजनाओं की सफलता रही है। मोदी सरकार ने महिलाओं को अपने योजनाओं के सेंटर में रखा है और प्राथिमिकता दी है। इसका काफी प्रभाव राज्य में दिखाई देता है।
तेजस्वी यादव का वादा कितना प्रभावी?
बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव का प्रचार अभियान सरकारी नौकरियों, रोजगार जैसे मुद्दों पर केंद्रित दिखाई दिया। एक मतदाता ने कहा, "तेजस्वी यादव रैलियों के दौरान खासतौर पर पलायन और नौकरियों की बात कर रहे हैं, जो असली मुद्दे हैं। हम ऐसे कई गांवों का उदाहरण दे सकते हैं, जहां प्रत्येक गांव में कम से कम पांच से सात लोगों को नौकरी मिली है। ऐसा रोजगार अभियान पिछले तीन दशकों में नहीं हुआ। तेजस्वी अब सिर्फ यादव नेता नहीं हैं, वह एक सच्चे नेता हैं।" कई युवा मतदाताओं ने कहा कि तेजस्वी यादव 2025 के विधानसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि युवा मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा वर्तमान चुनावों में RJD को वोट दे सकता है।
लालू यादव के सियासी पारी का आगाज और अंत
साल 1977 में छपरा संसदीय सीट से कांग्रेस के गढ़ को ढहाकर रिकॉर्ड मतों से जीतकर देश की राजनीतिक क्षितिज पर उभरे लालू प्रसाद यादव के लिए छपरा (अब सारण) सीट उनके उदय का गवाह बना। बिहार के गोपालगंज के फुलवरिया गांव में कुंदन राय और मरछीया देवी के आंगन में 11 जून 1948 को जन्मे लालू यादव जय प्रकाश नारायण (JP) आंदोलन के समय पटना यूनिवर्सिटी में छात्र नेता थे। 18 मार्च 1974 के दिन बिहार से जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में छात्र आंदोलन की नींव पड़ गई थी। यह आंदोलन पूरे देश में ऐसा फैल गया कि देखते ही देखते राजनीति का चेहरा ही पूरी तरह बदल गया।
छपरा संसदीय सीट अपनी सियासी पारी का शानदार आगाज करने वाले लालू के लिए छपरा सीट उनके राजनीतिक करियर के अस्त होने का गवाह भी बनीं। लालू प्रसाद यादव ने वर्ष 2009 में आखिरी बार लोकसभा चुनाव लड़ा था। वर्ष 2008 के परिसीमन में छपरा लोकसभा क्षेत्र की जगह पर सारण अस्तित्व में आया। साल 2009 मे लालू प्रसाद यादव ने दो लोकसभा सीट सारण और पाटलीपुत्र से चुनाव लड़ा। सारण में लालू प्रसाद ने चुनाव जीता। हालांकि पाटलीपुत्र में वह अपने पुराने साथी रहे रंजन प्रसाद यादव से हार गए।
राजनीतिक करियर पर विराम
साल 2013 में चारा घोटाले में सजा सुनाए जाने के बाद लालू के चुनाव लड़ने पर रोक लग गई। इसके साथ ही लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक करियर पर विराम लग गया। 1977 में छपरा सीट लालू प्रसाद यादव के उभार के साथ उनके राजनीतिक गर्दिश का भी गवाह रहा है। भारतीय राजनीति के 'किंगमेकर' रहे लालू प्रसाद यादव ने दबे-कुचलों को उठा कर उन्हें इस देश का असली किंग होने का अहसास कराया कि लोकतंत्र में असली राजा जनता है। शोषित समाज के लोगों को खेतों-खलिहानों,गली-मोहल्ले से उठा कर लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में वह पहुंचाते रहे। एचडी देवेगौड़ा,आई.के. गुजराल को दिल्ली की सल्तनत पर बिठाने में उनका महत्वपूर्ण रोल रहा।
लालू यादव को 1996 में चारा घोटाला के मामलों का सामना करना पड़ा। अगले, साल जब CBI उनकी गिरफ्तारी के लिए वारंट लाई, तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। चारा घोटाले में घिरने पर लालू ने जनता दल से अलग होकर अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) बनाई और पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया। वर्ष 2013 में चारा घोटाले मामले में सजा सुनाए जाने के बाद 2014 से लालू चुनाव नहीं लड़ सके। इस बार बिहार में अबतक हुए चुनाव में राजद प्रत्याशी के प्रचार की कमान पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रताप ने संभाली थी।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 39 सीटें जीती थीं। NDA इस लोकसभा चुनाव में सभी 40 सीट पर जीत हासिल करने की उम्मीद कर रहा है। राज्य में BJP की अगुवाई वाली NDA का वोटिंग प्रतिशत 53 से अधिक था, जो विपक्षी 'महागठबंधन' को मिले मतों से लगभग 20% ज्यादा था। साल 2014 में भी NDA को 31 सीटें मिली थी। बिहार NDA के लिए अन्य जगहों पर हुए नुकसान की भरपाई वाला राज्य रहा है। यूपी और महाराष्ट्र के बाद बिहार देश के तीसरा ऐसा राज्य है जो केंद्र में सरकार गठन में अहम भूमिका निभाता है।