Loksabha Chunav: देर रात हुई बैठक, अखिलेश यादव से भी ली गई राय, कुछ इस तरह कांग्रेस ने राहुल के लिए चुनी 'सुरक्षित' सीट रायबरेली
UP Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस नेताओं ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी रायबरेली की जनता ने कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा है। पार्टी के प्रति अभी भी उत्साह है और पार्टी वहां के लोगों को नजरअंदाज नहीं कर सकती। यह कांग्रेस के लिए राज्य की सबसे सुरक्षित सीट है और राहुल रायबरेली से चुनाव लड़ने के लिए सहमत हो गए
UP Lok Sabha Election 2024: कुछ इस तरह कांग्रेस ने राहुल के लिए चुनी 'सुरक्षित' सीट रायबरेली
आखिरकार लंबे इंतजार और संशय के बाद शुक्रवार तड़के, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने घोषणा की कि राहुल गांधी रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, जबकि सोनिया गांधी के भरोसेमंद किशोरी लाल शर्मा अमेठी से चुनाव लड़ेंगे, जिससे इन दो अहम सीटों को लेकर सस्पेंस अब खत्म हो गया है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने के लिए आगे बढ़ाना पड़ा। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी रात में अमेठी और रायबरेली के बारे में उनके विचार जानने के लिए संपर्क किया गया और उन्हें ये भी बताया गया कि गांधी परिवार यूपी से चुनाव लड़ना नहीं चाहता है।
सूत्रों का कहना है कि यादव ने सुझाव दिया कि परिवार के सदस्यों को अमेठी और रायबरेली दोनों सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए, क्योंकि ये संसदीय क्षेत्र गांधी परिवार का पर्याय थे।
राहुल नहीं लड़ना चाहते थे UP से चुनाव
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने Moneycontrol को बताया कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) लड़ने में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है, क्योंकि वो यह मैसेज नहीं देना चाहते थे कि वो हार के डर से वायनाड से बाहर जा रहे हैं, खासकर जब वहां से अच्छी और पॉजिटिव प्रतिक्रिया मिल रही हो।
कांग्रेस नेता ने कहा, “कल देर रात एक बैठक में राहुल गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया। इसका कारण यह है कि उन्होंने बड़ी मेहनत से खुद को मोदी के प्रतिद्वंद्वी के रूप में स्थापित किया और वो स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव लड़कर इसे कमजोर नहीं कर सकते। ऐसी स्थिति में, उन्हें अपनी विरासत का हवाला देते हुए और उस निर्वाचन क्षेत्र के साथ गांधी परिवार के जुड़ाव का हवाला देते हुए रायबरेली जाने के लिए राजी किया गया।”
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी रायबरेली की जनता ने कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा है। पार्टी के प्रति अभी भी उत्साह है और पार्टी वहां के लोगों को नजरअंदाज नहीं कर सकती। यह कांग्रेस के लिए राज्य की सबसे सुरक्षित सीट है और राहुल रायबरेली से चुनाव लड़ने के लिए सहमत हो गए।
अमेठी से ज्यादा सुरक्षित रायबरेली
सूत्र ने कहा, "उस बैठक में भी कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी से कहा कि रायबरेली से चुनाव लड़ना एक सोचा-समझा कदम होगा, पार्टी ने इसे अमेठी की तुलना में एक सुरक्षित दांव माना है।"
देखा जाए, तो अतीत में भी अमेठी की तुलना में रायबरेली कांग्रेस के पक्ष में है। 2019 की मोदी लहर के बावजूद, सोनिया गांधी ने वहां से चुनाव जीता, जिससे इलाके में कांग्रेस के मजबूत गढ़ का पता चलता है। पिछले चुनावों में कांग्रेस 20 में से 17 बार विजयी रही है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि राहुल के पास अमेठी की तुलना में रायबरेली में बेहतर मौका है।
अमेठी में कांग्रेस कार्यकर्ता निराश
स्थानीय कांग्रेस नेता प्रियांश शर्मा ने कहा, "25 साल बाद ऐसा होगा कि कोई गांधी अमेठी से मैदान में नहीं होगा। हमें यह खबर हजम नहीं हो रही है कि राहुल या प्रियंका में से कोई भी इस सीट से मैदान में नहीं उतरेगा। यह खबर हमारे लिए एक झटके की तरह है।" स्थानीय नेताओं ने गांधी परिवार के सदस्यों के लिए एक विशाल नामांकन जुलूस की व्यवस्था की थी।
कांग्रेस अध्यक्ष बनने के एक साल बाद, 1999 में सोनिया गांधी ने यहीं से चुनावी शुरुआत की। 2004 में, वो रायबरेली शिफ्ट हो गईं, जिससे राहुल को इस सीट से चुनावी शुरुआत करने का रास्ता मिल गया। 2019 में राहुल स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए और इस सीट से गांधी परिवार का टैग भी हट गया।
'वंशवादी राजनीति' के आरोप के चलते लिया गया फैसला
कांग्रेस नेताओं के एक दूसरे वर्ग का कहना है कि बीजेपी की तरफ से पार्टी पर अक्सर लगाए जाने वाले "वंशवादी राजनीति" के आरोप को देखते हुए गांधी परिवार के तीनों सदस्यों को संसद में खड़ा करने में झिझक थी।
राहुल गांधी के इस फैसले को लेकर कई तरह की प्रतिक्रिया को जन्म दिया है। जहां आलोचक अमेठी में हार के डर का आरोप लगा रहे हैं, तो वहीं दूसरे लोग रायबरेली के गढ़ को प्राथमिकता देते हुए एक रणनीतिक कदम बता रहे हैं।
सोनिया गांधी ने पूरा किया अपना वादा
कांग्रेस नेता विश्वनाथ चतुवेर्दी मोहन ने कहा कि राहुल का रायबरेली से चुनाव लड़ना अच्छा फैसला है, क्योंकि गांधी परिवार के उत्तर प्रदेश की किसी भी सीट से चुनाव नहीं लड़ने से गलत राजनीतिक संदेश जाता।
उन्होंने कहा, “सोनिया गांधी को राज्यसभा के लिए नामांकित किए जाने के बाद प्रत्यक्ष चुनाव छोड़ने के बाद, उन्होंने रायबरेली के लोगों को एक पत्र लिखकर घोषणा की कि उनका परिवार इस निर्वाचन क्षेत्र की देखभाल करेगा। उन्होंने अपना वादा निभाया और राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाया गया है।"
लेकिन कई कांग्रेस नेताओं के लिए गांधी परिवार के सदस्यों का अमेठी से चुनाव न लड़ने का फैसला अच्छा नहीं रहा है। एक कांग्रेस नेता ने कहा, “राहुल को अमेठी से और हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को रायबरेली से चुनाव लड़ना चाहिए था। इससे बहुत ही सकारात्मक संदेश जाता। दोनों दिग्गजों ने अपने विरोधियों को धूल चटा दी। हमारे अमेठी प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा का स्मृति ईरानी से कोई मुकाबला नहीं है। नतीजा साफ है, हम अमेठी हार गए और रायबरेली जीत, ये 1-0 है।